नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक विशाल साइबर धोखाधड़ी सिंडिकेट का भंडाफोड़ हुआ है. पुलिस ने एक नाइजीरियाई गिरोह को पकड़ लिया, जो पूरे देश में ऑनलाइन अपराधों का जाल बिछा रहा था. जांच से पता चला कि यह गिरोह पिछले पांच सालों से सक्रिय था और अब तक 500 से ज्यादा लोगों को शिकार बनाकर 100 करोड़ रुपए से अधिक की रकम हड़प चुका है. पीड़ितों को विदेशी नौकरियां, वैवाहिक प्रस्ताव या निवेश के बहाने लूटा गया.
ठगी की कमाई से नाइजीरिया में शानदार बंगला भी खड़ा किया गया. पूछताछ में आरोपी स्वीकार कर चुके हैं कि उन्होंने खुद को डॉक्टर, इंजीनियर या वैज्ञानिक बताकर लोगों को ठगा. 18 राज्यों में इस गिरोह के खिलाफ 37 से अधिक मामले दर्ज हैं. क्राइम एसपी सुभाष चंद्र गंगवार ने पूछताछ के बाद गिरोह के तरीकों का खुलासा किया. नाइजीरियाई आरोपी ने बताया कि वह विवाह साइटों पर उपलब्ध प्रोफाइल्स का इस्तेमाल करता था.
अगर प्रोफाइल लड़की की होती तो वह सीधे संपर्क करता, जबकि लड़के की प्रोफाइल पर संगीता, सुनीता या ममता जैसी गैंग की महिलाओं को लगाया जाता. आरोपी ने कई नामों से झूठे प्रोफाइल बनाए थे, जिनमें डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक या प्रोफेसर की पहचान दी गई थी. एसपी ने बताया कि संपर्क में आने वालों को नाइजीरियाई यह कहकर फंसाता कि वह अमेरिका, ब्रिटेन या कनाडा में उच्च पद पर है.
फिर शिकारों को विदेश से उपहार या सामान भेजने का लालच दिया जाता. अगले स्टेप में कोई साथी वॉट्सऐप पर एयरपोर्ट से कॉल करके पार्सल आने की बात करता. गिरोह पहले पार्सल शुल्क वसूलता, फिर कस्टम अधिकारी बनकर डराता. वे दावा करते कि पार्सल में विदेशी मुद्रा, नशीले पदार्थ, सोना या अन्य प्रतिबंधित चीजें हैं. इसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग या कानूनी कार्रवाई की धमकी देकर पैसे मंगवाए जाते.
जांच में सामने आया कि ठगी की रकम वाले खाते से तुरंत पैसे दूसरे खातों में ट्रांसफर हो जाते या डेबिट कार्ड से निकाल लिए जाते. एसपी के अनुसार, एनसीआरपी पोर्टल पर सर्च से कर्नाटक, महाराष्ट्र, यूपी, केरल, आंध्र, तमिलनाडु, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, तेलंगाना, मणिपुर, झारखंड, बिहार, बंगाल और पंजाब जैसे 18 राज्यों में 37 शिकायतें मिलीं.
पकड़े गए नाइजीरियाई के नाम पर कर्नाटक के उदुपी में एक साइबर केस भी दर्ज है. ममता और संगीता नेपाल मूल की हैं. वे नौकरी की तलाश में दिल्ली पहुंचीं. वहां पहले से बसी नेपाली महिला निर्मला ने उन्हें नाइजीरियाई से जोड़ा. फिर नाइजीरियाई ने उनके दिल्ली-नोएडा पते पर नकली आधार-पैन कार्ड बनवाए. इन महिलाओं ने लालच देकर खुद और दूसरों के नाम से 100 से ज्यादा बैंक खाते खुलवाए, जिनका साइबर लूट में इस्तेमाल हुआ.
नाइजीरियाई इन दोनों को मासिक डेढ़ लाख रुपए देता था, साथ ही उनके रहने-खाने का खर्च भी वहन करता. गिरोह में ऐसी कई अन्य महिलाएं भी शामिल रहीं. गिरोह का मुखिया छिनवेओके एनमनुएल कनु नाइजीरिया का निवासी है. एसीपी क्राइम सुभाष चंद्र गंगवार के मुताबिक, कनु 2018 में भारत आया और दिल्ली में ट्रैवल एजेंसी शुरू की. कारोबार ठीक चल रहा था, लेकिन 2020 के लॉकडाउन ने सब बर्बाद कर दिया. तब उसने ठगी का रास्ता अपनाया.
दिल्ली के उत्तम नगर वेस्ट में ठिकाना जमाकर देशभर में नेटवर्क फैलाया. नकली दस्तावेजों से नेपाली लड़कियों को जोड़कर 20 से ज्यादा खाते खुलवाए. कनु ने साइबर ठगी शुरू की. कर्नाटक में 2022 में उसके खिलाफ पहला केस दर्ज हुआ. दिल्ली से गिरफ्तार होकर जेल गया, लेकिन रिहा होने के बाद फिर गिरोह खड़ा किया. मुरादाबाद की एक टीचर के केस ने इस नेटवर्क को बेनकाब किया.
टीचर ने शादी.कॉम पर प्रोफाइल डाली, तो अमेरिकी डॉक्टर बनकर कॉल आया. शादी का प्रस्ताव देकर भारत बसने की बात की. दो दिन बाद गिफ्ट भेजने का वादा. फिर एक महिला ने एयरपोर्ट से कॉल की, पार्सल में सोना-मुद्रा होने का दावा. कस्टम क्लियरेंस के नाम पर 34 हजार लिए. फिर गैरकानूनी सामान का हवाला देकर जेल की धमकी. आखिरकार टीचर से 94.78 लाख ठग लिए.
टीचर ने पुलिस को सूचना दी. जांच में गिरोह फंस गया. साइबर थाना इंचार्ज मनोज परमार ने बताया कि टीचर के खाते में 16.12 लाख लौटा दिए गए हैं. बाकी रकम के लिए बैंक और एजेंसियों से कोशिश जारी है. साइबर अपराधी नेटवर्क लंबे समय से सक्रिय था. लूटी गई रकम से क्रिप्टोकरेंसी खरीदी जाती, फिर नाइजीरिया में स्थानीय मुद्रा में बदल ली जाती. पुलिस ने तीनों आरोपियों से 16 डेबिट कार्ड, 10 फोन, तीन पीओएस मशीन, 17 चेकबुक, 12 आधार, 8 पैन, पांच सिम, पांच मेट्रो कार्ड और 50 हजार नकद जब्त किए. गिरोह के लोग कई भाषाएं बोलते थे.
बातचीत में विदेशी एक्सेंट और प्रोफेशनल छवि से भरोसा जीतते. नौकरी-शादी-निवेश का चक्कर देकर पैसे सेंकते. रकम छिपाने के लिए 10% मुनाफे का लालच देकर औरों के खाते भी इस्तेमाल करते. जांच से साफ हुआ कि नेटवर्क 18 राज्यों में फैला था. दिल्ली, नोएडा, मुंबई, बैंगलोर, लखनऊ, जयपुर जैसे शहरों में सक्रिय. नेपाली महिलाओं को शामिल कर खाते आसानी से खुलवाए.
पुलिस ने कनु सहित दो नेपाली महिलाओं को पकड़ा. पूछताछ से कई राज खुले. साइबर टीम अब दूसरे राज्यों में नेटवर्क की पड़ताल कर रही. अनुमान है कि गिरोह ने हजारों को लूटा. साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि अपराधी आधुनिक टूल्स, नकली आईडी और फर्जी कागजात से करोड़ों का खेल खेल रहे. पुलिस ने लोगों से अपील की कि अनजान कॉल पर नौकरी-शादी-निवेश के नाम से पैसे न दें. संदेहास्पद संदेश पर तुरंत 1930 हेल्पलाइन पर रिपोर्ट करें.