झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) नेता की जमानत रद्द करने की मांग की गई थी और कहा कि झारखंड हाईकोर्ट का आदेश तर्कसंगत है. न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हम आरोपित आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि चूंकि न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियां जमानत के संबंध में हैं, इसलिए वे ट्रायल जज को ट्रायल के चरण या किसी अन्य कार्यवाही में प्रभावित नहीं करेंगी.
ED की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत रद्द करने पर जोर दिय. शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की है कि हम और कुछ नहीं देखना चाहते और अगर हम देखेंगे, तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने बहुत ही तर्कसंगत निर्णय दिया है. शीर्ष अदालत ने हाल ही में बंगलूरू में सीजेआई के भाषण का भी उल्लेख किया कि जब जमानत देने का सवाल होता है तो ट्रायल कोर्ट सुरक्षित रहते हैं.
ED ने भूमि घोटाले से संबंधित धन शोधन मामले में हेमंत सोरेन को जमानत देने के झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है. इससे पहले झारखंड उच्च न्यायालय ने कथित भूमि घोटाला मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रमुख हेमंत सोरेन को जमानत दे दी थी. सोरेन को जनवरी में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था. हेमंत सोरेन पर जालसाजी के जरिए बड़ी मात्रा में आय अर्जित करने का आरोप है.
बता दें कि गिरफ्तारी के बाद सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. जमानत के बाद सोरेन फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बन गए. तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के कुछ दिनों बाद, हेमंत सोरेन ने सोमवार को राज्य विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान फ्लोर टेस्ट जीत लिया. हेमंत सोरेन ने अपने पक्ष में 45 विधायकों के वोट के साथ विश्वास मत जीता. उन्होंने 4 जुलाई को राजभवन, रांची में झारखंड के 13वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
हेमंत सोरेन को कथित जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद लगभग पांच महीने बाद 28 जून को बिरसा मुंडा जेल से रिहा किया गया था. गिरफ्तारी के बाद सीएम का पद संभालने वाले चंपई सोरेन ने शपथ लेने के पांच महीने बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे हेमंत सोरेन के फिर से पद संभालने की संभावना बन गई थी.
चंपई सोरेन ने इसी साल 2 फरवरी को राजभवन में झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. इससे पहले एक वीडियो संदेश में हेमंत सोरेन ने भाजपा पर उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में झारखंड की जनता ने हमारी पार्टी को जनादेश दिया था, लेकिन षड्यंत्रकारियों को यह बात हजम नहीं हुई कि एक आदिवासी युवा इतने ऊंचे पद पर कैसे बैठ सकता है.