|
DM विजय किरण आनंद साल 2017 में माघ मेला का अनुभव, 2019 का अर्धकुंभ भी करवाया, 2025 में महाकुंभ की जिम्मेदारी मिली. इनकी सबसे मुख्य जिम्मेदारी थी मेले में सबकुछ शांति से करवाने की. भगदड़ मची तो क्या ये खुद से जिम्मेदारी लेंगे. CA की पढ़ाई करने के बाद 2011 में IAS बने, योगी के बेहद खास अधिकारी माने जाते हैं, योगी कार्यकाल में इन्हें मैनपुरी, वाराणसी जैसे जिलों की जिम्मेदारी मिली. महाकुंभ में अब तक सबकुछ ठीक था. VVIP मूमेंट की वजह से लोग नाराज़ थे हालांकि बाकी सब खुश थे.

सिंघण IPS तरूण गाबा प्रयागराज के कमिश्नर हैं. वहां पर उनकी जिम्मेदारी थी भीड़ को नियंत्रण में रखना, व्यवस्था बनाए रखना. 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी तरुण गाबा मूल रूप से चंडीगढ़ के रहने वाले हैं. तरुण गाबा शुरुआती दौर में केंद्र में तैनात रहे और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से यूपी कैडर में 2020 में लौटे थे. सीबीआई में भी तरुण गाबा तैनात थे. इन्होंने सीबीआई में भी अपनी खूब धाक जमाई थी और आईपीएस राकेश अस्थाना के केस में इनको भी इंचार्ज बनाया गया था. तरुण गाबा आईजी विजिलेंस का पद भी संभाल चुके हैं...होनहार हैं, योगी के ख़ास हैं, मेला में यक़ीन के साथ इनको जिम्मेदारी सौंपी गई. हालांकि अब हादसे के बाद ये योगी के लिए कुछ भी कर सकते हैं.

तीसरा नाम है IPS वैभव कृष्ण का. ये DIG महाकुंभ बनाए गए हैं, होनहार हैं. योगी के ख़ास कहे जाते हैं, DGP प्रशांत कुमार के करीबी भी माने जाते हैं. व्यवस्था बनाए रखने के लिए वो खुद कंट्रोल रूम में गए और कंट्रोलर की कुर्सी पर बैठकर हादसे के पहले भीड़ को दिशा निर्देश दे रहे थे. DIG ने पहले ही कहा था आप घाट पर ना सोएं, बैग ना रखें...यानि भागदड़ की आशंका इनको थी... वैभव कृष्ण जिस वक्त अनाउंस कर रहे हैं, उस वक्त वहां पर हर कोई बैठा था औऱ काम कर रहा था. पुलिस पर कितना दबाव था ये अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं. आज़मगढ़ में रहते हुए थाने पर छापा मारा तो पुलिस विभाग में हाहाकार मच गया, लेकिन दुर्भाग्य कि इतने होनहार अधिकारी होने के बाद, भगदड़ की आशंका होने के बाद भी वह हादसे को टाल नहीं पाए.

अब बारी आती है IPS अजय पाल शर्मा की. ये भी योगी के राइट हैंड वाले अधिकारी माने जाते हैं. कहा जाता है कि कानपुर हो या लखीमपुर हो या फिर महाकुंभ जहां योगी को लगता है मुश्किल है. अजय पाल शर्मा को भेजा जाता है. अनुभवी हैं, ताबतोड़ एनकाउंटर का अनुभव है. भीड़ नियंत्रण की कला है, लेकिन वो भी महाकुंभ में हादसे को नहीं रोक पाए. ये सभी वो अधिकारी हैं जो योगी पर आंच आने पर खुद की कुर्सी उछाल देंगे.

2013 में IPS पद पर प्रमोट हुए राजेश द्विवेदी को मेला क्षेत्र का एसएसपी बनाया गया. MBA के बाद स्टेट सर्विस में मौका मिला. योगी ने महाकुंभ की जिम्मेदारी क्यों सौंपी थी ये बात किसी को हज़म नहीं हो रही है, क्योंकि कई होनहार IPS थे जिन्हें मेला की कमान मिलनी चाहिए थी? इनकी तैनाती के बाद से ही ब्यूरोक्रेसी में कई तरह की चर्चा थी. भगदड़ के बाद इन्होंने ये तक कह दिया कि कोई भगदड़ नहीं मची है, जबकि योगी और मोदी भगदड़ की बात मान चुके थे. ये सब वो अधिकारी हैं जिनके कंधे पर महाकुंभ की जिम्मेदारी थी...

यह भी पढ़ें: महाकुंभ में भीड़ को मैनेज करना कितना मुश्किल है? इस रिपोर्ट से समझिए...
योगी ने अपनी टीम बनाई थी. ये सबकुछ तय किया था योगी के ख़ास अधिकारियों ने DGP प्रशांत कुमार और अमिताभ यश की सलाह पर मेला में इन अधिकारियों की तैनाती हुई थी...अब बात योगी की कुर्सी तक आ रही है किसकी गलती थी? कौन लापरवाही का जिम्मेदार है इसकी जांच होगी लेकिन योगी का स्टाइल कहता है अगर कोई अधिकारी गलत पाया गया तो उसपर भी एक्शन तय माना जाएगा.
यह भी पढ़ें: अखिलेश यादव से लेकर महाराष्ट्र के विरोधी योगी के पीछे! महाकुंभ में असल में हुआ क्या था?
क्योंकि महाकुंभ की कामयाबी पर एक ऐसा दाग लगा है जो योगी के दामन के साथ हर दम जुड़ा रहेगा. घटना के बाद जब योगी मीडिया के सामने आए तो उनका चेहरा देखा जा सकता है. देखकर ऐसा लग रहा था जैसे योगी रो देंगे, क्योंकि पहले महाकुंभ में आग लगना, फिर महाकुंभ में भगदड़ मचना, कोई साज़िश है या सिर्फ घटना ये सवाल भी हर किसी के मन में घूम रहा है.