नई दिल्ली: क्या योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कठमुल्लापन शब्द कहकर मुस्लिमों की भावना को ठेस पहुंचाई, या इसका गलत मतलब आपको समझाया जा रहा है? योगी ने ये बयान कोई पहली बार नहीं दिया है, साल 2022 में एक इंटरव्यू में पहली बार योगी आदित्यनाथ ने सार्वजनिक तौर पर इस शब्द का इस्तेमाल किया था और तब कहा था कोई भी बच्ची स्वेच्छा से हिजाब नहीं पहनती है. मैं भगवा पहनता हूं. पर मैं किसी पर थोपता नहीं. इस देश में औरतों के आगे बढ़ने में सबसे बड़ी बाधा कठमुल्लों की है. ये सुनते ही ओवैसी आग बबूला हो उठे, और कहा ये शब्द एक मुख्यमंत्री के मुंह से शोभा नहीं देता. ऐसे में ये समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर इसका असली मतलब क्या है.
भाषाओं पर काम करने वाली वेबसाइट www.rekhtadictionary.com पर जब आप कठमुल्लापन शब्द का मतलब ढूंढेंगे तो साफ-साफ लिखा है-कम पढ़ा हुआ मुल्ला, मुल्लाना, मस्जिद की रोटियां तोड़ने वाला. इंटरनेट पर कठमुल्ला सर्च करते ही अनपढ़ और नकली गुरु, मूर्ख मौलवी, कट्टरपंथी भी मिलता है.यहां तक कि jigyasukeeda.quora.com/ पर अरविन्द व्यास ने इसे थोड़ा और विस्तार से परिभाषित किया है, वो लिखते हैं... ये शब्द हिन्दी भाषा के काठ या संस्कृत के काष्ठ-लकड़ी के अर्थ में और अरबी भाषा के मुल्ला का सामासिक शब्द है.
वह मुल्ला जो काठ की माला फेरता है के भाव से युक्त यह शब्द कट्टरपंथी, हठधर्मी, कम पढ़ा-लिखा शिक्षक, संकुचित विचारधारा वालों का प्रतिनिधित्व करता है. योगी के बयान का मतलब भी यही था कि आप अपने बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाओ और दूसरों के बच्चों को ऊर्दू पढ़ने कहो, ये दोहरापन नहीं चलेगा, दूसरों के बच्चों को मौलवी और अपने बच्चों को डॉक्टर-इंजीनियर बनाने वाले कई नेता हैं.
कश्मीर के पत्थरबाज प्रेमी नेताओं को देखिए. महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती लंदन से पढ़कर लौटी हैं, फारुख अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला अच्छे कॉलेज से पढ़े लिखे हैं. फिलहाल जम्मू-कश्मीर के सीएम भी हैं, तो ये आपको समझना होगा कि जिन नेताओं को आप चुन रहे हैं, वो दिनों-दिन आपसे संपत्ति और शिक्षा में कितने अमीर होते चले जा रहे हैं. योगी ने जो बयान दिया है, उसकी दूरदर्शिता अगर देखें तो ये साफ है कि यूपी में नया मॉडल लागू हो सकता है. हालांकि सपा नेता आईपी सिंह ट्वीट कर दावा करते हैं कि पीएम मोदी सितंबर 2025 में रिटायर होने वाले हैं, जिसे देखते हुए बीजेपी नेताओं में होड़ मची है कि कौन देश के मुसलमानों को ज्यादा अपमानित करता है.
यूपी में लंबे वक्त से अवैध मदरसों पर कार्रवाई जारी है, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा कहते हैं सरकारी खर्चों पर मदरसों को नहीं चलाया जा सकता. यूपी के 16 हजार 500 मान्यता प्राप्त मदरसों में से 560 को आर्थिक मदद मिलती है, लेकिन योगी सरकार इस पर भी विचार कर सकती है. जिन मदरसों में पहले सिर्फ ऊर्दू पढ़ाई जाती थी. वहां अंग्रेजी और विज्ञान पढ़ाने का प्रयोग योगी सरकार ने किया, जिसके नतीजे अब चुनावों में भी दिखने लगे हैं, जिस सपा को लगता था मुस्लिम उसके ही पक्ष में रहेंगे, वो कुंदरकी और रामपुर में इसके नतीजे साफ देख सकती है.
इसलिए सियासत के जानकार कहते हैं योगी खुलकर मुस्लिमों के लिए सुधार की वकालत में लगे हैं. पसमांदा मुसलमानों को आगे बढ़ाने के काम में लगे हैं, जिसका विरोध जितना सपा करेगी, उतना ही फंसेगी. बुलडोजर, एनकाउंटर और ऑपरेशन लंगड़ा वाले प्रदेश में इस बार हिमंता मॉडल आने वाला है.
क्या है हिमंता मॉडल
यही काम यूपी में भी हो सकता है, क्योंकि योगी आदित्यनाथ ने जिस गुस्से में कहा है कि ये बच्चों को मौलवी बनाना चाहते हैं. देश को कठमुल्लापन की ओर ले जाना चाहते हैं, ये नहीं चलने वाला. यही इशारा करता है, जैसे मिट्टी में मिला दूंगा वाला बयान देकर योगी ने भूमाफियाओं में खौफ पैदा कर दिया. ठीक वैसे ही कठमुल्लापन वाला बयान देश की सियासत में नया मोड़ लाने वाला है.