ये संयोग है या प्रयोग! आखिर राहुल के विदेश यात्रा के बाद ही क्यों भड़कती है भारत में चिंगारी?

Amanat Ansari 27 Sep 2025 05:55: PM 4 Mins
ये संयोग है या प्रयोग! आखिर राहुल के विदेश यात्रा के बाद ही क्यों भड़कती है भारत में चिंगारी?

Rahul Gandhi foreign trip: लेह में हिंसा और बरेली में बवाल के बीच राहुल गांधी चार देशों की यात्रा पर फिर से निकल चुके हैं. यह पहली बार नहीं है, जब राहुल गांधी देश के अति महत्वपूर्ण मुद्दों को छोड़कर विदेश यात्रा पर गए हों. इससे पहले वह मलेशिया गए थे, जहां भारत का दुश्मन जाकिर नाइक रहता है, जो कभी भी भारत विरोधी बात करने से नहीं चुकता है. इस बार जब राहुल गांधी चार देशों की यात्रा पर निकले हैं, तो विपक्ष सहित तमाम भारत हितैषी लोग सवाल उठा रहे हैं. सवाल उठना लाजिम भी है क्योंकि जब भी राहुल गांधी विदेश जाते हैं तो, पूरी यात्रा को गुप्त रखते हैं. और एक दो बार जब खबर भी आती है तो वो भारत विरोधी लोगों से मिलते हुए नजर आते हैं. यह तस्वीर उन दिनों का है, जब राहुल गांधी अमेरिका गए थे और वहीं पर भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक इलहान उमर से मिले थे. ये वही इलहान उमर है, जो कश्मीर को भारत से अलग मानती है.

इतना ही नहीं राहुल गांधी अमेरिका से ही खालिस्तान समर्थक पन्नू का समर्थन भी कर देते हैं. तो सवाल उठता है कि क्या इस बार भी कोई ऐसा काम में जुटे हुए हैं, जिससे भारत में हलचल पैदा किया जा सके. क्योंकि हाल के दिनों में नॉर्थ लेकर साउथ तक, इस्ट से लेकर वेस्ट तक भारत विरोधी टूलकिट पनपने लगे हैं. आई लव मोहम्मद विवाद को लेकर जिस प्रकार से पूरे भारत को स्थिर करने की कोशिश की जा रही है, उससे लग रहा है कि इन लोगों का मकसद कुछ और ही है. ऐसे में राहुल गांधी का इस प्रकार से विदेश जाना और यात्रा को गुप्त रखना समझ से पड़े है.

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा कहते हैं, ‘राहुल गांधी चार देशों की यात्रा पर गए हैं जहां वो विश्वविद्यालयों में छात्रों के साथ संवाद करेंगे, जहां वे भारत की लोकतांत्रिक मूल्यों और वैश्विक चुनौतियों पर विचार साझा करेंगे.’ साथ ही वे कई देशों के राष्ट्रपतियों व शीर्ष नेताओं से भेंट करेंगे. और व्यापारिक समुदाय के साथ बैठकें बैठके करेंगे. यहां भी कई सवाल उठते हैं कि राहुल गांधी अगर चार देशों की यात्रा पर गए हैं, तो केवल दो देश के नाम ही क्यों बताए गए हैं. कांग्रेस और राहुल गांधी किस बात को देश से छुपाना चाहते हैं. अगर उनका मकसद भारत के लोकतंत्र पर विचार रखने और व्यापारिक नीतियों को आगे बढ़ाना का है तो, अभी राहुल गांधी सिर्फ विपक्ष के नेता हैं. ऐसे में वो किसी भी आधिकारिक डील पर साइन नहीं कर सकेत हैं. ना भारत की नीतियों पर कोई निर्णय ले सकते हैं. यहां आपको कुछ तथ्य बताते हैं, जब राहुल गांधी विदेश गए और भात में उथल-पुथल शुरू हो गई.

  • 17 दिसंबर 2019 को राहुल गांधी साउथ कोरिया दौरे पर जाते हैं वहां के प्रधानमंत्री से मुलाकात करते हैं और जनवरी-फरवरी 2020 में दिल्ली में दंगे होते हैं
  • 27 दिसंबर 2020 को राहुल गांधी अपने निजी सिक्रेट दौरे पर विदेश जाते हैं और जनवरी 2021 में तथाकथित किसान आंदोलन शुरू हो जाता है और वो लालकिले तक पहुंच कर झंडा गाड़ देते हैं
  • जून 2023 में राहुल गांधी फिर एक विदेश यात्रा पर जाते हैं और जूलाई 2023 में नूंह- मेवात में दंगे होते हैं
  • सितंबर 2025 के पहले-दूसरे हफ्ते में भी राहुल अपनी सिक्रेट यात्रा पर मलेशिया गए थे और 24 सितंबर 2025 कौ लेह में हिंसा भड़की, देशभर में I
  • Love Muhammad के पोस्टर वाला प्रयोग शुरू हुआ!
  • अब राहुल गांधी 27 सितंबर 2025 को दक्षिण अमेरिका के 4 देशों की यात्रा पर निकले हैं तो अक्टूबर 2025-  में क्या होगा…… शोसल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं?

राहुल गांधी की पिछली यात्रा की बात करें तो, जब वह मलेशिया गए थे, उसकी भी जानकारी देश के जनता को नहीं दी. मीडिया के माध्यम से सिर्फ इतना पता चला कि राहुल गांधी मलेशिया गए हैं और कुछ दिनों के बाद यात्रा समाप्ति की जानकारी दी गई, लेकिन किस मकसद से वह मलेशिया गए थे, इसकी भनक तक नहीं लगी. उल्टे देश में यह हुआ कि यूपी सहित कई राज्य सुलगने लगे. लद्दाख में अचानक से भाजपा और सरकार विरोध शुरू हो जाता है. उत्तर प्रदेश में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन शुरू हो जाते हैं. बिहार के जोगबनी में अमित शाह के दौरे से ठीक पहले हिंसा होती. उत्तराखंड में पेपर लीक को मुद्दा बनाकर सरकार विरोध बयानबाजी की जाती है. भाजपा सवाल उठा रही है कि राहुल गांधी अगर भारत के नाम से और विपक्ष के हैसियत से विदेश जाते हैं तो, उन्हें देश को बताया चाहिए था. यही सवाल भारत हितैशी कई लोग पूछ रहे हैं.

भाजपा के प्रवक्ता प्रदीप भंडारी एक्स पर लिखते हैं, 'राहुल गांधी एक बार फिर विदेशी मित्रों के साथ 'गुप्त सौदे' करने निकल पड़े हैं. ' वो कहते हैं, 'राहुल गांधी का यह दौरा भारत के लोकतंत्र और संप्रभुता के खिलाफ वैश्विक मोर्चेबंदी का हिस्सा है, जिसमें जॉर्ज सोरोस जैसे विवादास्पद चेहरों का रोल हो सकता है. ' यहां भंडारी अतीत के उदाहरण भी गिनाते हैं. और इल्हान उमर से मुलाकात, खालिस्तान समर्थक गुरुपतवंत सिंह पन्नू का समर्थन की बात भी यादल दिलाते हैं. उन्होंने यह भी इशारा किया कि जब लद्दाख के कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया, ठीक उसी समय गांधी विदेश चले गए. सवाल उठना लाजिम है, क्योंकि राहुल गांधी भारतीय होने की हैसियत से विदेश जाते हैं, और भारत की वजह से ही उन्हें मान सम्मान मिलता है. तो उन्हें अपनी यात्रा की जानकारी भी राष्ट्र को सही-सही देना चाहिए.

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