यूपी के 1 लाख 58 हजार स्कूलों के लिए योगी सरकार ने एक ऐसा आदेश निकाला, जिसे पढ़ते ही कई टीचर्स सड़कों पर उतर गए, एक ज्ञापन लिखा और कहा कि प्लीज योगीजी ये वाला एक्शन मत लीजिए. यहां तक कि विपक्षी पार्टी के कई सांसद भी शिक्षकों के समर्थन में आ गए, चंद्रशेखर ने बकायदा लेटर लिखकर इस आदेश का विरोध किया. ऐसे में ये समझना जरूरी है कि आखिर ये आदेश क्या है, फिर बताते हैं डिजिटिल बुलडोजर क्या बला है, जिसने हर उस शिक्षक की जिंदगी में तूफान ला दिया है जो लेट से स्कूल पहुंचता है.
क्या है योगी सरकार का नया आदेश
8 जुलाई से यूपी के सभी बेसिक, कंपोजिट औऱ कस्तुरबा विद्यालयों में डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम की शुरुआत की गई. प्रेरणा ऐप के जरिए हर शिक्षक को समय से 15 मिनट पहले ऑनलाइन हाजिरी लगानी है, वरना पूरे दिन की सैलरी कटेगी. यानी मनमानी करने वाले स्कूलों पर योगी सरकार ने डिजिटल बुलडोजर चलाने की शुरुआत कर दी है, जिससे विरोध बढ़ गया. पहले दिन महज 2.60 फीसदी लोगों ने हाजिरी लगाई, काफी संख्या में लोग सड़कों पर उतर गए.
ऐप में ऐसा सिस्टम है कि आप स्कूल में रहेंगे तभी अटेंडेंस लगा पाएंगे. अगर स्कूल 8 बजे से है तो 7.30 से 7.45 के बीच अटेंडेंस लगानी होगी, उसके बाद ऐप पर अटेंडेंस नहीं लगेगा और उस दिन आपको अबसेंट घोषित कर दिया जाएगा, उस दिन की सैलरी कट जाएगी. कायदे से ये नियम सही है, क्योंकि कई स्कूलों के प्रिंसिपल और शिक्षक मनमानी करते हैं, समय से एक घंटा देरी से स्कूल खोलते हैं औऱ पहले बंद करते हैं, ऐप वाला सिस्टम आने से अब वो ऐसा नहीं कर पाएंगे, फिर सवाल ये उठ रहा है कि अगर सिस्टम अच्छा है तो फिर विरोध क्यों.
4 प्वाइंट में समझिए शिक्षकों के विरोध की वजह
अगर किसी तरह की तकनीकी समस्या है तो उसमें सुधार होना चाहिए, लेकिन सवाल ये है कि जब प्राइवेट नौकरी में 5 मिनट लेट होने पर आधे दिन की सैलरी कट जाती है, और वहां 8 से लेकर 12 घंटे की शिफ्ट भी लोग करते हैं तो 10 बजे से 4 बजे तक स्कूल करने वाले शिक्षक समय पर पहुंचने में क्यों घबरा रहे हैं, हर गांव के स्कूल में गरीब घर के लड़के पढ़ते हैं, बड़े-बड़े लोग तो अपने बच्चों के लिए प्राइवेट स्कूल का इंतजाम कर लेते हैं, लेकिन गरीब कहां जाएगा.
योगी सरकार ये सुधार उन गरीबों के लिए ही लेकर आई है, जिनकी अक्सर शिकायत होती है कि टीचर टाइम पर नहीं पहुंचते, स्कूल का ताला समय पर नहीं खुलता, अगर टीचर आते हैं तो पढ़ाते नहीं बल्कि बतियाते रहते हैं, कई गांवों की ये शिकायत सीएम योगी के पास पहुंची है, जिसके बाद ऑपरेशन ऑल स्कूल सुधार के तहत डिजिटल अटेंडेंस का सिस्टम शुरू किया गया है, अभी और भी बड़े बदलाव हो सकते हैं, जिसका विरोध तो होगा लेकिन योगी सरकार को स्कूल सुधार की ओर सख्त कदम उठाना होगा.
वरना सरकारी स्कूलों की हालत और खस्ता होती जाएगी, जिसके पास पैसा होगा वो प्राइवेट स्कूल में अच्छी शिक्षा हासिल कर लेगा और यूपी के एक गांव से उठकर जब सरकारी स्कूल से पढ़ा लड़का शहर में पहुंचेगा तो सोचेगा कि काश अंग्रेजी सीख ली होती तो आज सैलरी करोड़ों में होती.