सोनभद्र: खुफिया इनपुट के सहारे एटीएस ने अली रजवी नामक संदिग्ध को हिरासत में ले लिया, जिससे स्थानीय प्रशासन और फोर्स के होश उड़ गए. दावा किया जा रहा है कि यह शख्स, जो सफील सलमानी के नाम से भी जाना जाता है, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उग्रवादी विचारधारा फैला रहा था. उसके प्लान में गैर-इस्लामी धार्मिक नेताओं पर हमले की योजना शामिल थी, साथ ही एक नई 'मुजाहिदीन आर्मी' गढ़ने और शरिया नियमों को लागू करने की खतरनाक मंशा भी थी.
जांच में पता चला कि उसके संपर्क संभवतः विदेशी ग्रुप्स से प्रेरित तंत्र से जुड़े हैं, खासकर पाकिस्तान आधारित संगठनों से.इस घटना ने जिले की सुरक्षा मशीनरी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. अगर एटीएस बाहरी संकेतों पर इतनी तेजी से एक्शन ले सकती है, तो आखिर लोकल पुलिस और इंटेलिजेंस यूनिट्स चुप्पी क्यों साधे रहे? यह नाकामी महज गफलत नहीं, बल्कि सिस्टम की जड़ों में छिपी कमजोरियों का आईना है, जिसकी गहन पड़ताल जरूरी हो गई है.
एजेंसी के आंतरिक स्रोतों के मुताबिक, जल्द ही और पकड़धारियां या राज खुल सकते हैं. रजवी की हिरासत ने यह संदेह और गहरा दिया कि जिले में कौन सा तत्व इस चक्रव्यूह को संरक्षण दे रहा था. अगर यह सिद्ध हो गया, तो इलाके की शांति और प्रगति पर गंभीर संकट के बादल मंडरा सकते हैं.
अभी जिले भर में और राजनीतिक मंडलों में यही बहस छिड़ी हुई है: क्या एटीएस की तहकीकात स्थानीय सिक्योरिटी सिस्टम की असल कमियों को सामने लाएगी? और क्या फील्ड लेवल की पुलिस अपनी डगमगाई हुई साख को फिर से कायम कर पाएगी?