श्रावस्ती: उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले में प्रशासन ने अवैध अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए भिनगा-सिरसिया मार्ग पर नगर पालिका की आरक्षित भूमि पर बनी हय्या शाह बाबा की मजार को ध्वस्त कर दिया. इस कार्रवाई ने क्षेत्र में कानून व्यवस्था और सरकारी संपत्ति की रक्षा के लिए योगी सरकार की प्रतिबद्धता को एक बार फिर दर्शाया है.
भिनगा-सिरसिया मार्ग पर वन कार्यालय के सामने स्थित यह मजार नगर पालिका परिषद भिनगा की जमीन पर बनी थी, जिसे इमारती लकड़ी भंडारण के लिए आरक्षित किया गया था. यह भूखंड, गाटा संख्या-121, रकबा 0.1420 हेक्टेयर, नगर पालिका के स्वामित्व में था. प्रशासन को लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ व्यक्तियों ने इस सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर मजार का निर्माण कर लिया था. स्थानीय लोगों और अधिकारियों की नजर में यह मामला तब और गंभीर हो गया, जब यह पता चला कि अस्थायी और स्थायी दोनों तरह के निर्माण इस जमीन पर किए गए थे.
जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी ने बताया, "हमें सूचना मिली थी कि नगर पालिका की आरक्षित भूमि पर अवैध कब्जा किया गया है. यह न केवल सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग था, बल्कि सार्वजनिक हित के खिलाफ भी था. इसलिए हमने तत्काल कार्रवाई का फैसला लिया."
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के अनुपालन में, जो विशेष रूप से सीमावर्ती जिलों में अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्ती बरतने पर जोर देते हैं, श्रावस्ती प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया. कार्रवाई से पहले, नगर पालिका, राजस्व विभाग, और पुलिस की संयुक्त टीम ने भूखंड का सीमांकन किया और अवैध कब्जे की विधिवत पहचान की. संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर निर्माण हटाने की समयसीमा दी गई थी, लेकिन समयसीमा समाप्त होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
29 जुलाई की सुबह, भारी पुलिस बल और सुरक्षाबलों की मौजूदगी में प्रशासनिक टीम बुलडोजर लेकर मौके पर पहुंची. मजार परिसर में बने सभी अवैध ढांचों को एक-एक कर ध्वस्त कर दिया गया. इस दौरान कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. स्थानीय पुलिस अधीक्षक (SP) घनश्याम चौरसिया ने बताया, "हमारी प्राथमिकता थी कि कार्रवाई शांतिपूर्ण और विधिसम्मत हो. हमने सुनिश्चित किया कि कोई भी कानून-व्यवस्था की समस्या न उत्पन्न हो."
करीब दो घंटे तक चली इस कार्रवाई में मजार के साथ-साथ अन्य अवैध निर्माणों को भी पूरी तरह से हटा दिया गया. इसके बाद भूखंड को कब्जा मुक्त घोषित कर दिया गया. जिलाधिकारी ने कहा, "यह कार्रवाई कानून व्यवस्था बनाए रखने और सार्वजनिक हित की रक्षा के लिए आवश्यक थी. भविष्य में किसी को भी सरकारी जमीन पर कब्जा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी."