साल 2014 में एक किसान विष्णुदेव साईं को पीएम मोदी ने मंत्री ने बनाया. साल 2019 मोदी ने साइकिल से चलने वाले प्रताप सारंगी को मंत्री बनाया. साल 2024 पंचर बनाने वाले नेता वीरेन्द्र खटीक को सीधा मंत्री बनाया और नाई के बेटे और 10वीं पास महिला सावित्री ठाकुर को शपथ दिलवाया. यानी तीनों बार मोदी ने गरीबों को मंत्री बनाया. पर इस बार इसकी चर्चा ज्यादा हो रही है क्योंकि मोदी कैबिनेट में 4 ऐसे मंत्री बने हैं, जिन्हें खुद भी ये उम्मीद नहीं थी कि मुझे कभी दिल्ली जाने का मौका मिलेगा.
'पंचर वाले' को मोदी ने बनाया मंत्री
इस लिस्ट में नंबर 1 पर हैं वीरेन्द्र कुमार खटीक, मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से लगातार 8वीं बार जीत हासिल की है. इनके पिता पंचर की दुकान चलाते थे. बचपन गरीबी में गुजरा थोड़े बड़े हुए तो पढ़ाई का खर्चा निकालने के लिए गाड़ियों की रिपेयरिंग का काम सीखा. आज भी इलाके में स्कूटी से प्रचार करने निकल जाते हैं.
नंबर 2 पर हैं बिहार के गया जिले के रहने वाले जीतनराम मांझी. मांझी ने काफी दुख झेले है, न खाने के लिए अनाज था न पहनने के लिए कपड़े. जिस साल जन्म हुआ उसी साल बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई कि पूरे परिवार को बरगद के पेड़ पर चढ़कर जान बचाई. स्लेट के टूटे हिस्से पर पहाड़ा याद करना पड़ा. किसी तरह पढ़ाई की और किस्मत तब चमकी जब नीतीश कुमार ने सीएम बनाया और अब मोदी ने सीधा दिल्ली में मंत्री बना दिया. फिलहाल जीतनराम मांझी मोदी कैबिनेट के सबसे गरीब मंत्री हैं, जिनके पास 30 लाख रुपये है.
राष्ट्रपति ने 'नाई को बेटे' को दिलाई शपथ
नंबर 3 पर हैं रामनाथ ठाकुर, बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले रामनाथ ठाकुर के पिता कर्पूरी ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे. लेकिन कर्पूरी ठाकुर ने बचपन में काफी भेदभाव झेले थे. बिहार के ब्राह्मण और राजपूत नेता कर्पूरी ठाकुर को ये तक कहते थे कि नाई का बेटा नाई ही बनेगा. पहले कर्पूरी ने सीएम बनकर ये भ्रम तोड़ा और अब उनके बेटे को जेडीयू कोटे से मंत्री बनाकर मोदी ने ये भ्रम तोड़ा कि नाई का बेटा नाई नहीं मंत्री भी बन सकता है.
नंबर 4 पर हैं सावित्री ठाकुर, मध्य प्रदेश के धार लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार जीती हैं. पिता वन विभाग से रिटायर हैं. पति किसान हैं पढ़ाई के नाम पर इन्होंने सिर्फ 10वीं पास की है. आदिवासी समुदाय से आने वाली सावित्री को स्थानीय महिलाएं दीदी कहकर बुलाती हैं. किसी भी तरह की दिक्कत हो तो दीदी के पास दौड़ी-दौड़ी पहुंच जाती है उनका यही अंदाज दिल्ली तक फेमस है.
सांसद हो या मंत्री या फिर अधिकारी वो ऐसे ही होने चाहिए जो जनता के लिए चौबीसों घंटे तैयार रहें. मोदी जब भी शपथ लेते हैं ऐसे लोगों की लिस्ट अपने पास जरूर मंगवाते हैं. आपको याद होगा पद्मश्री से लेकर पद्म विभूषण तक बांटने का तरीका अब बदल चुका है. अब इसमें बड़े नामों की जगह छोटे नामों को ज्यादा जगह मिलती है. चाहे वो सांप पकड़ने वाले गोपाल और सदाइयां हों या फिर फल बेचकर स्कूल खोलने वाले हरेकाला हजाब्बा.
जब राष्ट्रपति भवन में ये लोग नंगे पांव साधारण कपड़ों में सम्मान लेने पहुंचते हैं तो दुनिया के बीच साफ संदेश जाता है. सूटबूट वालों से भी बढ़िया काम अगर सामान्य कपड़े वाले करें तो उसे भी सम्मान मिलना चाहिए. आखिर में एक सबसे जरूरी जानने वाली बात ये है कि मोदी सरकार के सबसे अमीर मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं, बल्कि आंध्र प्रदेश से आने वाले डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी हैं. जिनके पास 5700 करोड़ की संपत्ति है. जबकि सबसे युवा मंत्री 30 साल के राम मोहन नायडू हैं, जिन्हें चंद्रबाबू नायडू का करीबी भी माना जाता है.