उदयपुर: राजस्थान के खूबसूरत झील नगरी उदयपुर स्थित मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुनीता मिश्रा के एक सेमिनार भाषण ने स्थानीय स्तर पर तीखी बहस छेड़ दी है. शुक्रवार को शहर के बप्पा रावल सभागार में हुए कार्यक्रम के दौरान प्रो. मिश्रा ने ऐतिहासिक शासकों का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐतिहासिक दृष्टि से महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान और अकबर जैसे शासकों की चर्चा हम अक्सर सुनते हैं. उन्होंने आगे जोड़ा कि कुछ शासक जैसे औरंगजेब भी थे, जिन्हें एक सक्षम प्रशासक माना जाता है.
इस बयान पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने कड़ा ऐतराज जताया है. संगठन के उदयपुर महानगर मंत्री पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ ने प्रतिक्रिया में कहा कि विश्वविद्यालय के शीर्ष पद पर आसीन व्यक्ति को इतिहास के संवेदनशील मुद्दों पर बोलते समय अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए. राठौड़ ने इसे छात्रों और इतिहास के शौकीनों के लिए अनुचित करार दिया, तथा मांग की कि ऐसी बयानबाजी से बचना चाहिए.
यह विवाद तब भड़का जब प्रो. मिश्रा "भारतीय ज्ञान प्रणाली: विकसित भारत 2047 के लिए रोडमैप" विषयक सेमिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर अपनी बात रख रही थीं. यह आयोजन गुरु नानक कन्या स्नातक महाविद्यालय और एसोसिएशन ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सहयोग से हुआ था. भाषण के दौरान उन्होंने भारत की प्राचीन ज्ञान धरोहर और सांस्कृतिक धन पर भी रोशनी डाली.
प्रो. मिश्रा ने जोर देकर कहा कि हमारी जीवंत परंपराएं जीवन के सही मूल्य सिखाती हैं, और भारतीय ज्ञान तंत्र इतना मजबूत है कि यह वैश्विक चुनौतियों का डटकर मुकाबला करने की ताकत देता है. उनके व्याख्यान का सकारात्मक हिस्सा पीछे छूट गया और सारी चर्चा उसी एक वाक्य पर केंद्रित हो गई, जहां उन्होंने औरंगजेब को 'कुशल प्रशासक' करार दिया.
यह टिप्पणी शहर के शिक्षा जगत और राजनीतिक मंडलों में गरमाई बहस का केंद्र बन चुकी है. जानकारों का मानना है कि शैक्षणिक मंचों पर ऐसी टिप्पणियां हमेशा संवेदनशील साबित होती हैं, इसलिए इन पर गहन विचार की आवश्यकता है. फिलहाल, मामला सोशल मीडिया और स्थानीय बहसों में भी छाया हुआ है.
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