नई दिल्ली: यूरोपीय संघ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस सुझाव को ठुकरा दिया है, जिसमें उन्होंने भारत और चीन पर 100% टैरिफ लगाने की मांग की थी. ट्रंप का उद्देश्य रूस पर यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए दबाव बनाना था. उनका मानना था कि भारत और चीन द्वारा रूसी तेल की खरीद और आर्थिक सहायता से रूस की ताकत बनी रहती है. यह प्रस्ताव ट्रंप ने वॉशिंगटन में अमेरिकी और यूरोपीय अधिकारियों की एक बैठक में रखा था.
हालांकि, यूरोपीय संघ ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए कहा कि वह टैरिफ को किसी देश पर प्रतिबंध लगाने के उपकरण के रूप में नहीं देखता. यूरोपीय संघ का कहना है कि व्यापार नीति को भू-राजनीतिक विवादों का हथियार बनाना उचित नहीं है. इसके बजाय, यूरोपीय संघ रूस पर नए प्रतिबंधों के 19वें चरण पर काम कर रहा है, जिसमें रूस को सहायता प्रदान करने वाली कुछ विदेशी कंपनियों, विशेष रूप से चीन की कंपनियों, को निशाना बनाया जा सकता है.
यूरोपीय संघ का मानना है कि भारत और चीन जैसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदारों पर भारी टैरिफ लगाने से वैश्विक व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. साथ ही, इससे ऊर्जा की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर होगा.
यूरोपीय संघ अपने व्यापारिक और राजनीतिक हितों के बीच संतुलन बनाए रखना चाहता है. विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप की रणनीति रूस पर दबाव बनाने के लिए भारत और चीन को आर्थिक रूप से कमजोर करने की थी, लेकिन यूरोपीय संघ का रुख इस दिशा में सहमति न दिखाकर अधिक सतर्क और संतुलित है. हालांकि ट्रंप भारत पर तो अभी 50 प्रतिशत टैरिफ लगा रहे हैं, लेकिन चीन को राहत दे रहे हैं, जबकि चीन भारत से ज्यादा तेल खरीद रहा है.
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