लखनऊ: छांगुर के नेतृत्व वाले कथित धार्मिक रूपांतरण सिंडिकेट की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा हाल की छापेमारी में बरामद इन दस्तावेजों से पता चलता है कि अवैध धन को चैनलाइज करने के लिए एक ऑफशोर शेल कंपनी का उपयोग किया गया था. ED सूत्रों के अनुसार, छांगुर के करीबी सहयोगी नवीन रोहरा ने 2003 में पनामा में 10000 अमेरिकी डॉलर के प्रारंभिक निवेश के साथ लोगोस मरीन एसए नामक एक शेल कंपनी स्थापित की थी. यह कंपनी पनामा स्थित इंटरनेशनल शिपिंग ब्यूरो के माध्यम से पंजीकृत थी, जिसका अधिकृत शेयर पूंजी भी इतनी ही थी.
हालांकि आधिकारिक रिकॉर्ड में विदेशी नागरिकों को प्रमुख हितधारक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, लेकिन जांचकर्ताओं को संदेह है कि यह वास्तविक स्वामित्व को छिपाने की जानबूझकर रणनीति थी. ED का मानना है कि नवीन रोहरा ने लोगोस मरीन एसए पर पूर्ण नियंत्रण और स्वामित्व रखा, और विदेशी नामांकित व्यक्तियों को केवल मुखौटा के रूप में इस्तेमाल किया गया.
प्रारंभिक निष्कर्ष बताते हैं कि इस ऑफशोर कंपनी के माध्यम से करोड़ों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की गई, जो सतह पर एक शिपिंग कंपनी के रूप में संरचित थी. यह ED की जांच में व्यापक सुरागों के साथ मेल खाता है, जिसमें छांगुर के नेटवर्क में संदिग्ध हवाला लेनदेन, बैंक हस्तांतरण और 100 करोड़ रुपए से अधिक की संदिग्ध अवैध धनराशि के विदेशी प्रेषण शामिल हैं.
इस महीने की शुरुआत में नवीन रोहरा के परिसर से बरामद इन दस्तावेजों से कथित रूपांतरण रैकेट को संचालित करने वाली वित्तीय मशीनरी में महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की उम्मीद है. ED यह भी जांच कर रही है कि लॉन्ड्र किए गए धन का उपयोग कैसे किया गया, खासकर उन आरोपों के प्रकाश में कि इनका इस्तेमाल अवैध भूमि अधिग्रहण, लक्जरी संपत्तियों की खरीद और सिंडिकेट द्वारा आयोजित सामूहिक धार्मिक रूपांतरण को वित्तपोषित करने के लिए किया गया था.
छांगुर, उनके बेटे मेहबूब और सहयोगियों नवीन रोहरा उर्फ जमालुद्दीन और नीतू उर्फ नसरीन को उत्तर प्रदेश एंटी-टेररिज्म स्क्वॉड (एटीएस) ने गिरफ्तार किया है. वे वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं. एटीएस की शिकायत में "बड़े पैमाने" पर साजिश का वर्णन किया गया है, जिसमें अवैध धार्मिक रूपांतरण, विदेशी धन का दुरुपयोग और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित खतरे की गतिविधियां शामिल हैं.