लोकसभा चुनाव के बाद ज्यादातर सर्वे एजेंसियों ने NDA को स्पष्ट बहुमत दिया है. वहीं राजनीतिक विशेषज्ञों के द्वारा कुछ सीटों को लेकर असमंजसता भी जताई गई है. इन सीटों की बात करें तो बिहार की 14 ऐसी सीटें हैं, जहां पर एनडीए को झटका मिल सकता है. वहीं कई सर्वे एजेंसियों ने भी कहा है कि इस बार आरजेडी को भी कुछ सीटें मिल सकती है.
वहीं एग्जिट पोल स्पष्ट होता है कि यहां एनडीए 28 से 32 लोकसभा सीट जीतने जा रही है और इंडिया गठबधन को 8 से 10 लोकसभा सीटें मिलने जा रही है. एनडीए में शामिल दलों की बात करें तो भारती जनता पार्ट (बीजेपी) को 14 से 15 सीट पर जीत मिल सकती है. वहीं जदयू को 8 से 10 सीट पर जीत हासिल हो सकती है. इंडिया गठबंधन की बात करें तो राजद को 7 से 9 सीट मिल सकती हैं, जबकि कांग्रेस को दो से तीन सीटें मिल सकती है.
वीआईपी और वाम दल के उम्मीदवार जीत दर्ज करते नहीं दिख रहे हैं. आरा और काराकाट में माले के उम्मीदवार कांटे की टक्कर देते जरूर दिख रहे हैं. ये सीट है शिवहर ,सीतामढ़ी, पाटलिपुत्र, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद, खगड़िया, सिवान, पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार, बांका, मुंगेर, बक्सर, जहां एनडीए को झटका लग सकता है.
तेजस्वी यादव की सोच में वाम दलों के संगठन के साथ एमवाई समीकरण (यादव-मुस्लिम) तो था ही. इस बार राजद सुप्रीमो की रणनीति में कुशवाहा, भूमिहार और वैश्य उम्मीदवार दे कर एनडीए के सामाजिक सामाजिक समीकरण में सेंधमारी का जो लक्ष्य था, वे भी एक हद तक तो पूरा होता दिखा. कुशवाहा की बात करें तो औरंगाबाद, नवादा, काराकाट, खगड़िया लोकसभा सीटों पर ज्यादातर कुशवाहा वोटरों के इंडिया गठबंधन को वोट देने की चर्चा है.
बीजेपी के कैडर वैश्य वोटरों की भी नाराजगी दिखी, जिसका असर शिवहर और सीतामढ़ी में पड़ सकता है. बता दें कि तेजस्वी यादव के वाम दलों के साधने की रणनीति का एक आधार भी था. वो था बिहार विधानसभा 2020 का चुनाव. इस चुनाव में वाम दलों ने 16 सीटें जीतकर महागठबंधन को मजबूत आधार दिया. ये अलग बात है कि वो असर लोकसभा चुनाव 2024 में सीटों के मामले में नहीं दिख रहा है, लेकिन वाम दलों के कैडर के सपोर्ट से राजद के कई उम्मीदवारों को जीत हासिल हो सकती है.
वीआईपी का साथ लेना भी राजद को एक हद तक फायदा पहुंचा गया है. वीआईपी भले कोई सीट निकाल नहीं पा रही है पर राजद और कांग्रेस उम्मीदवार को सदन भेजने में सहायक सिद्ध हो सकती है. अब बात करते हैं एनडीए के लिए वो कौन सी सीटें हैं जहां उसे दिक्कत पेश आ सकती है. सीधे शब्दों में कहें तो इन 14 सीटों पर NDA का खेल खराब होता दिख रहा है.
ये 14 लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां कोई भी जीत हार सकता है. जातीय गणित और उसकी आक्रामकता में राजद आगे है तो सरकारी योजनाओं से लाभार्थी वर्ग के मामले में NDA. अगर ये लाभार्थी वर्ग जाति में न टूटे तो एनडीए को फायदा होगा और अगर टूट गया तो इंडिया गठबंधन को शुद्ध सियासी मुनाफा हो सकता है.