नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच मोकामा क्षेत्र में फैले तनाव के बीच एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है. पूर्व विधायक और जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह, जो लंबे समय से बाहुबली के रूप में चर्चित रहे हैं, को दुलारचंद यादव हत्याकांड के मामले में पटना पुलिस ने हिरासत में ले लिया. यह गिरफ्तारी बाढ़ जिले के कारगिल मार्केट से की गई, जहां अनंत सिंह छिपे हुए थे. पटना एसएसपी कार्तिकेय शर्मा के नेतृत्व वाली विशेष टीम ने रात के अंधेरे में यह कार्रवाई की, ताकि इलाके में कोई हंगामा न फैले.
30 अक्टूबर को मोकामा के तारतर इलाके में दो गुटों के बीच भारी पथराव और झड़प हुई. यह विवाद चुनावी प्रचार के दौरान भड़का, जिसमें एनडीए उम्मीदवार अनंत सिंह के समर्थक और विपक्षी गुट आमने-सामने हो गए. इस हिंसा में 75 वर्षीय दुलारचंद यादव, जो जन सुराज पार्टी के समर्थक थे, गंभीर रूप से घायल हो गए. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, उनकी मौत कुंद हथियार से लगी चोटों के कारण कार्डियोरेस्पिरेटरी फेल्योर से हुई.
दुलारचंद का आपराधिक इतिहास रहा है, लेकिन परिवार ने आरोप लगाया कि अनंत सिंह के गुर्गों ने पहले फायरिंग की और फिर वाहन से कुचल दिया. पुलिस जांच में सामने आया कि अनंत सिंह घटनास्थल पर मौजूद थे और उनके इशारे पर यह हिंसा भड़की. साथ ही, आचार संहिता का भी उल्लंघन हुआ. इस मामले में पहले 80 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया था, लेकिन मुख्य आरोपी अनंत सिंह फरार थे. आखिरकार, सरेंडर की अफवाहों के बीच पुलिस ने 1 नवंबर की देर रात को उन्हें पकड़ लिया.
उनके साथ उनके दो करीबी सहयोगी मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम भी गिरफ्तार किए गए, जो अनंत सिंह के पैतृक गांव लदमा के निवासी हैं. गिरफ्तारी के बाद गोपनीय स्थान पर क्यों रखा गया? गिरफ्तारी के तुरंत बाद अनंत सिंह को पटना ले जाया गया, लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें सीधे थाने या जेल नहीं भेजा गया. बल्कि, एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने सख्त गोपनीयता बरतते हुए उन्हें एक सुरक्षित और अज्ञात लोकेशन पर शिफ्ट कर दिया. वहां भारी पुलिस बल तैनात कर किले जैसी सुरक्षा व्यवस्था की गई.
कारण साफ था कि पिछली घटनाओं को देखते हुए पुलिस को शक था कि अनंत के समर्थक या विरोधी कोई अप्रिय घटना को अंजाम दे सकते हैं. चुनावी माहौल में मोकामा पहले से ही तनावग्रस्त है, इसलिए रात में ही यह कार्रवाई पूरी की गई. एसएसपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिर्फ इतना कहा, "अनंत सिंह को सुरक्षित स्थान पर रखा गया है."
रिमांड क्यों नहीं ली जा रही पुलिस?
अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बावजूद पुलिस ने अभी मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने या रिमांड लेने की प्रक्रिया शुरू नहीं की. इसके पीछे मुख्य वजह सुरक्षा और जांच की गहनता है. पटना डीएम त्यागराजन एसएम और एसएसपी शर्मा ने संयुक्त रूप से बताया कि पोस्टमार्टम और अन्य सबूतों की जांच सीआईडी को सौंपी गई है. चुनाव आयोग ने भी मामले की रिपोर्ट मांगी है और बिहार के एसपी ग्रामीण का ट्रांसफर कर दिया. रिमांड तभी ली जाएगी जब पूरे तथ्य स्पष्ट हो जाएं और कोई जोखिम न रहे.
फिलहाल, तीनों गिरफ्तारों को हिरासत में रखा गया है, जबकि अन्य संदिग्धों पर छापेमारी जारी है. यह गिरफ्तारी बिहार की राजनीति में भूचाल ला सकती है, खासकर 6 और 11 नवंबर को होने वाले मतदान से ठीक पहले. मोकामा सीट पर अनंत सिंह की अनुपस्थिति से जेडीयू को झटका लग सकता है, जबकि विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बना रहा है. पुलिस का कहना है कि चुनाव निष्पक्ष सुनिश्चित करने के लिए कोई कोताही नहीं बरती जाएगी.