शाहजहांपुर : उत्तर प्रदेश को रंगबाजों का प्रदेश कहा जाता है, यहां पर हर गली और हर मोहल्ले में कोई न कोई जरुर रंगबाज होता है. उनकी रंगबाजी सिर्फ यहां ही नहीं बल्कि थाने और चौकी पर भी होती है. तनिक सी बात होने पर मुकदमा लिखा दिया जाता है. हालांकि, रंगबाजों के प्रदेश यूपी के शाहजहांपुर में एक ऐसा गांव है, जहां 37 वर्षों से एक भी मुकदमा नहीं दर्ज हुआ है. प्रेम और आपसी भाईचारे की मिसाल कायम कर नियामतपुर गांव में आपसी मतभेद को सुलह-समझौते से खत्म करा दिया जाता है. गांव के बड़े-बुजुर्गों की मौजूदगी में यहां पर समझौता हो जाता है और लोग फैसले का पालन करते हैं.
शाहजहांपुर जिले के नियामतपुर गांव की कुल आबादी 1400 है. इस गांव में दो मजरे बिजली खेड़ा और नगरिया बहाव भी है, यहां पर 37 वर्षों से कोई भी मुकदमा नहीं हुआ है. ग्रामीणों की माने तो 1988 के बाद से अबतक गांव की कोई भी शिकायत थाने तक नहीं जा सकी है. गांव में विवाद होने के बाद भी बड़े और बुजुर्गों के द्वारा सुलझा दिया जाता है. पंचायत में दोनों पक्षों को राजी करने के बाद मामले का हल करा दिया जाता है. यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. कभी पुलिस के द्वारा भी हस्तक्षेप की नौबत नहीं आई. बड़े से बड़े झगड़ों को बातचीत के माध्यम से सुलझा लिया जाता है.
ग्राम प्रधान ने शुरू की परंपरा
गांव के प्रधान अभय यादव ने बताया कि उनके पिता के द्वारा मामले को सुलझाने के लिए पहल की गई थी. 1998 में उनके पिता जब गांव के प्रधान बने तो आपसी समझौते से विवादों को खत्म करने की परंपरा बनाई. तब से इस परंपरा का निर्वहन गांव के लोग कर रहे हैं. अभी भी गांव में विवाद होने पर बड़े बुजुर्ग बैठकर हल निकालते हैं और दोनों पक्ष उसे स्वीकार करते हैं. यहीं वजह है कि कभी पुलिस की जरूर गांव में आने की जरूरत नहीं पड़ी और न ही विवादों को खत्म करने के लिए पुलिस के हस्तक्षेप का जरुरत पड़ा.
डायल 112 हो गई वापस
गांव के रहने वाले बुजुर्ग महिपाल ने बताया कि एक बार परिवार की रिश्तेदारों में विवाद होने के बाद सूचना पर डायल 112 गांव में आ गई. गांव में जब पुलिस पहुंची तो ग्राम प्रधान सहित अन्य संभ्रात व्यक्ति भी पहुंच गए. उन्होंने खुद मामला सुलझाने को लेकर बात कहीं, जिसके बाद दोनों पक्ष राजी हो गए और पुलिस वापस चली गई. आज भी गांव में कोई भी विवाद होता है तो उसकी बातचीत के बाद समझौता कर दिया जाता है.