मेरठ : क्या यूपी में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बड़ी साजिश चल रही है ? क्या पश्चिमी यूपी को जातीय हिंसा में भड़काने का प्रयास किया जा रहा है ? मिहिर भोज के नाम पर क्षत्रीय बनाम गुर्जर करके चंद्रशेखर रावण अपनी सियासत को सेट करना चाह रहे हैं. हाईकोर्ट के जातीय प्रदर्शन पर रोक के आदेश के बाद मेरठ में भयंकर बवाल हुआ है. बवाल की वजह सम्राट मिहिर भोज के नाम के आगे "क्षत्रिय" लिखा होना है. क्षत्रिय लिखे जाने के विरोध में गुर्जरों ने महापंचायत बुलाई और विवाद क्षत्रिय बनाम गुर्जर हो गया. पूरा मामला बताए उससे पहले जान लें कि कौन है मिहिर भोज और उनका इतिहास क्या है.
प्रोफेसर वीडी महाजन की पुस्तक मध्यकालीन इतिहास में मिहिर भोज का जिक्र है.सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार वंश के सबसे शक्तिशाली राजा माना गया है. 836 ई. से लेकर 885 ई. तक कन्नौज से शासन किया. उस समय कन्नौज पर कंट्रोल के लिए बंगाल से लेकर दक्षिण भारत के कई राजाओं ने हमले किए. फिर भी सफलता हासिल नहीं हो सकी. मिहिर भोज ने कालिंजर, गुर्जरात्र और हरियाणा पर फतेह हासिल किया था. हालांकि, सबसे बड़ा विवाद गुर्जर शब्द को लेकर है. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि हूणों के साथ ये लोग भारत आए थे और पहचान के तौर पर नाम का प्रयोग किया.
ये है विवाद की वजह
मिहिर भोज को गुर्जर अपना राजा बताते हैं और क्षत्रिय अपने कुल का मानते हैं. यहीं वजह है कि पश्चिमी यूपी में अक्सर हिंसा भड़क जाती है. इस बार हिंसा का केंद्र मेरठ बना है. मेरठ के सरधना के कपसाड गांव में हाईकोर्ट के आदेश के बाद जाति लिखे हुए बोर्ड हटाये जाने लगे. बोर्ड हटाए जाने के बाद विरोध बढ़ गया और चंद्रशेखर रावण की एंट्री हुई.
सियासत चमकाना चाहते हैं चंद्रशेखर रावण
नाम हटाए जाने के बाद आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रविन्द्र भाटी ने "गुर्जर महापंचायत" बुलाई. पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो हिंसा हो गई और पुलिस पर जमकर पथराव हुए. इस मामले में 22 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. रविन्द्र भाटी का कहना है कि "हमें फांसी लगा दो, क्या हमें अपनी बात को कहने का अधिकार नहीं है". उनका कहना है कि मिहिर भोज के नाम के साथ क्षत्रिय जोड़ना इतिहास को बदलने का प्रयास है.
अबतक नहीं हुई है कार्रवाई
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या चंद्रशेखर रावण न्याय के मसीहा है. अगर ऐसा है तो उनके ऊपर दलित युवती ने यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए. फ़ोटो जारी की, लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई. 2027 चुनाव से पहले यूपी को जातीय आग में झोंकने की साजिश चल रही है. ऐसी साजिश रचने वाले भूल गए है कि यूपी में योगी आदित्यनाथ है और योगी के यूपी में न धर्म पर हिंसा होगी और न ही जाति पर हिंसा को बर्दाश्त किया जाएगा. ऐसे लोगों के लिए सिर्फ एक ही जगह है वो है जेल.