क्या संकट के वक्त शहाबुद्दीन की बीवी को सनातन धर्म याद आया है. क्या ''सीवान की रानी'' माता रानी के शरण में जाकर अपने पति के पापों का प्रायश्चित करना चाहती है या हिजाब के ऊपर गले में माता रानी की चुनरी डालना हीना शहाब की कोई नई चुनावी चाल है.
ये तस्वीर कदूमसराय के ब्राह्मस्थान की है. वहां हीना शहाब भाषण दे रही हैं उनके आसपास टोपीवाले नहीं बल्कि दर्जनों भगवाधारी गमछा ओढ़े सनानती दिख रहे हैं. जिस माइक से हीना शहाब भाषण दे रही हैं वह माइक आम तौर पर पुलिस इस्तेमाल करती है. इस तरह की माइक भीड़ कंट्रोल करने के लिए होती है, ऐसे में हीना के हाथ में ये माइक कहां से आया, ये भी एक बड़ा सवाल है.
लेकिन इससे भी ज्यादा बड़ा सवाल ये है कि जिस शहाबुद्दीन से पूरा प्रदेश कांपता था, जो शहाबुद्दीन अपने एक इशारे पर बिहार की सियासत का रूख बदल देता था उसके जाते ही बीवी को दर-दर क्यों भटकना पड़ रहा है.
लालू परिवार ने सिर से हाथ क्या हटाया शहाबुद्दीन की बीवी को सियासत की सच्चाई का अंदाजा हो गया और वो लोगों से घूम-घूमकर कहने लगी कि मैं आपके भरोसे चुनाव लड़ रही हूं. लेकिन जिस हिसाब से उन्होंने गले में माता रानी की चुनरी ओढ़ी उसके बाद से कई लोग ये पूछ रहे हैं कि क्या एक माफिया की बीवी बीजेपी के नजदीक आने के लिए ऐसा कर रही है.
बिहार की सियासत के जानकार कहते हैं कि ये सिर्फ एक तस्वीर नहीं है, बल्कि लालू यादव की पूरी सियासत को हिला देने वाली कहानी है. जिस शहाबुद्दीन के सहारे लालू ने बरसों मुस्लिम वोटर्स को अपने से जोड़े रखा उसी शहाबुद्दीन की बीवी आखिर इतनी मजबूरी कैसे हो गई कि कभी भावुक होकर वोट मांगती है. तो कभी रो-रोकर कहती है कि जिस पार्टी को साहेब ने सींचा, उसे आज उसी ने हमे इग्नोर किया. इसलिए हमने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया.