नई दिल्ली: क्या राहुल गांधी पार्ट टाइम पॉलिटिशयन और फुल टाइम पर्यटक हैं, वो जब-जब विदेश दौरे पर जाते हैं विपक्ष के नेता ये सवाल उठाने लगते हैं, इस बार राहुल मलेशिया के दौरे पर नजर आ रहे हैं, उनकी तस्वीर ट्वीट कर बीजेपी के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने ये दावा किया है, इस तस्वीर में सफेद कलर की टोपी लगाए राहुल हाफ पैंट और टीशर्ट में दिख रहे हैं. पैरों में कोई महंगा जूता भी पहन रखा है, उनके सामने दो महिलाएं खड़ी हैं, जो शायद कुछ समझाने की कोशिश कर रही हैं तो वहीं राहुल के पीछे भी एक व्यक्ति खड़ा दिख रहा है. पर राहुल अचानक मलेशिया क्यों चले गए, क्या बिहार में वोटर अधिकार यात्रा निकालकर राहुल थक गए, इसलिए ब्रेक लेने विदेश चले गए या कोई और बात है. इसे समझने के लिए राहुल के बाकी विदेश यात्राओं को भी समझना होगा.
आप शायद ये जानकर दंग रह जाएं कि साल 2015 से 2019 के बीच राहुल गांधी 247 बार विदेश यात्रा पर गए, ये वो वक्त था जब केन्द्र में बीजेपी की सरकार बन चुकी थी, फिर सवाल है राहुल क्या विदेशों में कांग्रेस को मजबूत करने जा रहे थे, या कोई प्लानिंग चल रही है.
विदेश में जाकर अक्सर वो देश की संस्थाओं पर सवाल उठाते रहे, जिसे बीजेपी देशविरोधी बताती रही है. लेकिन ये हर बार होता है कि राहुल हर अहम मौके पर विदेश चले जाते हैं. अभी जब बाढ़ से देश के कई हिस्से त्रस्त हैं, पंजाब में जहां कांग्रेस लंबे वक्त तक सत्ता में रही, वहां जाने की बजाय राहुल विदेश घूम रहे हैं, जिसे लेकर AAP और कांग्रेस में ही फूट पड़ गई. आप के मीडिया इंचार्ज अनुराग ढांडा लिखते हैं
पंजाब में चुनाव होगा तो ये इंसान वोट मांगने पहुँच जाएगा लेकिन आज पंजाब बाढ़ से जूझ रहा है तो ये जनाब मलेशिया घूम रहे हैं? ये हाल तब है जब कई मुद्दों पर आप और कांग्रेस साथ-साथ हैं, विपक्षी एकता की कोशिशें फेल नजर आ रही हैं. क्योंकि राहुल का अंदाज बीते दो दशक से नहीं बदला. हद तो तब हो गई जब साल 2019 में देशभर में CAA के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा था, राहुल विदेश घूम रहे थे. जब भारत का चीन से तनाव चल रहा था, ये वहां के अधिकारियों से मिल रहे थे. ऐसा लगता है राहुल को न पार्टी की चिंता है और ना ही लोगों की, वो सिर्फ सियासत में विरासत की वजह से आए हैं.
साल 2018 में कर्नाटक चुनाव के बाद जब वहां कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन की सरकार बनी तो राहुल विदेश चले गए, नतीजा मंत्रियों का विभाग नहीं बंट पाया. उससे पहले साल 2016 में 5 राज्यों के चुनाव से ठीक पहले राहुल विदेश गए. इसकी फेहरिस्त इतनी लंबी है कि अगर इसे गिनने बैठें तो शायद वक्त कम पड़ जाए, पर सवाल सबसे बड़ा यही है कि देश के मुद्दे छोड़कर विदेश में राहुल क्या करने जाते हैं, छुट्टियां मनाने के लिए तो देश में भी कई जगह है, और फिर राहुल क्या राजनीति को सिर्फ विरासत मानकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक किसी तरह पहुंचना चाहते हैं.