सत्ता गंवाने के बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे 'ओली', अयोध्या-लिपुलेख का नाम लेकर उगल रहे जहर!

Amanat Ansari 10 Sep 2025 09:26: PM 2 Mins
सत्ता गंवाने के बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे 'ओली', अयोध्या-लिपुलेख का नाम लेकर उगल रहे जहर!

नई दिल्ली: नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने दावा किया कि भारत के साथ संवेदनशील मुद्दों पर सवाल उठाने के कारण उन्हें सत्ता से हटना पड़ा. ओली, जो अभी नेपाल आर्मी के शिवपुरी बैरक में हैं, ने अपनी पार्टी के महासचिव को पत्र लिखकर भारत विरोधी बातें कहीं. उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने लिपुलेख, जो भारत और नेपाल दोनों द्वारा दावा किया जाने वाला विवादित क्षेत्र है, पर सवाल नहीं उठाए होते, तो वे सत्ता में रहते. साथ ही, उन्होंने कहा कि अयोध्या और भगवान राम पर उनकी टिप्पणियों ने भी उनकी सत्ता छीन ली.

ओली ने कहा, "मैंने अयोध्या में राम के जन्म का विरोध किया, इसलिए मुझे सत्ता गंवानी पड़ी." ये बयान तब आए जब ओली को बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. नेपाल में युवाओं ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन किए, जो भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ सबसे बड़े आंदोलन में बदल गए. काठमांडू और अन्य शहरों में कर्फ्यू तोड़कर प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों के साथ झड़प की.

2020 में ओली ने दावा किया था कि भगवान राम भारतीय नहीं, नेपाली थे. उन्होंने कहा कि असली अयोध्या नेपाल के बीरगंज के पास थोरी गांव में है, न कि उत्तर प्रदेश में. ओली ने यह भी कहा कि सीता का विवाह भारत के राम से नहीं, बल्कि नेपाली राम से हुआ था. उन्होंने तर्क दिया कि प्राचीन काल में इतनी दूर की शादियां नहीं होती थीं और उस समय फोन भी नहीं थे, तो राम और सीता कैसे मिले होंगे. इन बयानों से भारत में विवाद खड़ा हो गया और कई लोगों ने इसे बेबुनियाद बताया.

लिपुलेख विवाद क्या है?

लिपुलेख पास भारत और नेपाल के बीच एक बड़ा सीमा विवाद है. यह कालापानी क्षेत्र से जुड़ा है, जहां दोनों देश काली नदी के उद्गम को लेकर असहमत हैं. 1816 की सुगौली संधि में इस नदी को सीमा माना गया था. नेपाल का कहना है कि नदी लिम्पियाधुरा से शुरू होती है, जिससे कालापानी और लिपुलेख नेपाल का हिस्सा होंगे. लेकिन भारत का कहना है कि नदी कालापानी गांव के पास से शुरू होती है, इसलिए यह क्षेत्र उत्तराखंड का हिस्सा है. ओली के शासनकाल में नेपाल ने कहा कि लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी नेपाल के अभिन्न हिस्से हैं.

नेपाल ने भारत से इस क्षेत्र में सड़क निर्माण और व्यापार रोकने को कहा और चीन को भी बताया कि यह क्षेत्र नेपाल का है. भारत ने नेपाल के दावों को खारिज करते हुए कहा कि ये दावे ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं हैं. भारत ने यह भी बताया कि लिपुलेख के रास्ते चीन के साथ 1954 से व्यापार हो रहा है, जो हाल के वर्षों में महामारी के कारण रुका था.

नेपाल में अशांति

मंगलवार को ओली ने बड़े प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उनके साथ गृह मंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी, युवा और खेल मंत्री तेजु लाल चौधरी और जल मंत्री प्रदीप यादव ने भी इस्तीफा दिया. इन प्रदर्शनों ने नेपाल को राजनीतिक अस्थिरता में डाल दिया है. 2008 में 239 साल पुरानी राजशाही खत्म होने के बाद से नेपाल में 14 सरकारें बदल चुकी हैं, और कोई भी सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई. 73 वर्षीय ओली पिछले साल चौथी बार प्रधानमंत्री बने थे.

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