नई दिल्ली: जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत पर टैरिफ के जरिए दबाव बढ़ा रहे हैं, तब जर्मनी ने दुनिया को भारत की अहमियत और ताकत का एहसास कराया है. जर्मन विदेश मंत्री योहान वाडेफुल 2 सितंबर को बेंगलुरु पहुंचे, जहां से उनके दो दिवसीय भारत दौरे की शुरुआत हुई. यह दौरा 2 से 3 सितंबर तक चलेगा, जिसके दौरान वे भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर चर्चा करेंगे.
भारत आने से पहले वाडेफुल ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझेदार है. हमारे रिश्ते राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति के हर स्तर पर गहरे हैं. उन्होंने सुरक्षा, नवाचार, प्रौद्योगिकी और कुशल श्रमिकों की भर्ती जैसे क्षेत्रों में भारत के साथ सहयोग की अपार संभावनाओं पर जोर दिया.
वाडेफुल ने अपने दौरे की शुरुआत बेंगलुरु से की, जहां वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का दौरा करेंगे. इसके बाद वे दिल्ली में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात करेंगे. उन्होंने भारत की वैश्विक भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत की आवाज न केवल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में, बल्कि पूरी दुनिया में गूंजती है. यही कारण है कि मैं यहां रणनीतिक वार्ता के लिए आया हूं.
जर्मन विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत और जर्मनी साझा लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित हैं और मौजूदा भू-राजनीतिक चुनौतियों में दोनों देशों को मिलकर नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था को बनाए रखना होगा. यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब जर्मनी भारत के साथ आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने, तकनीकी साझेदारी को गहरा करने और कुशल भारतीय श्रमिकों की भर्ती पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
जर्मनी भारत का यूरोप में सबसे करीबी साझेदार है. दोनों देशों के बीच 1951 से राजनयिक संबंध हैं, और 2021 में इन रिश्तों ने 70 साल पूरे किए. हाल के वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज की छह मुलाकातें इन संबंधों की मजबूती को दर्शाती हैं.ऐसे में जब अमेरिका भारत पर आर्थिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है, जर्मनी का यह कदम साफ संदेश देता है कि भारत वैश्विक मंच पर एक अपरिहार्य शक्ति है, जिसे नजरअंदाज करना किसी के लिए भी असंभव है.