नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर की कश्मीर घाटी में पहलगाम के खूनी आतंकी हमले की परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं, और पुलिस की सतर्कता ने एक गुप्त नेटवर्क को उजागर कर दिया है. हाल ही में गिरफ्तार हुए एक ओवरग्राउंड वर्कर ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं, जो हमले की साजिश को और गहराई से जोड़ते हैं.
26 वर्षीय मोहम्मद यूसुफ कटारी, जो खानाबदोश छात्रों को पढ़ाने वाले एक शिक्षक के रूप में जाना जाता था, ने कबूल किया कि उसने हमले में लिप्त तीन कुख्यात आतंकियों से चार बार गुप्त मुलाकात की और उन्हें जरूरी सहायता पहुंचाई. केंद्रीय एजेंसियों की पूछताछ में सामने आया कि कटारी ने सुलेमान उर्फ आसिफ, जिबरान और हमजा अफगानी जैसे खूंखार आतंकियों को न सिर्फ रसद सप्लाई की, बल्कि एक साधारण एंड्रॉइड मोबाइल चार्जर भी सौंपा, जो बाद में जांच का सबसे मजबूत सबूत साबित हुआ.
यह छोटी-सी चीज ही पुलिस को उस जाल तक ले गई, जो घाटी में आतंकी गतिविधियों को पनपने दे रहा था. जुलाई में लॉन्च हुए 'ऑपरेशन महादेव' के तहत श्रीनगर के जबरवान पहाड़ियों में चली मुठभेड़ में इन तीनों का सफाया कर दिया गया था. वहां से बरामद जली हुई सामग्री में आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त यह चार्जर मिला, जिसकी फोरेंसिक जांच ने पूरी कहानी उलझा दी.सीरियल नंबर और कनेक्टिविटी डेटा की ट्रेसिंग से चार्जर का असली मालिक ट्रेस हो गया, जो इसे एक स्थानीय डीलर को बेच चुका था.
इसी कड़ी को जोड़ते हुए सितंबर के अंत में कटारी की गिरफ्तारी हुई. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सतह पर तो वह पहाड़ी इलाकों में बच्चों को पढ़ाता था, लेकिन पर्दे के पीछे आतंकियों को रास्ते दिखाने, सामान मुहैया कराने और गाइड करने का काला काम संभालता था. खासतौर पर, उसने पहलगाम हमलावरों को दुर्गम पर्वतीय रास्तों से पार कराने में भी मदद की.
इन आतंकियों का बैकग्राउंड भी डरावना है. सुलेमान पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था, जिबरान ने अक्टूबर 2024 के सोनमर्ग सुरंग हमले में हिस्सा लिया था, जबकि हमजा अफगानी कई छोटे-मोटे ऑपरेशनों का हिस्सा रहा. 29 जुलाई को हुई इस मुठभेड़ ने नेटवर्क को झकझोर दिया, लेकिन कटारी जैसे सहयोगियों की गिरफ्तारी से साजिश की जड़ें कटने लगी हैं. पुलिस का मानना है कि ऐसे तत्वों को जड़ से उखाड़ना ही घाटी में शांति की कुंजी है, और जांच अभी जारी है.