नई दिल्ली: तस्वीरें बहुत कुछ कहती हैं. जब देश में वक्फ़ बोर्ड पर बवाल और औरंगजेब पर विवाद हो रहा है, तब अमित शाह शिवाजी की प्रतिमा के पास एक ऐसा प्रण क्यों लेते हैं जिसके बाद नए भारत की कहानी आपको समझ में आएगी? देशविरोधी ताकतों को शाह ने बहुत बड़ा इशारा सीधे छत्रपति शिवाजी के रायगढ़ के किले से क्यों दिया? ये वही किला है! महाराष्ट्र के रायगढ़ ज़िले में शिवाजी की प्रतिमा है. जहां से शिवाजी पूरा मराजा साम्राज्य चलाते थे! और रायगढ़ उनके साम्राज्य की राजधानी थी. इसलिए शाह का वहां जाना, मराठी गौरव वाली टोपी पहनना, पालकी उठाना और शिव चरित्र यानि शिवाजी महाराज की आत्मकथा का जिक्र करना, कुछ तो बड़ा इशारा है.
हम अगले दो मिनट की रिपोर्ट में आपको समझाएंगे कि अब शिवाजी को लेकर शाह की बड़ी तैयारी क्या है? यहां राजमाता जिजाऊ मांसाहेब की समाधि है, जो शिवाजी की मां थीं. शाह यहां भी पहुंचे. शिवाजी की मां को भी श्रद्धांजलि अर्पित की. कुछ साल पहले ही मोदी सरकार ने इंडियन नेवी के ध्वज़ पर शिवाजी महाराज का चिन्ह भी जोड़ा था. जिसपर देश विरोधी ताकतों की छाती फट गई थी! उस वक्त पीएम मोदी ने कहा था. नौसेना ने अपने सीने से एक गुलामी का निशान मिटा दिया, जबकि शाह ने कहा था. ये नए भारत के उदय का प्रतीक है.

12 अप्रैल को अमित शाह रायगढ़ पहुंचे और वहां से कई बडे ऐलान होते हैं. ये इतिहास की कुछ कीमती धरोहर में से एक है, जिसे शाह निहारते हैं, और समझते हैं कि शिवाजी ने कैसे रायगढ़ से पूरा मराठा साम्राज्य चलाया. किले के चारों तरफ कैसे सख्त सुरक्षा व्यवस्था हुआ करती थी. शिवाजी ने रायगढ़ से ही कर्नाटक और गोवा तक भगवा ध्वज़ लहराया. अब ये तस्वीर देखिए, ये है शिवाजी की पालकी.

कई लोग ये तस्वीर नहीं देख पाए होंगे. शाह और महाराष्ट्र के CM ने मिलकर शिवाजी की पालकी उठाई. इस तस्वीर को देखकर देश का लिब्रांडू गैंग परेशान है. देश विरोधी टेंशन में हैं कि शाह क्या करने वाले हैं? इन तस्वीरों को जारी कर शाह ने ये संकेत दे दिए हैं कि भारत औरंगजेब के इतिहास पर नहीं, बल्कि शिवाजी महाराज के सिद्धांत और उनके आदर्शों पर चलेगा.

रायगढ़ किले में एक शिवमंदिर भी है. जिसे जगदीश्वर महादेव मंदिर कहते हैं. किले के भीतर मौजूद इस मंदिर में शाह भी पूजा करते हैं. ये वही मंदिर है. जहां से शिवाजी महाराज ने धर्मध्वज की रक्षा का संकल्प लिया था, यहीं से शाह ने ऐलान कर दिया कि अब नया भारत भी संकल्प लेता है कि रग-रग में शिवाजी का ख़ून होगा. मराठा हो या फिर गैर मराठा हर किसी को शिवाजी का इतिहास पढ़ाया जाएगा. बताया जाए कि शिवाजी ने कैसे दुश्मनों को मिट्टी में मिला डाला था.कैसे भारत का मान बढ़ाया. और ध्वज लहराया.

सरदार वल्लभ भाई पटेल के बाद अमित शाह दूसरे गृहमंत्री हैं, जो धरोहरों, महापुरूषों और सनातनी इतिहास को बचाने के लिए हर वक्त कोशिश करते हैं! इसलिए शिवराय मुद्रा स्मरणिका और अहिल्यादेवी पुस्तक का विमोचन भी किया! इसके बाद अमित शाह जाते हैं वहां, जहां पर है शिवाजी की समाधि. वहां प्रणाम करते हैं और प्रण लेते हैं कि भारत का मस्तक हमेशा ऊंचा रहेगा.सियासत होती रहेगी लेकिन पहले देश होना चाहिए. शाह का यही प्रण उन्हें लोकप्रिय गृहमंत्री बनाता है!