पटना: बिहार के प्रख्यात लेखक और साहित्यिक पत्रिका चित्रलेखा के संपादक विमल कुमार ने एक बड़ा कदम उठाया है. उन्होंने बिहार सरकार द्वारा घोषित प्रतिष्ठित राष्ट्र कवि 'दिनकर पुरस्कार' स्वीकार करने से मना कर दिया है. लगभग चार दशकों तक पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रहे विमल कुमार ने इस निर्णय के पीछे नैतिकता और निष्पक्षता का हवाला दिया है, जिसकी अब पूरे बिहार में चर्चा हो रही है.
विमल कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे एक पत्र में कहा, "मुझे खुशी है कि बिहार सरकार के राजभाषा विभाग ने मुझे 'दिनकर पुरस्कार' के लिए चुना. हालांकि, मैंने लंबे समय तक एक समाचार एजेंसी के लिए बिहार सरकार को कवर किया है. नैतिक रूप से यह उचित नहीं होगा कि मैं इस पुरस्कार को स्वीकार करूं." उन्होंने आगे जोड़ा कि एक निष्पक्ष लेखक या पत्रकार को सरकारी पुरस्कारों से दूर रहना चाहिए.
बता दें कि राष्ट्र कवि दिनकर पुरस्कार बिहार सरकार द्वारा साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है, जो महान कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की स्मृति में स्थापित किया गया है. विमल का यह निर्णय पत्रकारिता और साहित्य जगत में निष्पक्षता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
इस कदम ने साहित्यिक और पत्रकारीय समुदाय में चर्चा को जन्म दिया है, क्योंकि यह पुरस्कार न केवल सम्मानजनक है, बल्कि यह साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में योगदान को रेखांकित करता है. विमल कुमार के इस निर्णय को कई लोग निष्पक्ष पत्रकारिता के प्रति उनकी दृढ़ता के रूप में देख रहे हैं.