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नया-नया कप्तान बनाना कई बार कोच को महंगा भी पड़ जाता है, ऐसा ही सियासत में भी होता है और अब ये बात होने लगी है कि क्या रेखा गुप्ता का चुनाव नरेन्द्र मोदी का सही नहीं होगा. बीजेपी दिल्ली में तीन बार, उत्तराखंड में भी तीन बार मुख्यमंत्री बदल चुकी है. दिल्ली में 1993 से लेकर 1998 तक और उत्तराखंड में 2017 से लेकर 2022 तक तीन मुख्यमंत्रियों को बदला गया था. उत्तराखंड में जब सरकार बनी तो यूपी में भी सरकार बीजेपी की बनी थी, यूपी में तो योगी मिल गए, लेकिन उत्तराखंड में मोदी-शाह का चुनाव ऐसा गलत हुआ कि दो साल के भीतर ही त्रिवेन्द्र सिंह रावत को हटाना पड़ा. जबकि मुख्यमंत्री पद के सही दावेदार प्रकाश पंत थे. ठीक ऐसे ही दिल्ली में हुआ, प्रवेश वर्मा मुख्यमंत्री के दावेदार थे.
खुले तौर पर दावेदार, लेकिन मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता बन गईं, आलाकमान कुछ भी कहे विधायक अगर संतुष्ट नहीं हैं अपने मुख्यमंत्री से, तो सीएम को बदलना ही पड़ता है. ठीक यही हुआ था उत्तराखंड के भीतर. दिल्ली में मोदी ने वादा किया है कि हम विकास करके दिखाएंगे, लेकिन उस वादे को निभाने की जिम्मेदारी अब रेखा गुप्ता के कंधों पर है, अगर दिल्ली में कोई बड़ी घटना होती है, जो नहीं होनी चाहिए और उस घटना को रेखा गुप्ता ने सही तरीके से नहीं संभाला, तो विदेशी मीडिया इसे रेखा गुप्ता की असफलता नहीं, बल्कि नरेन्द्र मोदी की असफलता दिखाएगी, क्योंकि दिल्ली देश की राजधानी है. दिल्ली में क्या होने वाला है, जरा उसकी तस्वीर भी समझिए.
PWD विभाग मिला है प्रवेश वर्मा को, इस विभाग का मतलब होता है, सड़कों का निर्माण, सड़क चौड़ीकरण, घर-घर तक सड़क पहुंचाना, अब दिल्ली में जब सड़क चौड़ी होगी, तो बुलडोजर भी चलेगा, बुलडोजर चलेगा तो सीलमपुर से लेकर शाहीन बाग तक हंगामा भी मचेगा, ताहिर हुसैन जैसे लोग दिल्ली में हिंसा की ताक में बैठे हैं, दिल्ली के मुसलमानों के जरिए दुनिया को दिखाएंगे कि दिल्ली में बीजेपी हिंसा करवा रही है, मुसलमानों को मार रही है. और इसका पता मुख्यमंत्री के शपथग्रहण से कुछ दिन पहले ही चल गया था.
दिल्ली के जामिया नगर से एक आरोपी को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम गिरफ्तार करने जाती है, तो वहां पर अमानतुल्लाह खान अपने समर्थकों के साथ पहुंचकर कई हत्या के आरोपी को वहां से छुड़वा लेते हैं, और कानून व्यवस्था को खुली चुनौती देते हैं. रेखा गुप्ता को 48 घंटे सीएम बने गए है, लेकिन उस घटना का संज्ञान नहीं लिया गया. जिसका साफ इशारा है कि रेखा गुप्ता को कानून व्यवस्था कैसे बनाना है, इसकी तुरंत योगी से क्लास लेनी होगी.
दिल्ली में अगर अरविंद केजरीवाल को रेखा गुप्ता ने मुद्दा बनाने का मौका दिया, तो फिर मोदी ज्यादा खुश नहीं होंगे. क्योंकि सीएम बनते ही केजरीवाल की पूरी टीम रेखा गुप्ता को बदनाम करने के लिए पुराने भ्रामक ट्विट वायरल करवा रही है, इसलिए दिल्ली की सियासत में हालात ये हैं कि खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे. केजरीवाल जब सरकार में नहीं रहते, तो बिजली की पोल पर चढ़कर सियासत करते हैं, इसलिए तैयार रहें रेखा गुप्ता, अगर वो नहीं संभाल पाईं तो भी प्रवेश वर्मा को तैयार रहना होगा, क्योंकि कहानी उत्तराखंड की तरह ही होने की आशंका है.