क्या योगी, मोदी से ज्यादा दूर की सोचते हैं? PFI पर योगी की बात मोदी को माननी ही पड़ी!

Global Bharat 24 Sep 2022 3 Mins 48 Views
क्या योगी, मोदी से ज्यादा दूर की सोचते हैं? PFI पर योगी की बात मोदी को माननी ही पड़ी!

योगी आदित्यनाथ जब CM नहीं बने थे तभी की बात है, देश में PFI तेज़ी से पैर पसार रहा था, उस वक्त मोदी गुजरात के CM थे, और योगी गोरखपुर के सांसद थे…देश में PFI नाम का संगठन अपनी पकड़ बना रहा था…उस वक्त पूरी बीजेपी में अकेले योगी ही थे जो हमेशा कहते PFI को बैन नहीं किया गया तो मुश्किल होगी…पिछले साढ़े आठ साल से मोदी सत्ता में हैं, डोभाल उनके साथ हैं, शाह तीन साल से गृहमंत्री हैं, लेकिन PFI पर एक्शन प्लान थोड़ा लेट हो गया! जब केंद्र में योगी की बात PFI को लेकर नहीं सुनी जा रही थी तो उन्होंने UP में एटीएस कमांडो सेंटर का प्लान बनाया, जो कामयाब भी रहा…ये बात 16 साल पहले की है…एक तरफ देश में योगी का कद बढ़ रहा था…दूसरी तरफ साल 2006 में केरल में PFI नाम के आतंकी संगठन की स्थापना हो रही थी…गोरखपुर में रहते हुए योगी ने भांप लिया था कि PFI देश का दुश्मन है…हालांकि मोदी सत्ता में आने के आठ साल बाद ये सोचने लगे कि योगी की बात पहले ही मान लेनी चाहिए थी…
PFI यानि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया है, 2006 में PFI का गठन हुआ. उस वक्त कांग्रेस की सरकार थी. ऐसा कहा जाता है कि मदरसों को खुली छूट के नाम पर PFI को बढ़ावा मिला. बिहार से लेकर UP के कई कनेक्शन सामने आए. 2014 में मोदी सत्ता में आए, नज़मा हेपतुल्ला को अल्पसंख्यक मंत्री बनाया गया. उस दौरान मोदी सरकार ने मदरसों के लिए ख़ूब काम किया लेकिन मदरसों के पीछे जो खेल चल रहा था वो योगी तो समझ रहे थे पर मोदी-शाह की जोड़ी नहीं समझ पा रही थी.

PFI पर योगी का अनुमान सही था,डोभाल से लेकर मोदी तक ने वहां पहुंचने में बहुत देर कर दी
2017 में योगी जब CM बने तो तब से वो लगातार PFI को बैन करने की मांग अपनी ही सरकार से कर रहे हैं, मोदी सरकार बेशक PFI के ठिकानों पर छापेमारी करवा रही है लेकिन आज तक इस संगठन पर बैन नहीं लगाया गया है.CAA और NRC के दौरान योगी ने UP में पत्थर मारने वालों के फोटो लगवाते ही गृह मंत्री अमित शाह से गुहार लगाई कि PFI को बैन करना चाहिए, हालांकि उस वक्त भी शाह को ये बात ठीक नहीं लगी होगी. PFI का कनेक्शन बढ़ता गया, बिहार के फुलवारीशरीफ में PFI का काला चिट्ठा मिला कि भारत को 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने का काम चल रहा है. इसके बाद मोदी सरकार ने फाइनल प्लान बनाया, और अमित शाह की टेबल पर PFI The END नाम का ऑपरेशन शुरू हुआ, लेकिन यहां साफ होता है कि योगी आदित्यनाथ बीजेपी के किसी भी नेता ज्यादा जल्दी समझ चुके थे कि PFI के मंसूबे क्या हैं? हालांकि देर से ही सही पर जो कार्रवाई हो रही है वो बेहद दिलचस्प है!
योगी के बार-बार कहने पर मोदी सरकार को लगा कि एक बार ऑपरेशन की जिम्मेदारी डोभाल को देते हैं, जिस वक्त योगी ने शाह से गुहार लगाई थी उसी वक्त डोभाल ने PFI को लेकर पहला कदम उठाया था…दिल्ली के शाहीन बाग में CAA-NRC के नाम पर देशविरोधी आंदोचलन चल रहा था…उसी का असर का था कि फरवरी 2020 को उत्तर पूर्वी दिल्ली में भयानक दंगा हो गया…इसके बाद डोभाल शाहीन बाग के उस आंदोलन में गए जहां से दंगे की चिंगारी भड़की थी…जिस दौरान PFI का

आज जिस PFI के पीछे हाथ धोकर पड़ी है मोदी सरकार, उसे योगी 10 साल से उखाड़ रहे हैं!
PFI का पहला काम है गरीब मुस्लिम बच्चों को कट्टर बनाकर उन्हें आगे करना
बेरोज़गार युवाओं को पैसे का लालच देकर गलत गतिविधियों में शामिल करना
हिन्दुस्तान के उन जगहों पर काम करना जहां अल्पसंख्यकों की आबादी ज्यादा है!
भारत में बार-बार आन्दोलन को भड़काना, देश की तरक्की में बाधा बनकर आना!
दंगे से लेकर आतंकी हमले तक में भी कनेक्शन आता है, टेरर फंडिंग मेन काम है
पाकिस्तानी आतंकी संगठन से PFI के कार्यकर्ता कनेक्ट रहते हैं, जिसके सबूत हैं
योगी आदित्यनाथ ये सब बात पहले ही जानते थे या भांप चुके थे, वो अगर आज PM होते या गृह मंत्री होते तो PFI को कबका बैन किया जा चुका होता, क्योंकि एक नहीं कई सबूत हैं, फिर भी किस बात का इंतज़ार है? आधी रात को NIA की टीम ने देश के 11 राज्यों से 100 ज्यादा PFI के एक्टिव कार्यकर्ताओं को पकड़ा है, जिसका राजस्थान में विरोध भी हो रहा है…इस बार एक्शन तगड़ा हो रहा है तो PFI के नाम पर कई मुस्लिम देशों को भी बुरा लग सकता है…हालांकि आप इतना अंदाजा लगा लीजिए, जो व्यक्ति सांसद रहते उस संगठन को बैन करने की बात कर रहा हो जिसे PM रहते मोदी करना चाहते हैं तो योगी में कितना दम है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है!