RG Kar Rape Case: आरजीकर मेडिकल कॉलेज केस में 57 दिन बाद आखिरकार अदालत ने अपना फैसला सुना दिया, सियालदह कोर्ट के कमरा नंबर 210 में बैठे जज अनिर्बान दास ने उधर फैसला सुनाया, और इधर डॉक्टर बिटिया जो इस दुनिया में नहीं रही, उसके मां-बाप गुस्से से लाल हो उठे, पिता ने साफ-साफ कहा सीबीआई ने सही से जांच नहीं की, जब-जब कोई सवाल पूछा अधिकारियों ने कहां जांच चल रही है, लापरवाही इस कदर बरती गई कि बिटिया के गले पर जो निशान मिले, उसका नमूना तक जांच के लिए नहीं भेजा.
यहां तक कि मां-बाप से मुलाकात भी अधिकारियों ने सिर्फ एक-दो बार की, जो साफ इशारा करता है कुछ तो गड़बड़ है, और ये गड़बड़ क्या है, संजय रॉय के बाकी साथी अगर हैं, तो उन्हें अब तक पकड़ा क्यों नहीं गया, ये बताएं उससे पहले सुनिए कोर्टरूम के अंदर क्या-क्या हुआ, जज साहब ने अपने फैसले में क्या-क्या कहा. जज अनिर्बान दास ने कहा तुम्हें सजा मिलनी ही चाहिए क्योंकि तमाम सबूत और गवाह इस बात की पुष्टि करते हैं कि तुम दोषी हो, जिसे सुनते ही संजय ऱॉय कोर्टरूम के भीतर ही गिड़गिड़ाने लगा, हाथ जोड़कर वो कहने लगा कि मुझे फंसाया गया है, मुझे फंसाने वाले बाकी लोगों को क्यों छोड़ा जा रहा है, जिसके जवाब में जज साहब कहते हैं मैंने बारीकी से सब जांच की है, तुम्हें सजा मिलेगी. अब उसे सजा कितनी होगी इसका फैसला 20 जनवरी को होगा.
कानून के जानकार कहते हैं संजय रॉय ने जो गुनाह किया है, उसे निर्भया के दोषियों की तरह फांसी की सजा सुनाई जा सकती है, लेकिन सवाल ये है कि जिस कॉलेज में ये घटना हुई, वहां के प्रिंसिपल संदीप घोष का अब क्या होगा, देश के इतिहास में ऐसा कम देखने को मिलता है, जब किसी क्राइम के बाद उस इलाके के थाना इंचार्ज को भी गिरफ्तार किया जाए, आरजीकर मेडिकल कॉलेज के केस में सीबीआई ने ताला थाने के एसएचओ अभिजीत मंडल को भी गिरफ्तार किया है, ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि इन दोनों का क्या होगा, सीबीआई की जांच बताती है इन दोनों पर अब तक सिर्फ भ्रष्टाचार करने के सबूत मिले हैं, डॉक्टर बिटिया के साथ जो घटना हुई, उससे इनका कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन कोलकाता की सड़कों पर महीनों तक धरना देने वाले जूनियर और सीनियर डॉक्टर इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं, यहां तक कि डॉक्टर बिटिया के पिता भी कहते हैं 4 पुरुष और एक महिला की मौजूदगी की बात रिपोर्ट में लिखी है.
ऐसे में सीबीआई के हाथ उन लोगों तक क्यों नहीं पहुंच पाए, ये गंभीर सवाल है, अगर सियासत के नजरिए से देखें तो राज्य में टीएमसी की सरकार है, जबकि केन्द्र में बीजेपी की सरकार है, बीजेपी नेता शुवेंदु अधिकारी से लेकर तमाम नेता जिस तरह से बिटिया को इंसाफ दिलाने को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, और ममता बनर्जी जिस तरह से अपराजिता कानून लेकर आती हैं, ऐसा लगता है इतने संवेदनशील मुद्दे पर भी कुछ लोग सियासत में लगे थे, जिन्हें इंसाफ की बजाय अपनी सियासी रोटी सेंकनी थी, लेकिन जरा दिल पर हाथ रखकर सोचिए, क्या संजय रॉय ही इस केस में इकलौता आरोपी है, अगर हां तो फिर बिटिया के मां-बाप का दावा कागजी पुलिदों के आगे गलत है, जांच एजेंसियों के आगे भावनाओं का कोई भाव नहीं है.