Lieutenant Shashank Tiwari: लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी के अंतिम यात्रा निकली जिस तिरंगे में लिपटकर बेटे की बॉडी घर पहुंची, वो तिरंगा जब सेना के जवानों ने पिता को सौंपा तो फफक कर रो पड़े, दुबई में रहने वाली बहन रो-रोकर पूछती है हमारा भइया काहे चला गया, बदहवास मां रोती-चीखती हुई कहती हैं बेटे को कहां ले जा रहे हो. ये गमगीन माहौल जिसने भी देखा उसकी आंखें भर आई, अयोध्या के जमथरा घाट पर उमड़े लोग पूरे परिवार को सांत्वना देने में लगे थे, योगी सरकार में मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने परिवार को ढांढस बंधाया, हजारों लोगों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी. लेकिन अयोध्या के ये लाल सिक्किम बॉर्डर पर शहीद कैसे हुए, ये सुनेंगे तो आप भी इनके देशभक्ति औऱ दोस्ती के जज्बे को सलाम करेंगे.
शशांक तिवारी अपने घर के इकलौते लड़के थे, जिन्होंने 6 महीने पहले सेना में नौकरी ज्वाइन की, NDA जैसी कठिन परीक्षा पास करने के बाद आर्मी में सीधा लेफ्टिनेंट बने, कुछ दिन पहले जानकारी मिलती है, सिक्किम के ऊंचाई वाले इलाके में ऑपरेशन गश्त के दौरान शशांक तिवारी का एक साथी अग्निवीर पानी के तेज बहाव में बह गया तो शशांक उसे बचाने के लिए लहरों की धार में कूद पड़े, इस दौरान शशांक का एक साथी भी वहां मदद के लिए कूदा, पर शशांक खुद को लहरों की तेज धार से नहीं बचा पाए.
ख़बर घर पर पहुंचते ही मातम पसर गया, अमेरिका में मर्चेंट नेवी की नौकरी करने वाले पिता तुरंत घर के लिए रवाना होते हैं, मां जो हार्ट पेशेंट थीं, उन्हें बेटे के शहादत की जानकारी 48 घंटे बाद दी जाती है, रिश्तेदारों ने कहा, उन्हें ख़बर दी तो संभालना मुश्किल हो जाएगा, लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला वो बेटे का पार्थिव शरीर देखकर होश खो बैठीं, यहां तक कि घरवाले जब अंतिम यात्रा के लिए बेटे को ले जा रहे थे, तो वो पीछे-पीछे बदहवास दौड़ रहीं थीं, एक मां-बाप के लिए ये पल कितना दर्दभरा होता है, शायद इसका कोई अंदाजा नहीं लगा सकता. पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद शशांक का अंतिम संस्कार हुआ, एक दिन पहले ही अयोध्या दौरे पर पहुंचे सीएम योगी शशांक के लिए 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद और अयोध्या में स्मारक बनवाने का ऐलान करते हैं.
आज शशांक पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं, लेकिन उनकी यादें हमेशा के लिए अमर रहेंगी. सिक्किम का वो इलाका जो जंगलों और पहाड़ों से भरा पड़ा है, वहां 6 महीने पहले ही शशांक को पोस्टिंग मिली थी, NDA में सेलेक्शन और ट्रेनिंग के बाद ये उनकी पहली ही पोस्टिंग थी. लेकिन किसी को क्या पता था 22 साल की उम्र में शशांक शहीद हो जाएंगे. आज उनकी शहादत को पूरा देश सलाम कर रहा है,, जिस अग्निवीर साथी को बचाने के लिए वो कूदे, वो साथी भी भावुक है. देश और दोस्ती के लिए ऐसे जान न्यौछावर करने वाले शहीद शशांक तिवारी को नमन करिए.