एक अक्टूबर तक देश में नहीं होगा बुलडोजर एक्शन, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

Global Bharat 17 Sep 2024 03:13: PM 2 Mins
एक अक्टूबर तक देश में नहीं होगा बुलडोजर एक्शन, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

Ban on bulldozer action: आज सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना अनुमति के देश में कोई भी तोड़फोड़ नहीं होनी चाहिए. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, जलाशयों, रेलवे लाइनों पर अतिक्रमण पर लागू नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि मनमाने ढंग से अब बुलडोजर की कार्रवाई नहीं होगी, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट दिशा-निर्देश जारी करेगा और देश के सभी राज्यों को निर्देशों का पालन करना होगा. अब बुलडोजर एक्शन को लेकर 1 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी.

सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने बुलडोजर एक्शन के महिमा मंडन पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह रूकना चाहिए. शीर्ष अदालत ने कहा है कि अगली सुनवाई तक हमारी अनुमति से ही सरकार एक्शन लें. जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने संपत्तियों को बुलडोजर से गिराने की प्रथा को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया. कोर्ट ने कहा कि अगर सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों या रेलवे लाइनों पर अनधिकृत निर्माण--चाहे मंदिर, मस्जिद या अन्य धार्मिक संरचनाएं-मौजूद हैं, तो ध्वस्तीकरण पर रोक लागू नहीं होगी.

पीठ ने यह भी कहा कि वह व्यक्तिगत मामलों पर विचार करने से पहले विशाखा मामले की तरह ही दिशा-निर्देश तय करेगी. विभिन्न मामलों में आरोपी व्यक्तियों के घरों को बुलडोजर से गिराए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं. वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने तर्क दिया कि रोजाना तोड़फोड़ हो रही है. हालांकि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मध्य प्रदेश का उदाहरण देते हुए इसका विरोध किया, जहां कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार हिंदुओं की कई दुकानें गिरा दी गईं. पिछली सुनवाई में, अदालत ने मामले को सुलझाने की मंशा जताई थी.

सर्वोच्च न्यायालय अचल संपत्तियों को गिराने से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. याचिकाओं में से एक ने देश में अवैध विध्वंस की बढ़ती संस्कृति पर प्रकाश डाला, जहां इस तरह की कार्रवाइयों का इस्तेमाल गैर-कानूनी सजा के रूप में किया जा रहा है, खासकर अल्पसंख्यकों और हाशिए के समुदायों के खिलाफ.

याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया कि अदालत आपराधिक कार्यवाही में आरोपी व्यक्तियों की आवासीय या व्यावसायिक संपत्तियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करने का निर्देश दे, इस बात पर जोर देते हुए कि सभी विध्वंस गतिविधियों को कानून का सख्ती से पालन करना चाहिए. याचिका में उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना अवैध विध्वंस में शामिल अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी मांग की गई. 

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