नई दिल्ली: उत्तर भारत में सोमवार सुबह तेज़ भूकंप के झटके महसूस किए गए. दिल्ली-एनसीआर में सुबह 5:30 बजे 4.0 तीव्रता का भूकंप आया, इसके बाद बिहार में सुबह 8 बजे फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए. दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, और गाजियाबाद में उच्च भवनों के निवासी अपने घरों से बाहर निकले. दिल्ली में भूकंप का केंद्र धौला कुआं में दुर्गाबाई देशमुख कॉलेज ऑफ स्पेशल एजुकेशन के पास था, जिसकी गहराई पांच किलोमीटर थी. अधिकारियों ने बताया कि भूकंप के दौरान एक तेज आवाज सुनाई दी.
हालांकि किसी तरह के नुकसान या घायल होने की तत्काल कोई खबर नहीं है. बताते चलें कि इस क्षेत्र में हर दो से तीन साल में मामूली भूकंपीय गतिविधि होती है, इससे पहले 2015 में 3.3 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था. अधिकारियों ने बताया कि भूकंप के साथ तेज आवाज भी आई थी. इस बीच, राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने बताया कि सुबह 8.02 बजे बिहार के सीवान जिले में भी 4.0 तीव्रता का भूकंप आया.
इसी बीच नई दिल्ली और आस-पास के इलाकों में आए तेज झटकों पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से शांति बनाए रखने और सुरक्षा उपायों का पालन करने की अपील की. दिल्ली पुलिस ने लोगों को सुरक्षित रहने की आशा व्यक्त की और आपातकालीन 112 हेल्पलाइन का उपयोग करने की सलाह दी. दिल्ली-एनसीआर में पहले भी कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. दिल्ली हिमालयन भूकंप क्षेत्र से 250 किलोमीटर दूर स्थित है, जो नियमित रूप से भूकंपीय गतिविधि का अनुभव करता है. इस क्षेत्र को भूकंप की चौथी जोन में रखा गया है, जो मध्यम से उच्च जोखिम वाला क्षेत्र है.
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर पोस्ट कहा, "मैं सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता हूं." बता दें कि इससे पहले 23 जनवरी को, चीन के झिंजियांग में 80 किलोमीटर की गहराई पर 7.2 तीव्रता का भूकंप आने के बाद दिल्ली-एनसीआर में तेज झटके महसूस किए गए थे. साथ ही 11 जनवरी को भी हल्के झटके आए थे, जब अफ़गानिस्तान में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया था.
इस क्षेत्र में कब-कब आए भूकंप
भूकंप के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण हैं... टेक्टोनिक प्लेट्स का गति करना, ज्वालामुखी विस्फोट और पृथ्वी के अंदरूनी भाग में होने वाली गतिविधियां. मुख्यत: इन कारणों से ही भूकंप आते हैं, लेकिन तबाही व्यापक होता है. पर भूकंप-प्रतिरोधी निर्माण, भूकंप के दौरान सुरक्षित स्थानों पर जाना, भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्य करना और भूकंप के बारे में जागरूकता फैलाना सहित विभिन्न उपायों को कर इनके प्रभाव को कम किया जा सकता है.