नई दिल्ली: कोलकाता हाई कोर्ट के जज पार्थसारथी चटर्जी को सोशल मीडिया पर गंभीर धमकियां मिल रही हैं, क्योंकि उन्होंने 22 वर्षीय लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर शर्मिष्ठा पनोली को जमानत देने से इनकार कर दिया. शर्मिष्ठा पर एक वीडियो में कथित तौर पर सांप्रदायिक टिप्पणियां करने का आरोप है, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई थी. इस फैसले के बाद, कई गुमनाम X अकाउंट्स ने जज के खिलाफ आपत्तिजनक और धमकी भरे पोस्ट किए, जिसमें कुछ ने उनकी हत्या तक की बात कही.
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इस घटना ने कोलकाता में सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस को और तेज कर दिया है. 3 जून 2025 को जमानत याचिका खारिज होने के बाद, X पर कई गुमनाम अकाउंट्स ने जज पार्थसारथी चटर्जी के खिलाफ हमला बोला. एक यूजर, तोशाली, ने लिखा कि जज को "कंबल कुटाई" या "अज्ञात बंदूकधारियों" का सामना करना चाहिए, जो हिंदुओं के लिए डर पैदा करने की बात कहता है. इस पोस्ट में अमेरिका में यूनाइटेड हेल्थकेयर के CEO ब्रायन थॉम्पसन की हत्या का जिक्र था, जिसे लुइगी मैनजियोन ने पिछले साल दिसंबर में गोली मार दी थी.
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एक अन्य यूजर, rohitkumar23595, ने स्पष्ट रूप से लिखा, "पार्थसारथी चटर्जी को मार दो." इंडिया टुडे की फैक्ट चेक से पता चलता है कि ये सभी अकाउंट्स गुमनाम थे. इनके प्रोफाइल में कोई असली तस्वीर नहीं थी; कुछ में कार्टून किरदार, खिलाड़ी या सिक्कों की तस्वीरें थीं. कई अकाउंट्स मई 2025 में ही बनाए गए थे, जो संदेह पैदा करता है. कुछ यूजर्स ने जज पर भ्रष्टाचार और पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) से संबंध होने का आरोप लगाया, जबकि अन्य ने उनकी निजी जानकारी, जैसे घर का पता, खोजने की कोशिश की.
जज के खिलाफ हिंसा की अपील
एक यूजर, आदि, ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की वेबसाइट से जज की जीवनी का लिंक साझा करते हुए लिखा, "देखते हैं कि क्या हम उनका घर का पता ढूंढ सकते हैं." इस अकाउंट ने दावा किया कि वह न्यूयॉर्क से है, लेकिन उनके पोस्ट केवल भारतीय राजनीति के बारे में थे. एक अन्य यूजर, रूपेश रेड्डी, ने जज का पता या मोबाइल नंबर मांगा. कुछ अकाउंट्स ने भीड़ द्वारा हिंसा को बढ़ावा दिया. एक पैरोडी अकाउंट, जिसमें WWE रेसलर बेकी लिंच की तस्वीर थी, ने लिखा, "लोगों को उनके सार्वजनिक स्थान पर देखकर 'देखभाल' करनी चाहिए." एक अन्य ने फ्रांसीसी क्रांति का जिक्र करते हुए हिंसा को उकसाने की कोशिश की, जिसमें राजा लुई सोलहवें सहित कई लोगों को सार्वजनिक रूप से फांसी दी गई थी.
जमानत सुनवाई और जज का बयान
दरअसल, 3 जून की सुनवाई में, जज पार्थसारथी चटर्जी ने शर्मिष्ठा की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था, "इस वीडियो को सोशल मीडिया पर बनाया गया, इसे सुना गया, और इससे कुछ लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं." उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत एक विविधतापूर्ण देश है, जहां विभिन्न जातियों, धर्मों और समुदायों के लोग रहते हैं, इसलिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है. उन्होंने मामले को अगली सुनवाई के लिए 5 जून को स्थगित कर दिया और सभी FIRs को एक मामले में समेकित करने का आदेश दिया.
शर्मिष्ठा पनोली का मामला क्या है?
शर्मिष्ठा पनोली को कोलकाता पुलिस ने 30 मई को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था, जब उनके खिलाफ गार्डन रीच पुलिस स्टेशन में 15 मई को एक FIR दर्ज की गई थी. उन पर "ऑपरेशन सिंदूर" के संदर्भ में एक वीडियो में कथित तौर पर इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां करने का आरोप है. इस वीडियो के वायरल होने के बाद, X पर #ArrestSharmishta ट्रेंड करने लगा. शर्मिष्ठा ने वीडियो हटा दिया और सार्वजनिक माफी माँगी, लेकिन फिर भी उनकी गिरफ्तारी हुई. उनके वकील ने दावा किया कि गिरफ्तारी गैर-कानूनी थी, क्योंकि FIR में गैर-संज्ञेय अपराध थे और उन्हें कोई पूर्व नोटिस नहीं दिया गया.
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