पहलगाम हमले से दुखी होकर शाहबुद्दीन बने श्यामलाल, दरगाह पर कराया सुंदरकांड का पाठ

Amanat Ansari 25 Apr 2025 05:42: PM 1 Mins
पहलगाम हमले से दुखी होकर शाहबुद्दीन बने श्यामलाल, दरगाह पर कराया सुंदरकांड का पाठ

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में एक अनोखी और चर्चित घटना सामने आई है. यह घटना कूलकर्णी नगर की है, जहां एक व्यक्ति ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से दुखी होकर न केवल हिंदू धर्म अपनाया, बल्कि दरगाह परिसर में सुंदरकांड का पाठ भी करवाया. इस घटना ने पूरे क्षेत्र में चर्चा का माहौल बना दिया है. श्यामलाल निनोरी, जो पिछले 40 सालों से सैयद निजामुद्दीन की दरगाह की सेवा कर रहे थे.

यह दरगाह ग्वालियर ऑयल मिल की जमीन पर बनी है. इन वर्षों में स्थानीय लोग श्यामलाल को मुस्लिम मानने लगे और उनका नाम शहाबुद्दीन रख दिया. श्यामलाल भी धीरे-धीरे खुद को शहाबुद्दीन के रूप में देखने लगे. लेकिन हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने उनके मन में बड़ा बदलाव ला दिया. इस हमले में कई हिंदू परिवारों की जान गई, जिससे श्यामलाल का दिल दुख से भर गया.

इस दुखद घटना के बाद श्यामलाल के मन में हिंदू धर्म की ओर लौटने का विचार आया. इस बदलाव में स्थानीय पार्षद जीतू यादव ने उनकी मदद की. जीतू यादव ने श्यामलाल को हिंदू धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद श्यामलाल ने एक अनोखा कदम उठाया. उन्होंने दरगाह परिसर में कव्वाली के बजाय सुंदरकांड का पाठ आयोजित किया. इस आयोजन का उद्देश्य पहलगाम हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देना था. इस मौके पर पार्षद जीतू यादव सहित क्षेत्र के कई लोग मौजूद थे. सुंदरकांड का पाठ सुनकर सभी ने इस अनोखे आयोजन की सराहना की.

यह घटना इसलिए भी खास है क्योंकि कुछ समय पहले इसी दहगाह को लेकर एक वीडियो वायरल हुआ था. उस वीडियो में पार्षद जीतू यादव, श्यामलाल को अवैध कब्जे और बिना अनुमति कार्यक्रम आयोजित करने के लिए फटकार लगाते नजर आए थे. लेकिन अब उसी पार्षद की सलाह पर श्यामलाल ने हिंदू धर्म और रीति-रिवाज अपनाए. इस बदलाव ने पूरे क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है. 

यह घटना न केवल श्यामलाल के व्यक्तिगत बदलाव की कहानी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे एक दुखद घटना किसी के जीवन में गहरा प्रभाव डाल सकती है. श्यामलाल का यह कदम सामाजिक एकता और धार्मिक सहिष्णुता का संदेश देता है. क्षेत्र के लोग इस घटना को लेकर उत्साहित हैं और इसे एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देख रहे हैं. यह घटना इंदौर के इतिहास में एक अनोखे अध्याय के रूप में दर्ज हो गई है.

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