पीएम कौन होगा ये तो सभी को पता था, इसलिए इस बार हर किसी की नज़र मोदी के कैबिनेट पर भी थी कि इस बार मंत्रालय में किस किस को जगह मिलेगी? किस आधार पर मंत्रियों का चयन होगा. कितने अप्ल्संख्यकों को मंत्रालय में शामिल किया जाएगा. इन तमाम सवालों के जबाव मिल चुके हैं. लेकिन जिस बात की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वो ये कि मोदी ने अल्पसंख्यकों की परिभाषा बदल दी है. मोदी के लिए अल्पसंख्यकों का मतलब सिर्फ मुस्लिम नहीं है.
बता दें कि पीएम मोदी के साथ 71 मंत्रियों ने भी मंत्री पद की शपथ ली है. नई टीम में 30 कैबिनेट मंत्री, 5 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री, 36 राज्य मंत्री हैं, जिसमें 5 अल्पसंख्यक जाति के सांसद शामिल हैं. नई टीम में एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग को ज्यादा मौका दिया गया है.
बड़े स्तर वोट बैंक को साधने की कोशिश
मोदी 3.0 में सभी सामाजिक समूहों से नेतृत्व को शामिल किया गया है. इसमें 27 अन्य पिछड़ा वर्ग, 10 अनुसूचित जाति, 5 अनुसूचित जनजाति, 5 अल्पसंख्यक शामिल होंगे. इसके अलावा मोदी 3.0 में ठाकुर समुदाय से आने वाले चार नेताओं को मंत्री बनाया गया है. हालांकि मोदी के पहले और दूसरे कार्यकाल में इनकी संख्या ज्यादा थी.
7 महिलाओं को मिली मंत्रिमंडल में जगह
इसके अलावा मंत्रिपरिषद में सात महिलाओं को जगह मिली है. झारखंड के कोडरमा से सांसद अन्नपूर्णा देवी को पदोन्नति मिली है. अब उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. इस सियासी उठापटक के बीच अब इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि मोदी सरकार 3.0 में कितने अल्पसंख्यक मंत्री हैं.
एक भी मुस्लिम चेहरे को नहीं मिली जगह
बता दें कि वैसे तो अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले 5 नेताओं को इस नई कैबिनेट का हिस्सा बनाया गया है, लेकिन मोदी 3.0 में किसी भी मुस्लिम चेहरे को मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिली है. हालांकि इससे पहले कार्यकाल में एमजे अकबर और मुख्तार अब्बास नकवी को मंत्री बनाया गया था.
हरदीप सहित 2 सिख चेहरों को दी गई है जगह
हरदीप पुरी और रवनीत सिंह बिट्टू के रूप में दो सिख चेहरों को जगह दी गई है. वहीं ईसाई समुदाय से आने वाले जार्ज कुरियन को भी मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है. सबसे ज्याद साह्राच रवनीत सिंह बिट्टू के नाम की हो रही है क्योंकि वो चुनाव हार गए बावजूद इसके उन्हें मंत्री बनाया गया. जानकारों का तो ये भी दावा है कि पंजाब से और लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा. वो तो आगे पता चलेगा.
अल्पसंख्यक का मतलब सिर्फ मुस्लिम नहीं
फिलहाल सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की है कि केबिनेट में एक भी मुस्लिम चेहरे को जगह नहीं मिली है. इसलिए जानकारों का कहना है कि मोदी ने बता दिया है कि अल्पसंख्यक का मतलब सिर्फ मुस्लिम नहीं है. अल्पसंखयक का मतलब है देश में जिसकी संख्या कम है, जबकि कांग्रेस के समय में अल्पसंख्यक का मतलब सिर्फ मुस्लिम समुदाय से था.
मुस्लिमों के अलावा अल्पसंख्यकों की संख्या
भारत में अल्पसंख्यक आबादी अगर देखे तो सिख - 1%, ईसाई- 2.3%, बौद्ध-0.7% हैं. लेकिन विपक्ष के लिए 20% आधिकारिक और 30% अनौपचारिक यानी अवैध तरह से देश में रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशी आबादी वाले मुस्लिम ही एकमात्र अल्पसंख्यक हैं. लेकिन मोदी 3.0 बौद्ध, सिक्ख, ईसाई को तरजीह दी गई है. खैर मोदी राज में अल्पसंखयक की ये परिभाषा लोगों को कितनी पसंद आती है ये तो आने वाला समय बताएगा.
फिलहाल जो सामने है वो ये कि मोदी के केबिनेट में सब है सिर्फ मुस्लिम नदारद हैं. और मोदी 3.0 शुरू हो चुका है. लेकिन इस बार मोदी या बीजेपी की नहीं देश में शुद्ध रूप से एनडीए की सरकार है. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने एनडीए के नेता नरेंद्र मोदी को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जिसके बाद वो स्वतंत्र भारत के 20वें प्रधानमंत्री बन गए हैं.