दिल्ली में रक्षा मंत्रालय की जमीन किसने कब्जाई, खुलासा सुन उड़ जाएंगे होश

Global Bharat 04 Aug 2024 06:47: PM 3 Mins
दिल्ली में रक्षा मंत्रालय की जमीन किसने कब्जाई, खुलासा सुन उड़ जाएंगे होश

उधर पेरिस में जब मनु भाकर मेडल जीतने की खुशियां मना रही थी, तब उनके दूसरे कोच समरेश जंग, जो राष्ट्रीय पिस्टल कोच हैं. वो फोन पर अपने घरवालों से सामान जल्दी पैक करने के लिए कह रहे थे, ताकि बुलडोजर से बचा जा सके. जब घरों पर बुलडोजर चले तो सामान का नुकसान न हो. अब सवाल है जिस खिलाड़ी ने देश का नाम रोशन किया उसके दूसरे कोच के घर बुलडोजर क्यों पहुंचा. आखिर गुनाह क्या है, तो इसकी पूरी कहानी रक्षा मंत्रालय से जुड़ी है. सिविल लाइंस के खैबर पास इलाके में करीब 250 परिवार रहते हैं, जिनमें से कईयों पर ये आरोप है कि इन्होंने रक्षा मंत्रालय की जमीन कब्जाई है, वहां रहने वाले लोग कहते हैं कि 70 साल पहले हमें ये जमीन दी गई थी, पर अब हटाया जा रहा है.

मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो ये पता चला कि भूमि विकास कार्यालय ने खैबर पास की 32 एकड़ जमीन कब्जा करने वालों को 4 मार्च तक इसे खाली करने का आदेश दिया है. जस्टिस सुब्रमण्यम ने इस पर अंतरिम रोक लगाई. उसके बाद मामला डिविजन बेंच तक गया, पर वहां से भी किसी को राहत नहीं मिली, नतीजा 29 जुलाई को यहीं रहने वाले 22 लोगों ने एक याचिका दायर कर कहा कि जज साहब, बारिश का समय चल रहा है. हमें सामान तुरंत शिफ्ट करने में दिक्कत होगी, रहने के लिए कोई नया ठिकाना भी ढूंढना होगा, इसलिए कम से कम 2 महीने का समय दे दीजिए.

दो महीने में हमलोग अपना सारा सामान शिफ्ट कर लेंगे, फिर सरकार जो चाहे करे, दो महीने तक प्लीज बुलडोजर न भेजें. जज साहब ने मानवीय आधार पर सबको दो महीने की राहत दे दी, लेकिन साथ में ये भी लिखवाया कि 30 सितंबर तक आपको हर हाल में वो जगह खाली करनी होगी. अब वो 250 परिवार कहां जाएंगे, किसी को नहीं पता. वहां रहने वाले एक व्यक्ति बताते हैं... हम 50 साल से यहां रहे हैं, यहां से हमारी यादें जुड़ी हैं, पूरा परिवार यहां की जमीन से जुड़ा है, अब यहां से जाना पड़ रहा है. पर हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं.

अदालतें हमेशा सबूत और गवाह के आधार पर फैसला देती हैं, इस केस में भी यही हुआ होगा, रक्षा मंत्रालय या किसी भी विभाग की जमीन पर किसी को कब्जा करने का कोई अधिकार नहीं है, दिल्ली जैसे शहर में अगर इस तरह का कब्जा हो रहा है तो फिर घरों पर बुलडोजर ही नहीं विभागीय अधिकारियों पर भी एक्शन होना चाहिए, पर असल सवाल ये है कि 50-50 साल तक कहीं रहने के बाद उसे खाली करवाने की याद सरकार को क्यों आती है, हमारे देश में तो एक कानून ऐसा भी है, जो कहता है एक तय समय तक किसी जमीन को अगर आप इस्तेमाल करते हैं तो वो आपकी हो जाती है. 

सुखाधिकार अधिनियम के मुताबिक अगर आप किसी जमीन को 18 साल या उससे ज्यादा के लिए इस्तेमाल करते हैं तो उस पर अपना हक जता सकते हैं, लेकिन ये भूमाफियाओं के लिए नहीं है, बल्कि उन लोगों के लिए है, जिनके पास कोई और जमीन नहीं है.

आपने अक्सर देखा होगा उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक सरकारें जब बुलडोजर चलवाती हैं, तो उन लोगों को जमीन या रहने का घर जरूर देती हैं, जिनके पास अपना कोई ठिकाना नहीं होता, बावजूद उसके बुलडोजर एक्शन पर सियासत खूब होती है. यूपी में बाबा के बुलडोजर को रोकने की कोशिश कई लोग कर रहे हैं, लेकिन बुलडोजर जब दिल्ली से लेकर मध्य प्रदेश तक गरजता है और अदालतों से भी बुलडोजर वाला आदेश जारी होता है तो फिर हर कोई यही कहता है कि बाबा का बुलडोजर अब नेशनल बुलडोजर हो गया है.

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