नई दिल्ली: ऊपर जो तस्वीर आप देख रहे हैं, इंटरनेट पर काफी तेजी से वायरल हो रही है, लेकिन इस तस्वीर को पकड़े व्यक्ति कौन हैं, और उनके पीछे पुलिस क्यों पड़ गई है, वो जिसका फोन इस्तेमाल कर रहे हैं, उसकी भी कुंडली नेपाल की पुलिस क्यों खंगालने लगी है, जरा तफसील से पूरी कहानी सुनिए, फिर बताते हैं गोरखपुर का नेपाल से क्या नाता है, प्रदर्शन में योगी की तस्वीर नेपाल को क्यों चुभने लगी है. हाथों में सीएम योगी और वहां के पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र वीर विक्रम सिंह की तस्वीर लिए जो व्यक्ति खड़े हैं इनका नाम है प्रदीप विक्रम राणा, जिन्हें नेपाल की पुलिस इसलिए गिरफ्तार करना चाहती है, क्योंकि इन्होंने अपने देश की रैली में विदेशी नेता की तस्वीर का इस्तेमाल किया, पर पुलिस पकड़ पाती उससे पहले ही वो भागकर हिंदुस्तान आ गए.
दैनिक भास्कर से प्रदीप विक्रम राणा कहते हैं... मैंने जिस दिन पोस्टर लहराया, उसी दिन शाम को पुलिस मेरे पीछे पड़ गई. जेब में एक भी रुपये नहीं बचे हैं, रक्सौल बॉर्डर से होते हुए भारत आया. नरकटियागंज से पैसेंजर टिकट लेकर गोरखपुर पहुंचा. मैं योगी आदित्यनाथजी से कभी नहीं मिला, लेकिन वहां की जनता उन्हें बड़े हिंदू नेता के रूप में देखती है. मैंने अपने मन से उनका पोस्टर लहराया, क्योंकि हमें हर कीमत पर हिंदू राष्ट्र वापस चाहिए. सरकार चाहे तो मेरी जान ले ले. मुझ पर पैसा लेने का आरोप लगाया जा रहा है. मैंने किसी से पैसे नहीं लिए हैं, मेरे पास पैसे की कमी नहीं है. मेरा बेटा पायलट है, एक बेटी डॉक्टर है, एक बेटी विदेश में रहती है, जो CA है. मेरे घर में चार-चार गाड़ी हैं.
दरअसल, प्रदीप काठमांडु के एक सामाजिक कार्यकर्ता है, जो उन व्यक्तियों में शामिल थे, जो अपने पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र सिंह का स्वागत करने काठमांडु के एयरपोर्ट पर पहुंचे थे. लाखों की संख्या में लोग राजशाही वापस लाने के नारे लगा रहे थे, जिससे वहां की सरकार भड़क उठी और कईयों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने लगा. चीन की शह पर कुछ दिनों तक उछलने वाले नेपाल को बेवजह ये शक है कि वहां हो रहे प्रदर्शन में भारत का हाथ है. जबकि सच्चाई ये है कि साल 2008 तक नेपाल हिंदू राष्ट्र था, उसके बाद वहां तमाम आंदोलन हुए, चुनाव हुए, और लोकतंत्र स्थापित हुआ.
अब वहां की जनता अपनी सरकार से तंग आकर राजशाही वापस चाहती है, अपने देश को वापस से हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है, क्योंकि नई रिपोर्ट ये दावा करती है कि नेपाल में मुस्लिमों की आबादी तेजी से बढ़ी है, जबकि हिंदू और बौद्ध धर्म की आबादी में गिरावट आई है. करीब 14 लाख 83 हजार 60 मुस्लिम यहां रहते हैं, जबकि 81 फीसदी हिंदू हैं, ईसाई 1.76 फीसदी हैं. यहां रहने वाले करीब 11 फीसदी लोग भोजपुरी बोलते हैं, क्योंकि नेपाल का बिहार से बेटी-रोटी का नाता रहा है, गोरखपुर से तो ऐसा नाता है कि अब उसकी कहानी नेपाल में एक बार फिर चर्चा में है.
वहां लाखों की संख्या में गुरु गोरखनाथ के भक्त हैं, उन्होंने नेपाल के पहले शाह वंश के संस्थापक को आशीर्वाद दिया, जिससे राजवंश आगे बढ़ा. कहा जाता है महंत दिग्विजयनाथ ने नेपाल के राजा त्रिभुवन को सत्ता में पुनर्स्थापित करने में सहायता की थी. इसी परंपरा में योगी आदित्यनाथ और उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ ने माओवादियों के खिलाफ तथा नेपाल में राजशाही एवं हिन्दू राष्ट्र का समर्थन किया था. यही वजह है कि वहां की जनता योगी को भी खूब पसंद करती है, जिससे वहां की सत्ता में बैठी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को दिक्कत होने लगी है. वहां के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली जो चीन प्रेम में पड़े हैं, वो साफ कहने लगे हैं हम अपने यहां की रैलियों में विदेशी नेताओं की तस्वीर नहीं लगाते हैं.