नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस के सांसद और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान ने केंद्र सरकार के 'ऑपरेशन सिंदूर' विदेशी Outreach कार्यक्रम के लिए बनाए गए सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया है. सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ने तृणमूल कांग्रेस से सलाह लिए बिना यूसुफ पठान का नाम इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया था. हालांकि, सरकार ने यूसुफ पठान से सीधे संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने में असमर्थता जताई.
तृणमूल कांग्रेस के इस फैसले के पीछे यह तर्क है कि विदेश नीति पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती है. पार्टी का मानना है कि विदेश नीति से जुड़े मामलों में केंद्र सरकार को ही पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. तृणमूल के एक नेता ने एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा, "हमारा मानना है कि राष्ट्र सर्वोपरि है. हमने केंद्र सरकार को देश की सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाने का पूरा समर्थन देने का वादा किया है. हमारे सशस्त्र बलों ने देश को गौरवान्वित किया है और हम उनके प्रति हमेशा ऋणी रहेंगे. लेकिन विदेश नीति का मामला पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधीन है. इसलिए, विदेश नीति का फैसला और उसकी जिम्मेदारी भी केंद्र सरकार को ही लेनी चाहिए."
'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत आतंकवाद से निपटने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को वैश्विक मंच पर रखने के लिए सात अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल बनाए गए हैं, जिनमें 51 राजनीतिक नेता, सांसद और पूर्व मंत्री शामिल हैं. ये प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों की राजधानियों में जाकर भारत के रुख को स्पष्ट करेंगे. यूसुफ पठान को जदयू सांसद संजय कुमार झा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया गया था, जो इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर का दौरा करने वाला है. इस प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी के अपराजिता सारंगी, बृज लाल, प्रदन बरुआ और हेमंग जोशी, सीपीआई(एम) के जॉन ब्रिटास, कांग्रेस के सलमान खुरशीद और पूर्व पत्रकार मोहन कुमार भी शामिल हैं.
तृणमूल कांग्रेस के एक अन्य नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने भी इस Outreach कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता ठुकरा दिया. उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस कार्यक्रम में हिस्सा न लेने का फैसला किया. तृणमूल कांग्रेस का यह रुख दर्शाता है कि पार्टी विदेश नीति को लेकर केंद्र सरकार पर भरोसा करती है और इसे पूरी तरह से केंद्र के अधीन मानती है.
'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत भारत अपनी आतंकवाद विरोधी नीतियों को वैश्विक स्तर पर मजबूती से पेश करना चाहता है. इसके लिए विभिन्न दलों के नेताओं को शामिल कर एकजुटता दिखाने की कोशिश की जा रही है. हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के इस फैसले से यह स्पष्ट है कि पार्टी इस मामले में केंद्र सरकार को ही आगे बढ़ने देना चाहती है.