नई दिल्ली: दिल्ली बीजेपी से लेकर लखनऊ तक चर्चा है कि योगी को दिल्ली बुलाया जाएगा? लेकिन क्या ये सच में होने वाला है? अगर योगी को दिल्ली बुलाया जाता हैं तो उन्हें कौन सी कुर्सी मिलेगी? कुछ लोगों के मन में सवाल है कि योगी को साइड करने की पूरी तैयारी है? पिछले एक महीने में योगी ने कई बार मठ जाने की बात कहकर हर किसी को चौंका डाला है? तो सवाल है योगी आदित्यनाथ की कुर्सी के पीछे कौन पड़ा है? क्या उन्हें दिल्ली भेजा जाएगा? क्या उन्हें हटाने और फिर से घेरने की तैयारी है? जब पूरा देश योगी-योगी कर रहा हैं तो फिर बीजेपी में योगी को हटाने और यूपी से हटाकर दिल्ली भेजने का सवाल कहां से आया?
योगी का कद इतना बढ़ चुका है कि यूपी के कई दिग्गज नेताओं को RSS साइड करने की तैयारी में है? यहां तक कि कई ताकतवर नेताओं के विभाग पर भी योगी पर करतने वाले हैं? बीजेपी विधायक श्याम प्रकाश दावा करते हैं कि योगी दिल्ली चले जाएं? और केशव मौर्य यूपी की कुर्सी संभाल लें? हरदोई विधायक का ये बयान भूचाल लाने वाला है...सवाल ये है कि क्या योगी को अभी भी पार्टी में किसी अग्निपरीक्षा से गुज़रना होगा? मोदी-शाह की जोड़ी अयोध्या से लोकसभा चुनाव अयोध्या से हार जाती है, लेकिन योगी ने उस हार का बदला लेते हुए सपा का तंबू उखाड़ फेंका? अखिलेश यादव के PDA का नारा भी ख़त्म होता दिखाई दे रहा है? योगी ने हिन्दुओं को एक करके दिखा दिया कि उन्हें किसी जाति की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि वो हिन्दुओं के नेता हैं? हरदोई विधायक कहते हैं....
मेरे मन में एक बात आती है कि बाबा दिल्ली चलें जाएं और केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश संभालें? मैं जो कह देता हूं...वो होता जरूर है, इसलिए एक दिन ये जरूर आएगा कि योगी दिल्ली चले जाएंगे और केशव यूपी के मुख्यमंत्री बन जाएंगे? इतिहास गवाह बनेगा, केशव प्रसाद मौर्य केवल उत्तरप्रदेश के नेता नहीं देश के लाखों दिलों पर राज करने वाले नेता हैं.
इस एक बयान का मतलब क्या है? हम आपको समझाते हैं? दरअसल योगी के हाथ में बीजेपी की पूरी ताकत आ गई है? यूपी में जो भी योगी के विरोधी थे उनकी एक नहीं चल रही है, योगी को हटाने और उन्हें दिल्ली भेजने का सपना जो लोग भी पालने लगे हैं, ये उनकी अपनी गलतफहमी है, क्योंकि योगी के पाले में गेंद है...
यूपी की मुस्लिम बाहुल्य सीट पर भी योगी का सिक्का चला? ये सब आपको इसलिए बताना ज़रूरी है क्योंकि योगी को दिल्ली भेजने वालों की आंखों में ये नतीजे चुभने लगे हैं? योगी का कद जिस हिसाब से बढ़ा है, उससे RSS गदगद है...योगी को फ्रंट लाइन पर काम करने का मौका मिला है, इस बात से समाजवादी पार्टी में भूचाल है, अखिलेश यादव योगी को घेर नहीं कर पा रहे हैं तो क्या बीजेपी में बैठे कुछ लोगों से बयान दिलवा रहे हैं? ऐसा सवाल भी सोशल मीडिया पर छाने लगे हैं? 2027 में अगर अखिलेश यादव चुनाव नहीं जीते तो बतौर मुख्यमंत्री उम्मीदवार उनकी तीसरी करारी हार होगी, इसके बाद उनका खड़ा होना मुश्किल हो जाएगा! यादवों में भी योगी की लोकप्रियता बढ़ रही है,क्योंकि जब भी बात राष्ट्र, भारत के प्रचीन इतिहास और गौरवमयी गाथा की आएगी, यादव सबसे पहले सनातनी रक्षक के तौर पर खड़े होते हैं, इसलिए योगी अपने विरोधिय़ों को बार-बार कहने लगे हैं कि मुझे सत्ता की कोई ज़रूरत नहीं है, मैं श्रीराम के लिए सत्ता को त्याग सकता हूं....
अब योगी का कद इतना बड़ा हो चुका है कि उनके विरोधी कोई भी प्रयोग कर लें, छल और कपट की सियासत काम नहीं आने वाली है, क्योंकि जनता समझदार होती है, उसने डिसाइड कर लिया है, संभल की तरह देश का सच बाहर आना चाहिए, भारत का इतिहास फिर से लिखा जाना चाहिए, ये काम कोई अगर कर पाएगा तो वो सिर्फ योगी हैं, और योगी को हटाने वालों को ये बात पता होनी चाहिए कि 30 साल का इतिहास बताता है, ऐसे बहुत लोग आए और गए जो योगी को मिटाना और हटाना चाहते थे, पर न वो योगी को हटा पाएं, न उन्हें मिटा पाएं,