Kanhaiya Kumar controversy: जो राहुल गांधी कन्हैया कुमार को बड़ी उम्मीदों से बिहार की सियासत में खड़ा कर रहे थे, आखिर उनके दिल में ऐसी कौन सी बात चुभी कि उनके ही रोड शो वाले ट्रक से कन्हैया कुमार को नीचे उतार दिया गया, और जो पप्पू यादव बीते कई बरस से बिहार में कांग्रेस का झंडा उठाए हुए हैं, उनसे राहुल की क्या नाराजगी है कि वो राहुल के बगल में ट्रक पर खड़े नहीं हो पाए, क्या ये बात सिर्फ सियासत की है, या पुराने बदले की. और वो बदला जो तेजस्वी ने बड़ी ही चुपचाप तरीके से लिया, मीडिया मान-अपमान की बात कर रही है, पप्पू यादव से सवाल पूछ ऱहा है कि आपका अपमान हुआ, आप वीडियो में मंच पर जाते हुए रोके गए तो लड़खड़ाते हुए देखे गए, क्या आपको बुरा नहीं लगा तो वो कहते हैं
“नहीं बुरा क्यों लगना है, मेरा नाम तो लिस्ट में था ही नहीं, मैं तो बस ये देखने गया था कि राहुल गांधी ठीक से ट्रक पर चढ़ गए कि नहीं.”
अब राहुल गांधी ट्रक पर सवार होंगे तो नीचे से ही दिख जाएंगे ये देखने के लिए सीढ़ियां चढ़ने और फिर सिक्योरिटी कर्मियों की ओर से रोके जाने की क्या जरूरत थी, तो इस बात को समझने के लिए थोड़ा पीछे चलना होगा, सियासत के जानकार कहते हैं राहुल गांधी ने कन्हैया और पप्पू को नहीं रोका, बल्कि तेजस्वी यादव के बदले की भावना ने इन दोनों को रोक लिया, और उनकी ये भावना इस चुनाव में महागठबंधन को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है. अब वो बदले वाली बात क्यों हो रही है, वो 3 वजह कौन सी है, जिससे बिहार के दो बड़े नेता राहुल के बगल में नहीं खड़े हो पाए.
तो सवाल ये भी उठता है कि जो गठबंधन सत्ता में आने से पहले ही इतने विवादों से जूझ रहा है, वो सत्ता में आने के बाद क्या 5 साल तक एकजुट रह पाएगा, नीतीश कुमार की पार्टी को इस बात का फायदा भी मिल सकता है कि विपक्ष एकजुट नहीं है, पहले से ही लालू के जंगलराज की कहानी जेडीयू और बीजेपी के नेता सुना रहे हैं, और अब डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने तो ये तक कह दिया है कि राहुल गांधी बिहार में पिकनिक मनाने आए हैं, उन्हें यहां की समस्या से कोई लेना-देना नहीं, हालांकि राहुल ने यहां वोटचोरी का नया नारा दे दिया है.
पर ये नारा चुनाव में कितना काम आएगा, ये देखने वाली बात होगी.