पल्ल्वी पटेल से मुलाकात के बाद सीएम योगी का दिल्ली जाना कई सारे सवालों को जन्म दे रहा है. साथ ही सूत्रों ने यह भी दावा किया है यहां सीएम योगी पीएम मोदी और अमित शाह से भी मुलाकात कर सकते हैं. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या मानसून सत्र से पहले योगी कोई बड़ी प्लानिंग कर रहे हैं? क्या बीजेपी को केशव प्रसाद मौर्य का विकल्प मिल गया है? क्या अब पार्टी केशव प्रसाद मौर्य को साइड कर देगी? क्या केशव प्रसाद मौर्य के बगावती तेवर उन्हें भारी पड़ जाएंगे? क्या पार्टी और सरकार की बैठकों से लगातार नदारद रहना केशव प्रसाद मौर्य के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी करने वाला है?
ये तमाम सवाल यूं ही नहीं उठ रहे हैं इन सवालों के उठने की वजह है वो खबर है, जिसने यूपी की सियासत को गरमा दिया. पूरी रिपोर्ट पढ़ने के बाद आप समझ पाएंगे कि माजरा क्या है और अभी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री क्या सोच रहे हैं. खबर ये है कि पल्लवी पटेल ने सीएम योगी से मुलाकात की है. लेकिन अब ये जानना जरूरी हो गया है कि आखिर अपना दल कमेरावादी की नेता व सपा विधायक पल्लवी पटेल ने सीएम योगी से क्यों मुलाकात की? खासकर तब जब केशव प्रसाद मौर्य को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाने लगी हैं. ऐसे में लगभग 20 मिनट चली इस मुलाकात ने राजनीति के जानकारों के कान खड़े कर दिए. इन्ही सवालों के जवाब जानने की कोशिश इस रिपोर्ट में करेंगे.
सीएम योगी से मुलाकात के बाद पल्लवी पटेल ने कहा कि उन्होंने विधानसभा सिराथू के लिए मुलाकात की है. लेकिन जब राज्य में इतनी उथल पुथल मची है इस बीच इस मुलाकात के कई मायने हैं. चलिए अब इसे विस्तार से समझते हैं. पल्लवी पटेल NDA के सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की बहन हैं. सबसे खास बात तो यही है कि पल्लवी पटेल ने ही केशव प्रसाद मौर्य को 2022 के विधानसभा चुनाव में सिराथू सीट पर 12000 वोटों से हराया था.
ऐसे में जब केशव प्रसाद मौर्य लगातार पार्टी कार्यक्रमों और बैठकों से दूरी बना रहे हैं. 25 जुलाई को हुई बैठक में भी डिप्टी सीएम शामिल नहीं हुए. ये दूरियां इशारा कर रही हैं कि यूपी बीजेपी में कुछ ठीक नहीं है. भले ही वो अखिलेश के ऑफर पर पलटवार कर रहे हैं. अखिलेश के साथ जाने की अटकलों को खारिज कर रहे हैं, लेकिन अंदरखाने वो अपनी ही पार्टी से दूरी बढ़ा रहे हैं.
इस सब के बीच अब पार्टी भी केशव प्रसाद मौर्य को साइड करने में लग गई है और उनका विकल्प ढूंढ़ रही है. ये अटकलें तब लगने लगीं जब पहले उपचुनाव की तैयारियों को लेकर बनाई गई टीम में केशव प्रसाद मौर्य का नाम नहीं था. इसके बाद RSS इन दोनों की सुलह करवाने के लिए बैठक करने वाली थी लेकिन बाद में उसे भी रद्द कर दिया गया.
ऐसे में माना जा रहा है कि कहीं ऐसा ना हो कि पार्टी को केशव का विकल्प मिल गया. कहीं ऐसा तो नहीं कि पलवी पटेल भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लें. अगर ऐसा हो गया तो पिछड़े वर्ग से आने वाली पल्लवी बीजेपी में केशव प्रसाद मौर्य की काट बन सकती हैं. पल्लवी पटेल उत्तर प्रदेश में एक बड़े पिछले चेहरे के तौर पर भी देखी जा सकती हैं. उत्तर प्रदेश के बड़े इलाके में कुर्मी वोट बैंक पर भी पल्लवी पटेल की कड़ी पकड़ है.
पल्लवी पटेल विधानसभा चुनाव 2022 में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ थीं. उन्होंने कौशांबी लोकसभा क्षेत्र की सिराथू विधानसभा सीट से केशव प्रसाद मौर्य को 12000 वोट से हरा दिया था. अब सवाल ये भी है कि आखिर ऐसी अटकलें क्यों लगने लगीं? क्यों कहा जा रहा है कि पल्लवी NDA का दामन थाम सकती हैं. इसके लिए थोड़ा पीछे जाना पडेगा. जब पल्लवी और अखिलेश की पार्टी के बीच दरार पड़ना शुरू हुई. ये दरार लोकसभा चुनाव से पहले खुलकर सामने आ गई थी. मार्च 2024 में पल्लवी की अखिलेश से खुलकर नाराज़गी सामने आई थी. उन्होंने यहां तक बोल दिया था कि PDA किसी की जेब का एजेंडा नहीं है.
ये खींचतान शुरू हुई थी सीटों के बंटवारे को लेकर जब पल्लवी पटेल ने कहा था कि हमारी पार्टी फूलपुर, कौशांबी और मिर्जापुर से चुनाव लड़ेगी. ये लड़ाई इसलिए बढ़ गई थी क्योंकि अखिलेश यादव ने पल्ल्वी पटेल से इस्तीफे की मांग कर दी थी.
दरअसल, 2022 के विधानसभा चुनाव में सिराथू में हमने सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ा था. लेकिन इसके बाद जब सीटों पर पेंच फंसा तो पल्लवी ने लोकसभा में अलग होकर लड़ने का ऐलान कर दिया था और लोकसभा चुनाव 2024 में पलवी पटेल ने अखिलेश यादव से अलग होकर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के साथ चुनाव लड़ा था हालांकि उनको कोई खास सफलता नहीं मिली थी. ऐसे में अब माना जा रहा है कि पल्ल्वी पटेल NDA से हाथ मिला सकती हैं जो केशव प्रसाद मौर्य की मुश्किल बढ़ा सकता है.
हालांकि केशव प्रसाद मौर्य लगातार भारतीय जनता पार्टी के अलग-अलग नेताओं के अलावा गठबंधन के सहयोगियों से मुलाकात कर रहे हैं. केशव प्रसाद मौर्य ने ओमप्रकाश राजभर, संजय निषाद, दारा सिंह चौहान के अलावा दूसरे नेताओं से मुलाकात की है. केशव मौर्य की इन मुलाकातों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ लामबंदी के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन उधर योगी भी एक्शन में आ गए है और उन्होंने पहले पल्ल्वी पटेल से मुलाकात की और उसके बाद उन्होंने संजय निषाद से भी मुलाकात की. जिसकी तस्वीर भी सामने आ चुकी है, अब राजनीति के जानकार इन मुलाकातों की कड़ियों को जोड़ कर देख रहे हैं और कह रहे हैं कि पार्टी केशव प्रसाद मौर्य की काट ढूंढ़ने में लग गई है. क्या ये इतना आसान है आपको क्या लगता है?