जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आतंकियो से मुठभेड़ में भारतीय सेना के 5 जवान शहीद हो गए थे. उसी मामले में पुलिस ने आतंकियों के दो मददगार को गिरफ्तार कर लिया है. दोनों आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा हुआ है. पुलिस की तरफ से जानकारी दी गई है कि इन दोनों ने ही सेना के काफिले पर हमला करने वाले आतंकियों को खाना और वाईफाई उपलब्ध कराया था. आतंकियों ने उसी वाईफाई का इस्तेमाल कर बॉर्डर पार बैठे हैंडलर से बातचीत की थी.
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जानकारी दी है कि गिरफ्तार किए गए संदिग्धों की पहचान लियाकत और राज के रूप में की गई है. बता दें कि 8 जुलाई को हमले के बाद पुलिस ने करीब 100 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की थी, इस दौरान आतंकियों के मददगारों का पता चला था, जिसके बाद पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस को उम्मीद है कि दोनों की गिरफ्तारी के बाद कई राज खुल सकते हैं.
बता दें कि 8 जुलाई को जम्मू-कश्मीर से सेना के 5 जवानों की शहादत की ख़बर जैसे आई पूरा देश गम में डूब गया था. गुस्से से भरा हर दिल पूछ रहा था चुनाव में तो पीओके की बात कर रहे थे, लेकिन चुनाव बाद अपने जवानों की शहादत का बदला भी नहीं ले पा रहे हैं. ये घटना जब हुई तो सेना के जवान गाड़ी से जा रहे थे. उनकी ही गाड़ी को देश के दुश्मनों ने घेर लिया और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी.
हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद की शाखा कश्मीर टाइगर्स ने बकायदा प्रेस नोट की तरह एक लेटर जारी किया, जिसमें अंग्रेजी में लिखा था 'कठुआ के बदनोटा में जो भी हुआ, उसकी जिम्मेदारी कश्मीर टाइगर्स लेती है. मुजाहिदीन ने इसे इतने शातिर तरीके से अंजाम दिया कि हमें कोई नुकसान नहीं हुआ. 26 जून को डोडा में तीन लोगों के साथ सुरक्षाबलों ने जो किया, ये उसका बदला था.'
कड़ी कार्रवाई की हुई थी मांग
अब अगर देश के दुश्मन हमारे जवानों से बदला ले रहे हैं, पाकिस्तान की शह पर इतनी बड़ी हिमाकत कर रहे हैं तो फिर हमारी सरकार को भी सेना को खुली छूट देनी होगी. हर बार कड़ी निंदा से काम नहीं चलता. इसीलिए इस बार राष्ट्रपति से लेकर रक्षामंत्री तक ने इस घटना पर दुख तो जताया है साथ में पैराकमांडो को भी घाटी में उतारने के आदेश दिए. पैराकमांडो के जवान हेलीकॉप्टर की मदद से उनकी लोकेशन तलाश रहे हैं. जंगलों में स्निफर्स डॉग की पूरी टीम घूम रही है. मेटल डिटेक्टर और UAV ड्रोन की मदद से उन दहशतगर्दों का ठिकाना ढूंढा जा रहा है, जिन्होंने हिंदुस्तान की सेना को सीधा चैलेंज किया है.
पैराकमांडो उतारा गया
ये वही पैराकमांडो हैं, जिन्होंने ऊरी की घटना का बदला लिया था और पाकिस्तान की सीमा में घुसकर कई लॉन्च पैड तबाह कर दिए थे. फिलहाल ये घाटी में उतरकर देश के दुश्मनों की तलाश कर रहे हैं. अगर सीमापार भी लॉन्च पैड एक्टिव मिला तो एक्शन हो सकता है.
25 दिनों में 5 बड़ी घटना
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के डोडा में 12 जून को 2 और 26 जून को एक बड़ी घटना हुई है. कठुआ में 11 जून को पहला और 8 जुलाई को दूसरी बड़ी घटना हुई है, जिसने देश के लोगों को हिला कर रख दिया है. यानी पाकिस्तान हर बार एक ही गलती दोहरा रहा है. इन सबके तार पाकिस्तान से जुड़े हैं, लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस बार तो उसने इतनी बड़ी गलती है कि सीमापार से वो ड्रोन भेज रहा है.
घाटी में सर्चा अभियान जारी
इस घटना के बाद जब उसे पता चला कि घाटी में पैराकमांडो उतर चुके हैं. हर जंगल और उस संभावित घर की तलाशी ली जा रही जहां देश के दुश्मनों के छिपे होने की जानकारी हो तो वो सीमापार से ड्रोन भेजकर उनकी मदद करने की कोशिश कर रहा है और इसमें उनकी मदद की है जम्मू-कश्मीर के कुछ उन लोगों ने जिन्हें हिंदुस्तान से ज्यादा पाकिस्तान प्यारा लगता है.
5 के बदले 50 की है मांग
बताया जा रहा है कि ये आतंकी जंगल, नदी और नाले से घिरी चोर गली का इस्तेमाल कर पाकिस्तान से घुस रहे हैं. ISI और पाकिस्तानी आर्मी की मदद से इन्होंने हिंदुस्तान में घुसपैठ करने की कोशिश की है और कुछ लोकल गाइड ने उनकी छिपने में मदद की फिर इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया गया. इसीलिए लोकल मुखबिरों और स्लीपर सेल के उन ग्राउंड वर्कर्स की तलाश में पैराकमांडो जुटे हैं, जिन्होंने देश के खिलाफ साजिश रची. पर इस ऑपरेशन से ज्यादा हिंदुस्तान को इंतजार इस बात का है कि पीएम मोदी जो पहले कहते थे कि 10 के बदले 100 लाएंगे, वो अब 5 के बदले 50 कब लाएंगे.