13 अक्टूबर की शाम 6 बजे बहराइच में जो हुआ, उसके पीछे का मास्टरमाइंड कौन है, किसने कहा था घर पर भगवा झंडा लहराने वाले रामगोपाल मिश्रा को कमरे में बंद करो, जो रामगोपाल गांवों में घूम-घूमकर खाना बनाता था, उसे कमरे में बंद करवाता है, पहले पेचकस से जख्म देता है, फिर पिलास से नाखून निकाल लेता है, जो काम पुलिस थर्ड डिग्री में करती है, वो अपने एक बंद कमरे में करता है, और ये सब बताती हैं 22 साल के रामगोपाल मिश्रा की पत्नी रोली मिश्रा, जिनकी 3 महीने पहले ही रामगोपाल से शादी हुई थी.
दोनों ने इसी साल जुलाई महीने में लव मैरिज की थी, लेकिन 3 महीने के भीतर ही कुछ बिगड़ैलों की वजह से रोली के मांग का सिंदूर उजड़ गया, मां कहती है दो बेटों की पहले ही मौत हो चुकी थी, अब तीसरे को भी हैवानों ने छीन लिया, पिता को चिंता है नई-नवेली बहू का फ्यूचर क्या होगा, अब बाइक से कौन ले जाएगा. योगी इन पीड़ित परिवारों का इंसाफ का भरोसा दे रहे हैं, खुद एसटीएफ चीफ अमिताभ यश पहले पिस्टल लेकर सड़क पर उतरते हैं, और उसके बाद वहीं डेरा डाल लेते हैं, एसपी वृंदा शुक्ला कैसे लेडी सिंघम के अवतार में सड़क पर उतरती है, वो आपने भी देखा होगा, लेकिन ये हालात हुए क्यों, उस दिन बहराइच में इतनी बड़ी प्लानिंग बनाई किसने, पूरी कहानी विस्तार से आपको बताते हैं, फिर आप तय कीजिए गुनाहगार कौन है.
घटना शुरू होती है 13 अक्टूबर की शाम 6 बजे, हिंदू पक्ष मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन करने जा रहा था, तभी डीजे पर एक गाना बजता है, और दूसरा वर्ग आपत्ति जताने लगता है, बात इतनी बढ़ जाती है दोनों पक्ष एक दूसरे से भिड़ने पर उतारू हो जाते है, डीजे का शोर बचाओ, पकड़ो और मारो में बदल जाता है, कोई पत्थर फेंकता है, कोई बोतल फेंकता है, कोई घरों के अंदर से हथियार निकाल लाता है, इसी बीच एक लड़का मुस्लिम घर पर लगे हरे झंडे को उतारकर भगवा झंडा फहरा देता है, ऐसा दावा दूसरे पक्ष के लोग करते हैं, वो वहां से उतर पाता, उससे पहले ही उसे पकड़ लिया जाता है, कई लोग कहते हैं, जिन घरों से फायरिंग हुई, वहां एके-47 जैसे हथियार भी मिलेंगे, पुलिस को छापा मारना चाहिए.
रामगोपाल के दोस्त राजन मिश्रा एक इंटरव्यू में बताते हैं, जब हमने रामगोपाल को देखा वो बुरी तरह घायल था, उन लोगों ने हमारे ऊपर भी फायरिंग की, हमलोग किसी तरह बचे. हमारे छोटे भाई ने पत्थऱ उठाकर मारा तो उनके हाथ से हथियार गिर गया, इतनी देर में रामगोपाल को लेकर हमलोग छत के रास्ते दूसरे घर की सीढ़ियों से उतरे, वहां महसी के तहसीलदार की गाड़ी थी, लेकिन उन्होंने मदद नहीं की, अगर प्रशासन मदद करता तो जान बच सकती थी.
22 साल के लड़के की मौत की ख़बर पूरे इलाके में तेजी से फैलती है, रात 8 से 9 बजे तक माहौल इतना खराब हो जाता है कि पुलिस लाठी लेकर लोगों को दौड़ाने लगती है, लेकिन कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं था. रात 10 बजे बीजेपी विधायक सुरेश्वर सिंह मौके पर पहुंचते हैं, लेकिन लोग शांत नहीं होते, आधे घंटे बाद सीएम योगी खुद ट्वीट करते हैं, पूरी रात पुलिस शांति व्यवस्था बनाने की कोशिश में लगी रहती है, लेकिन मामला थमने का नाम नहीं लेता, सोमवार की सुबह 6 बजे आखिरकार रामगोपाल का पोस्टमार्टम होता है, सुबह 9 बजे उसकी अंतिम यात्रा निकाली जाती है, पूरे इलाके को पीएसी छावनी में तब्दील कर देती है.
खुद एसटीएफ चीफ अमिताभ यश हाथों में पिस्टल लेकर उतर पड़ते हैं, लेकिन फिर भी उपद्रवी नहीं मानते, बहराइच के अलग-अलग गांवों में लोग सड़कों पर उतरने लगते हैं, फिलहाल पुलिस शांति व्यवस्था स्थापित करने की कोशिश में लगी है, जबकि कुछ लोग इसे अलग रंग देने में लगे हैं, विवाद कहां जाकर थमेगा किसी को नहीं पता. पर रामगोपाल का परिवार यही चाहता है कि पुलिस ऑपरेशन मृत्युलोक चलाए, बदला पूरा हो.