नई दिल्ली: 28 जुलाई 1987 की रात। दिल्ली के 7 रेसकोर्स रोड यानी प्रधानमंत्री आवास पर एक मीटिंग होती है. इस मीटिंग में जो शख्स आया था उसे तत्कालीन पीएम राजीव गांधी अपनी बुलेटप्रुफ जैकेट देते हैं, कहते हैं कि अपना ध्यान रखिए, लेकिन राजीव गांधी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिसे वो अपनी बुलेटप्रुफ जैकेट दे रहे हैं, जिससे अपना ध्यान रखने की कह रहे हैं, वही उनके लिए जानलेवा साबित होगा.
LTTE प्रमुख प्रभाकरण से की थी मुलाकात
दरअसल ये मीटिंग लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण के साथ थी, और मीटिंग खत्म होने के बाद जाते समय उसे ही राजीव गांधी ने अपनी बुलेटप्रुफ जैकेट दी थी. श्रीलंका उन दिनों गृहयुद्ध की आग में जल रहा था. इस विद्रोह की अगुआई लिट्टे का लीडर प्रभाकरण कर रहा था. भारत अपने पड़ौसी देश में शांति स्थापित करना चाहता था. यही वजह थी कि राजीव गांधी ने जाफना में दो हेलिकॉप्टर भेज कर प्रभाकरण को दिल्ली बुलाया था. जहां पीएम आवास पर करीब डेढ़ घंटे ये मीटिंग चली थी. इस मीटिंग में प्रभाकरण ने सभी शर्तों पर हामी तो भर दी थी लेकिन किसी कागज पर दस्तखत नहीं किये थे
उस समय भारत के विदेश मंत्री रहे नटवर लाल ने बताया था कि जब प्रभाकरण मीटिंग खत्म करके जा रहा था, तभी राजीव उसे रोकते हैं और अपनी बुलेटप्रुफ जैकेट उसे देते हए कहते हैं कि अपना ध्यान रखिए. क्योंकि राजीव को प्रभाकरण की जुबान पर पूरा भरोसा था. जबकि बाकी लोगों को प्रभाकरण पर भरोसा नहीं था. खुद सीनियर जर्नलिस्ट एमआर नारायरणस्वामी ने लिखा है कि
“प्रभाकरन के साथ मुलाकात से राजीव गांधी काफी खुश थे। प्रभारन ने उन्हें शांति बहाली के लिए अश्वासन दिया। बालासिंघम ने मुझे बताया कि हमने प्रस्ताव को माना है, लेकिन मुझे लगता है कि वो दिल से इसके लिए तैयार नहीं थे”
मीटिंग के 4 साल बाद राजीव की हत्या
1989 में भारत में आम चुनाव होते हैं, लेकिन बोफोर्स के मुद्दे की वजह से कांग्रेस चुनाव हार जाती है. बीजेपी के समर्थन से जनता दल की सरकार बनती है, वीपी सिंह देश के पीएम बनते हैं. वो श्रीलंका से भारतीय सेना को वापस बुला लेते हैं, जिसे शांति बहाल करने के लिए राजीव गांधी ने श्रीलंका भेजा था. लेकिन अक्टूबर 1990 में बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लेती है. और कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर प्रदानमंत्री बने. लेकिन ये अल्पमत की सरकार भी ज्यादा दिन चल नहीं पाती. 1991 में चुनाव की सुगबुगाहट होने लगती है. और माना माना जा रहा था कि राजीव गांधी फिर से पीएम बनेंगे. उधर लिट्टे को डर सताने लगा था कि कहीं राजीव पीएम बन गए तो दोबारा से फोर्स श्रीलंका में भेज दी जाएगी. और फिर प्रभाकरण राजीव गांधी की हत्या का प्लान बनाता है.
पूरी प्लानिंग के साथ हुआ राजीव की हत्या
21 मई 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में राजीव गांधी की रैली हो रही थी, जहां पहले से ही लिट्टे की सुसाईड बॉम्बर मौजूद थी. रात करीब 10 बजकर 10 मिनट पर राजीव गांधी श्रीपेरंबदूर पहुंचे. पुरुष समर्थकों से मिलने के बाद राजीव महिलाओं की तरफ बढ़ते हैं. जहां करीब 30 साल की एक लड़की हाथ में चंदन का हाल लिए खड़ी थी. महिला पुलिसकर्मी ने उसे राजीव के पास जाने से रोका तो राजीव कहते हैं की उन्हें आने दो. सुसाइड बॉम्बर धनु सीधे राजीव के पास पहुंचती है, उन्हें माला पहनाती है और जैसे ही पैर छूने के लिए झुकती है वो तुरंत ही ब्लास्ट कर देती है. और देखते ही देखते रैली में चीख पुकार मच जाती है. इस ब्लास्ट में राजीव गांधी के साथ एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है.
बाद में जब छानबीन हुई तो पता चलता है कि ये हमला प्रभाकरण ने करवाया था, जिसके बाद लिट्टे को आतंकी संगठन घोषित कर दिया जाता है. लेकिन श्रीलंका प्रभाकरण को भारत के हवाले करने से साफ मना कर देता है.