48 घंटे में 8 अपराधियों के साथ यूपी में जो हुआ है, उसने हर माफिया के मन में फिर से खौफ पैदा कर दिया है और अब व्हीलचेयर पर बैठकर ये कप्तान साहब से हाथ जोड़कर माफी मांग रहे हैं. ये वो आरोपी है, जो कुशीनगर में बैठकर जाली नोटों का कारोबार करता, हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था को हिलाने की साजिश रचता और इसमें इसका साथ दे रहे थे समाजवादी पार्टी के नेता. जिसे सुबह-सुबह पुलिस ने उठाया तो समूचे यूपी की सियासत में हड़ंकप मच गया. लेकिन उससे भी बड़े सवाल तब उठे, जब यूपी पुलिस ने कहा भागते हुए इन तीनों के पैर में चोट लग गई, जिसके बाद से लोग ऑपरेशन लंगड़ा को ऑपरेशन धक्का बताने लगे, लेकिन इसका कतई मतलब ये नहीं है कि ऑपरेशन लंगड़ा और ऑपरेशन मृत्युलोक यूपी से आउट हो चुका है.
ये तस्वीरें भी कुशीनगर की ही हैं, जहां 25-25 हजार के इनामी बदमाश को यूपी पुलिस ने सुबह-सुबह ही ऑपरेशन लंगड़ा चलाकर गिरफ्तार कर लिया. और ये सब कुशीनगर में जब चल रहा था तो वहां से कई किलोमीटर दूर गाजीपुर में पुलिस ऑपरेशन मृत्युलोक के तहत रेलवे पुलिस को इंसाफ दिला रही थी. क्योंकि रेलवे पुलिस के साथ चलती ट्रेन में इस आरोपी ने जो किया था, उसने समूचे रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ कर दिए थे.
19-20 अगस्त की रात, यूपी से गुजर रही गुवाहाटी एक्सप्रेस में रेलवे पुलिस के दो जवानों ने जब तस्करी कर रहे दो आरोपियों को रोका तो उन्होंने न सिर्फ उसके साथ गलत हरकत की, बल्कि उन दोनों को ट्रेन के नीचे फेंक दिया, मामला दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के आसपास का था, इसलिए यूपी पुलिस ने जांच शुरू की और कई लोगों को गिरफ्तार किया तो पता चला बिहार में बोतल बंद है और यूपी से ये लोग तस्करी करके ले जा रहे थे, जिन्हें रेलवे पुलिस के दो जवानों ने रोका, तो जाहिद और उसके साथियों ने मिलकर उनके साथ वही किया, जो कभी मुख्तार और अतीक जैसे लोग यूपी में किया करते थे और तब खाकीवाले हों या खाकी को दिल से सैल्युट करने वाले, हर कोई इंसाफ की राह देखता रह जाता था, लेकिन इंसाफ नहीं मिल पाता था.
पर यूपी पुलिस ने एक महीने के भीतर न सिर्फ सारे आरोपियों को पकड़ा बल्कि जाहिद नाम के आरोपी को बड़ा सबक भी सीखाया, इसके बारे में गाजीपुर के एसपी इराज राजा बताते हैं, हमारे दो जवान घायल हुए, जिसके जवाब में हमने कार्रवाई की. ये वही एसपी हैं, जो बकायदा ट्वीट कर लिखते हैं, हमारा निशाना बदमाशों से अच्छा है. लेकिन कहते हैं पुलिस की वर्दी निशानेबाजी के लिए नहीं बल्कि सुरक्षा के लिए मिलती है और यही सवाल अखिलेश यादव से लेकर तमाम वो विपक्षी नेता उठाते हैं. यूपी पुलिस का ऑपरेशन पसंद नहीं आता, ये कभी मंगेश यादव की जाति देखकर सवाल पूछते हैं तो कभी अनुज सिंह के खिलाफ हुए एक्शन पर चुप हो जाते हैं.
48 घंटे में 8 एनकाउंटर से मचा हड़कंप!
हालांकि इस एक्शन पर जाति की सियासत भी खूब होती है, अनुज प्रताप सिंह के पिता का वो बयान वायरल होता है, जिसमें वो कहते हैं अब अखिलेश के कलेजे को ठंडक पड़ी होगी. पर बड़ा सवाल ये है कि माफियाओं की मौत पर आंसू बहाने वालों का दिल तब क्यों नहीं दुखता, जब विकास दूबे जैसा माफिया पुलिसकर्मियों के साथ गलत करता है, जाहिद जैसा आरोपी जब रेलवे पुलिस के साथ ऐसी हरकत करता है.