राहुल गांधी ने लोकसभा में मतदाता सूची पर चर्चा की मांग की
नई दिल्ली: लोकसभा (Lok Sabha) में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सोमवार को मतदाता सूची में कथित विसंगतियों (Discrepancy in voter list) पर सदन में चर्चा की मांग करते हुए कहा कि कई राज्यों में इसी तरह की चिंताएं जताई गई हैं. उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों (Maharashtra Assembly Election) का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा, ''हर राज्य में मतदाता सूची पर सवाल उठ रहे हैं. महाराष्ट्र में ब्लैक एंड व्हाइट मतदाता सूची पर सवाल उठे. पूरा विपक्ष बस यही कह रहा है कि मतदाता सूची पर चर्चा होनी चाहिए.''
संसद से बाहर निकलते समय पत्रकारों ने रायल बरेली के सांसद से पूछा कि क्या मतदाता सूची पर चर्चा होगी. राहुल ने जवाब दिया, ''मुझे ऐसा नहीं लगता.'' TMC सांसद सौगत रॉय (TMC MP Saugata Roy) ने हरियाणा और पश्चिम बंगाल में मतदाता सूचियों में एक जैसे इलेक्टर फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) नंबरों के उदाहरणों की ओर भी इशारा किया और इसे 'गंभीर दोष' बताया, जिसका असर बंगाल और असम में आगामी चुनावों पर पड़ सकता है.
उन्होंने चुनाव आयोग (EC) से मतदाता सूची का गहन संशोधन करने का आग्रह किया. आप सांसद संजय सिंह (AAP MP Sanjay Singh) ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर फर्जी प्रविष्टियां बनाकर मतदाता सूची में हेराफेरी करने का आरोप लगाया. उन्होंने महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में भी इसी तरह की प्रथाओं का आरोप लगाया. उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की अनियमितताएं निष्पक्ष चुनावों को कमजोर कर सकती हैं.
संजय सिंह (Sanjay Singh) ने कहा, "चुनाव आयोग और केंद्र सरकार, यानी सत्ता में बैठी पार्टी, मिलकर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके फर्जी मतदाता बना रही है. उन्होंने महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में ऐसा किया, अब उन्होंने बंगाल में भी यही शुरू कर दिया है... अगर चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं होगी... तो केवल एक ही पार्टी सत्ता में आती रहेगी और वे भ्रष्टाचार भी करेंगे."
6 मार्च को, TMC के एक प्रतिनिधिमंडल ने कोलकाता में चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और प्रत्येक मतदाता के पास एक विशिष्ट पहचान पत्र सुनिश्चित करने के लिए मतदाता सूचियों के भौतिक सत्यापन की मांग की. पश्चिम बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम (West Bengal minister Firhad Hakim) ने जोर देकर कहा कि बाहरी लोगों को राज्य में मतदान का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए.
हकीम ने मीडिया से कहा, "हर मतदाता के पास एक विशिष्ट पहचान पत्र होना चाहिए, भौतिक सत्यापन होना चाहिए और बाहरी लोगों को यहां मतदान का अधिकार नहीं होना चाहिए." पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने भी पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची में अनियमितताओं की जांच के लिए एक समिति गठित की, जिसमें भाजपा पर चुनावों में हेराफेरी करने के लिए फर्जी मतदाताओं को जोड़ने का आरोप लगाया.
बंगाल की मुख्यमंत्री ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था, "चुनाव आयुक्त के कार्यालय में बैठकर उन्होंने ऑनलाइन फर्जी मतदाता सूची बनाई है और पश्चिम बंगाल के हर जिले में फर्जी मतदाता जोड़े गए हैं. इस चाल का इस्तेमाल करके उन्होंने दिल्ली और महाराष्ट्र में चुनाव जीते हैं. महाराष्ट्र में विपक्ष इन तथ्यों का पता नहीं लगा सका. अधिकांश फर्जी मतदाता हरियाणा और गुजरात से हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा चुनाव आयोग के आशीर्वाद से मतदाता सूची में हेराफेरी कर रही है, बंगाल की संस्कृति ने स्वतंत्रता को जन्म दिया." इसके जवाब में, चुनाव आयोग ने 2 मार्च को एक स्पष्टीकरण जारी किया, जिसमें कहा गया कि समान EPIC संख्या फर्जी या डुप्लिकेट मतदाताओं का संकेत नहीं देती है. चुनाव आयोग ने एक बयान में स्पष्ट किया, "EPIC संख्या के बावजूद, कोई भी मतदाता अपने राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में अपने निर्दिष्ट मतदान केंद्र पर ही वोट डाल सकता है, जहां वे मतदाता सूची में नामांकित हैं और कहीं और नहीं."
बयान में कहा गया है, "विभिन्न राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के कुछ मतदाताओं को समान EPIC संख्या/श्रृंखला का आवंटन सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के मतदाता सूची डेटाबेस को ईआरओनेट प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित करने से पहले अपनाई गई विकेन्द्रीकृत और मैनुअल प्रणाली के कारण हुआ. इसके परिणामस्वरूप कुछ राज्य/संघ शासित प्रदेशों के सीईओ कार्यालयों ने एक ही EPIC अल्फ़ान्यूमेरिक श्रृंखला का उपयोग किया और विभिन्न राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं को डुप्लिकेट EPIC संख्या आवंटित किए जाने की संभावना बनी रही."