मोदी के वाराणसी से एक ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसने अखिलेश यादव की नींद उड़ा रखी है. वो कभी लखनऊ से पुलिस मैन्युल मंगवाते हैं, तो कभी कानून की किताब पलटते हैं, ऐसे में इस आदेश को जारी करने वाले आईपीएस ऑफिसर के बारे में जानना बेहद जरूरी है जो पुलिस की वर्दी की बजाय जवानों को धोती-कुर्ता बंटवाता है.
ये ऑफिसर कोई और नहीं, बल्कि वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल हैं, पिता का नाम कृष्ण मोहन अग्रवाल हैं, इसलिए कई लोग कह रहे हैं पिता कृष्ण हों तो बेटा तो शिवभक्त निकलेगा ही, 1997 बैच के आईपीएस ऑफिसर मोहित अग्रवाल एक महीने पहले ही वाराणसी के पुलिस कमिश्नर बनाए गए हैं, और वहां पोस्ट संभालते ही एक ऐसा काम कर दिया, जिसकी चर्चा यूपी से लेकर दिल्ली तक छिड़ गई. ये तस्वीर खई सनातन विरोधियों के दिल में चुभने लगी.

ये जो तस्वीर आप देख रहे हैं, ये पुजारी की वेश में धोती-कुर्ता पहने ये कोई पंडा नहीं बल्कि यूपी पुलिस के स्पेशल जवान हैं, जिनकी जिम्मेदारी है काशी विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा करना, जब भी किसी तरह का खतरा होता है तो पुलिस के जवान सिविल ड्रेस में मुस्तैद हो जाते हैं, इस बात पर सवाल ज्यादा नहीं उठने चाहिए थे, क्योंकि जब मोदी केरल गए थे, तो वहां भी उनके एसपीजी कमांडो ने धोती पहनी थी, क्योंकि मसला सुरक्षा का था, पर अखिलेश यादव इस तस्वीर से काफी खफा हैं. वो ट्विटर पर लिखते हैं.
"पुजारी के वेश में पुलिसकर्मियों का होना किस ‘पुलिस मैन्युअल’ के हिसाब से सही है? इस तरह का आदेश देने वालों को निलंबित किया जाए. कल को इसका लाभ उठाकर कोई भी ठग भोली-भाली जनता को लूटेगा तो उप्र शासन-प्रशासन क्या जवाब देगा.
निंदनीय!"
हालांकि अखिलेश यादव को इसी ट्विटर पर एक रामभक्त बड़ा तगड़ा जवाब देता है, वो लिखता है रामभक्तों और कांवड़ यात्रा के विरोधियों को ये ड्रेस कोड कैसे मंजूर होगा, आपके ऊपर तो ईद का खुमार चढ़ा है. वाकई ईद के मौके पर अखिलेश यादव मौलाना साहब के साथ नजर आए थे, तो क्या मुस्लिम प्रेम के चक्कर में अखिलेश यादव काशी विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा में तैनात पुजारी की ड्रेस पहने जवानों का विरोध कर रहे हैं, अगर आप नियम पर गौर करें तो पुलिस इन चार मौकों पर सिविल ड्रेस में नजर आ सकती है.
पहला- किसी खेल-कूद या ऐसी एक्टिविटी के दौरान जहां ड्रेस में आने के निर्देश न हों
दूसरा- दोपहर या छुट्टी के दिन ऑफिस अटेंड करते समय
तीसरा- जब पुलिस सुपरिटेंडेंट या कमांडेंट ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी हो
चौथा- जब सरकारी या प्राइवेट गाड़ी से ड्यूटी ज्वाइन करने जा रहे हों
काशी विश्वनाथ मंदिर वाले मामले में ऐसी रिपोर्ट सामने आई है कि कमिश्नर साहब ने आदेश जारी किया है, कमिश्नरी सिस्टम में एसपी होते नहीं, इसलिए पुलिस कमिश्नर ही पूरे कमिश्नरी की कानून व्यवस्था को संभालते हैं, कमिश्नर साहब ने अगर आदेश दिया है, तो जाहिर सी बात है पुलिस मैन्युअल को देखकर ही दिया होगा, उसके बावजूद अखिलेश की तरह क्या आपको भी आपत्ति है, या फिर आप यूपी पुलिस के जवानों को महाकाल का भक्त बनता देख हर-हर महादेव कहना चाहेंगे, कमेंट में अपनी राय जरूर दें.