नई दिल्ली: मशहूर बॉलीवुड गीतकार जावेद अख्तर ने शनिवार को मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान अपनी जिंदगी के उन अनुभवों को साझा किया, जिनमें उन्हें हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के कुछ लोगों से गालियां और आलोचना झेलनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग उन्हें "काफिर" कहकर नरक में जाने की बात कहते हैं, तो कुछ लोग उन्हें "जिहादी" कहकर पाकिस्तान चले जाने की सलाह देते हैं. जावेद अख्तर ने मजाकिया अंदाज में कहा, "अगर मुझे नरक या पाकिस्तान में से किसी एक को चुनना हो, तो मैं नरक जाना पसंद करूंगा."
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यह बयान जावेद अख्तर ने शिव सेना (यूबीटी) नेता संजय राउत की किताब नरकतला स्वर्ग (नरक में स्वर्ग) के विमोचन के मौके पर दिया. इस कार्यक्रम में कई बड़े राजनेता मौजूद थे, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी (एसपी) अध्यक्ष शरद पवार शामिल थे. जावेद अख्तर ने इस मौके पर अपनी बेबाकी और धर्म व राजनीति पर खुले विचारों के कारण मिलने वाली प्रतिक्रियाओं के बारे में खुलकर बात की.
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उन्होंने कहा, "मुझे दोनों पक्षों से गालियां मिलती हैं. यह एकतरफा नहीं है. मैं बहुत नाशुक्रा होऊंगा अगर यह न मानूं कि बहुत सारे लोग मेरी तारीफ भी करते हैं. कई लोग मेरा समर्थन करते हैं, मुझे प्रोत्साहित करते हैं और मेरे काम की सराहना करते हैं. लेकिन यह भी सच है कि एक तरफ के कट्टरपंथी मुझे गालियां देते हैं, तो दूसरी तरफ के कट्टरपंथी भी ऐसा ही करते हैं. यह मेरी जिंदगी का सच है. अगर इनमें से कोई एक पक्ष मुझे गाली देना बंद कर दे, तो मुझे लगेगा कि कुछ गड़बड़ है और मैंने जरूर कोई गलती की है."
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जावेद अख्तर ने यह भी बताया कि वह 22 मार्च 2010 से 21 मार्च 2016 तक राज्यसभा सांसद रहे. उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने संसद के उच्च सदन के लिए नामित किया था. अपने कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय बेबाकी से रखी, जिसके कारण उनकी आलोचना और प्रशंसा दोनों हुई.
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वहीं, नरकतला स्वर्ग संजय राउत की लिखी एक किताब है, जिसमें उन्होंने अपने राजनीतिक करियर के अनुभवों को साझा किया है. इस किताब में उनके संघर्ष, चुनौतियां और राजनीति में उनके सफर की कहानियां शामिल हैं. कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने जावेद अख्तर के इस बयान और उनकी बेबाकी की खूब सराहना की.
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जावेद अख्तर ने अपने बयान से यह साफ कर दिया कि वह किसी भी तरह के कट्टरपंथ को स्वीकार नहीं करते, चाहे वह किसी भी समुदाय से आए. उन्होंने यह भी बताया कि वह अपनी बात कहने से कभी पीछे नहीं हटे, भले ही इसके लिए उन्हें कितनी ही आलोचना क्यों न झेलनी पड़े. उनके इस अंदाज ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह न केवल एक महान गीतकार हैं, बल्कि एक निडर और स्पष्टवादी शख्सियत भी हैं.