क्या योगी आदित्यनाथ के दुश्मन कुछ ऐसा प्लान बना रहे हैं, जिसकी भनक योगी को नहीं है, क्या यूपी में कुछ ऐसा हो रहा है, जिसकी जानकारी लखनऊ तक ठीक से नहीं पहुंच पा रही है, कुछ घटनाएं इस ओर इशारा करती हैं, जिन्हें सुनकर आपको भी लगेगा दया कुछ तो गड़बड़ है, आखिर जिस अयोध्या से बीजेपी को अपना अस्तित्व हासिल हुआ, उसी अयोध्या में क्या बीजेपी को सत्ता से दूर करने वाली प्लानिंग बन रही है. और उसका पहला चरण सफल हो चुका है. बीते तीन महीने में रामजन्मभूमि अयोध्या से तीन ऐसी ख़बरें सामने आई जिसने सीधा-सीधा योगी पर सवाल खड़े कर दिए और विपक्ष ने इस पर खूब सवाल उठाए.
सबसे पहले 4 जून को बीजेपी अयोध्या हार जाती है, यानि फैजाबाद लोकसभा सीट पर उसकी हार होती है. उसके बाद जैसे ही बारिश का मौसम आता है, राम मंदिर के गर्भगृह में पानी घुसने की बात सामने आती है, वहां के मुख्य पुजारी ये गंभीर आरोप लगाते हैं, दिल्ली से लेकर दुबई तक और अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक इस बात की चर्चा होने लगती है कि मंदिर निर्माण में जल्दबाजी की वजह से वाटर प्रूफिंग का काम सही से नहीं हो पाया. पर बाद में सच्चाई कुछ और सामने आती है. कुछ लोग कहते हैं राम मंदिर निर्माण पर सवाल उठाकर कुछ लोगों का मकसद सीधा मोदी-योगी पर सवाल उठाना था, पर ये सवाल जैसे-तैसे खत्म हुआ, उसके बाद ख़बर आती है लाइट चोरी की.
ऐसी जानकारी सामने आती है कि अयोध्या विकास प्राधिकरण ने ठेके के तहत फर्म यश एंटरप्राइजेज और कृष्णा ऑटोमोबाइल्स को टेंडर दिया था. जिसके तहत राम पथ के पेड़ों पर 6400 बैम्बू लाइट और भक्ति पथ पर 96 गोबो प्रोजेक्टर लाइट लगनी थी. जिनकी कीमत करीब 50 लाख थी. कुछ दिन पहले ही ये ख़बर सामने आती है ये लाइटें चोरी हो गईं.
फर्म के प्रतिनिधि शेखर शर्मा कहते हैं 19 मार्च तक सभी लाइट लग चुकी थीं, लेकिन नौ मई को निरीक्षण के बाद पता चला कि कुछ लाइट गायब हैं. पर सवाल तब उठे जब अगस्त महीने में इसका मुकदमा दर्ज करवाया गया. योगी सरकार का भी दिमाग इस बात पर हिल गया कि जहां की सुरक्षा में हमने एनएसजी कमांडो उतारे हुए हैं, जहां एक पत्ता भी ऐसे नहीं हिल सकता, वहां इतना बड़ा खेल कैसे हो गया, यूपी पुलिस जांच करती है, और उसके बाद सीएम योगी जो बयान देते हैं, उसे सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे. सीएम योगी कहते हैं वो लाइटें कभी लगी ही नहीं.
एक दिन दूसरी न्यूज आती है कि अयोध्या में धर्मपथ और रामपथ पर लाइट चोरी है. यानि अयोध्या की जनता और अयोध्यावासियों को कटघरा में खड़ा करने का प्रयास ये विपक्षी दल के लोग करते हैं. सच्चाई ये थी कि वेंडर को मार्च तक स्ट्रीट लाइट लगानी थी, चुनाव के कारण नहीं लगाया. बाद में विपक्षी दलों के साथ मिलकर इसने साजिश रची कि पैसा निकाल सके, नहीं हो पाया तो उसने ई कंप्लेन कर दी. लेकिन अब वेंडर ही शिकंजे में आ गया है और अब उनके आकाओं को भी शिकंजे में लेंगे.
अब उस ठेकेदार का आका कौन है, जो अयोध्या के बहाने योगी की छवि को खराब करना चाहता है, उसकी तलाश में पुलिस जुटी हुई है, क्योंकि ये पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि सीएम योगी तक ये तक कहते हैं कि जिन लोगों को अयोध्या का ये विकास अच्छा नहीं लगता, उन लोगों ने सोशल मीडिया हैंडल का उपयोग कर दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया. एक दिन आया 13 हजार एकड़ लैंड तीन लोगों को आवंटित कर दी गई. पर अयोध्या में प्रॉपर 13 हजार एकड़ लैंड है, ऐसी कोई लैंड ही आवंटित नहीं हुई, ऐसे में फेक न्यूज से सतर्क रहें, और हमारा काम है आपको 16 आने सच ख़बरें दिखाना, इसलिए सच्चाई जानें और लोगों को भी उससे रुबरू करवाएं.