इंडसइंड बैंक में 2,000 करोड़ रुपए का घोटाला? पूर्व शीर्ष अधिकारियों के दावे से मचा हड़कंप

Amanat Ansari 29 Sep 2025 11:46: AM 2 Mins
इंडसइंड बैंक में 2,000 करोड़ रुपए का घोटाला? पूर्व शीर्ष अधिकारियों के दावे से मचा हड़कंप

नई दिल्ली: मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने इंडसइंड बैंक में कथित 2,000 करोड़ रुपए की लेखा चूक की अपनी प्रारंभिक जांच का दायरा बढ़ा दिया है. सूत्रों ने पुष्टि की है कि पूर्व शीर्ष अधिकारियों ने बैंक के खातों में "समायोजन" की बात स्वीकार की है. इस मामले से परिचित अधिकारियों के अनुसार, तत्कालीन सीएफओ गोबिंद जैन, डिप्टी सीईओ अरुण खुराना और सीईओ सुमंत कठपालिया के बयान पिछले सप्ताह दर्ज किए गए थे. जैन सोमवार को ईओडब्ल्यू के समक्ष, खुराना मंगलवार को और कठपालिया बुधवार को पेश हुए.

कथित लेखा हेरफेर में एक प्रमुख व्यक्ति माने जाने वाले खुराना को आगे की पूछताछ के लिए शनिवार को फिर से बुलाया गया. सूत्रों ने कहा कि उन्हें बैंक के खातों में किए जा रहे समायोजन की जानकारी थी और उनकी भूमिका को मामले में महत्वपूर्ण" माना जा रहा है. जांचकर्ता उन आरोपों की भी जांच कर रहे हैं कि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने लेखा अनियमितताओं से लाभ उठाया हो सकता है. सूत्रों का दावा है कि इन समायोजनों ने बैंक के शेयर की कीमत बढ़ा दी, जिससे कथित तौर पर अंदरूनी लोगों को गोपनीय जानकारी का इस्तेमाल करके करोड़ों रुपये का मुनाफा कमाने का मौका मिला.

हालांकि कुछ पूर्व अधिकारियों ने किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया है, लेकिन कर्मचारियों और पूर्व प्रबंधन सदस्यों ने कथित तौर पर EOW को पुष्टि की है कि दो शीर्षकों के तहत खातों को इस तरह समायोजित किया गया जिससे शेयर की चाल प्रभावित हुई. एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा कि इसमें सत्यम घोटाले से काफी समानताएं हैं. उन्होंने बताया कि EOW जल्द ही बैंक के पूर्व नेतृत्व के खिलाफ संभावित आरोपों पर कानूनी राय लेगा. लेखांकन संबंधी खामियां सबसे पहले इंडसइंड बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में सामने आईं, उसके बाद उसके माइक्रोफाइनेंस परिचालन में भी.

इस घोटाले के कारण अप्रैल 2025 में सीईओ कठपालिया और डिप्टी सीईओ खुराना को इस्तीफा देना पड़ा. तब से, EOW ने बैंक के पूर्व शीर्ष अधिकारियों को तलब करने के अलावा 7-8 कर्मचारियों से पूछताछ की है. मामले में एक और मोड़ तब आया जब पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी गोबिंद जैन ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर लगभग एक दशक में 2,000 करोड़ रुपए से अधिक की राजकोषीय अनियमितताओं का आरोप लगाया. 26 अगस्त को लिखे उनके पत्र में दावा किया गया था कि राजकोषीय कार्यों में गंभीर हेराफेरी दस साल से भी ज़्यादा समय से चल रही थी. सूत्रों ने बताया कि जांच के गहराने पर पिछले हफ़्ते पूछताछ किए गए उन्हीं पूर्व अधिकारियों को फिर से बुलाया जा सकता है.

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