नई दिल्ली: SCO समिट में शामिल होने पहुंचे पीएम मोदी ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मुलाकात की, और बता दिया भारत-नेपाल के रिश्ते खास हैं. मोदी के ये शब्द चीन के लिए एक झटके की तरह है, क्योंकि वो नेपाल को अपने पाले में लेना चाहता है, पर मोदी ने कई मौकों पर ये दिखाया है कि भारत अपने पड़ोसियों से रिश्ता बनाना और निभाना अच्छी तरह जानता है.
ये हैं मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जु औऱ पीएम मोदी, दोनों की मुलाकात ये बता रही है कि भारत-मालदीव के रिश्ते अब बदल चुके हैं, जो मालदीव कुछ दिन पहले तक आंख दिखा रहा था, उसे जयशंकर और मोदी ने मिलकर ऐसा सेट किया वो न सिर्फ पीएम मोदी को मालदीव बुलाते हैं, बल्कि मालदीव को जो लोग भड़काना चाह रहे थे उन्हें भी बड़ी नसीहत मोदी ने इस तस्वीर से दे दी है.
ये हैं मिस्त्र के प्रधानमंत्री मोस्तफा मदबौली, जिनसे मुलाकात के दौरान मोदी ने अपने मिस्त्र दौरे की यादें ताजा की. और कहा हमारी दोस्ती नई ऊंचाईयों पर पहुंच रही है. इस मुलाकात ने यह साफ कर दिया कि भारत केवल एशिया के पड़ोसियों तक सीमित नहीं है, बल्कि अफ्रीका और मध्य-पूर्व के अहम देशों को भी अपनी कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा बना रहा है.
ये हैं तजाकिस्तान के राष्ट्रपति इमामोली रहमान, जिनसे मोदी ने मुलाकात की तो दुनियाभर के जानकारों ने नई प्रतिक्रिया दी, उन्होंने कहा ये मुलाकात भारत की मध्य एशिया नीति के लिए भी अहम है, तजाकिस्तान सुरक्षा, ऊर्जा और कनेक्टिविटी के लिहाज से भारत का रणनीतिक साझेदार है.
ये हैं बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको, जो रूस का न सिर्फ तगड़ा साझीदार है. लुकाशेंकों ने ही बीते दिनों कहा था ब्राह्मोस से भी खतरनाक मिसाइल जेलेंस्की की ओर तन गई थी, बस बटन दबना बाकी था, पर पुतिन ने आखिरी वक्त में मना कर दिया, मोदी जब इनसे मिले तो कई लोगों ने इसे रूस-यूक्रेन से भी जोड़कर देखा. पर मोदी और लुकाशेंकों की मुलाकात भारत की पूर्वी यूरोप नीति को नई दिशा दे सकती है.
यानि मोदी ने SCO मीटिंग से नेबरहुड कार्ड चलकर यानि पड़ोसी देशों को साधकर दुनिया को ये बता दिया कि भारत अपनी नीतियां अपने हिसाब से बनाता है, किसी के हिसाब से नहीं चलता. ट्रंप के टैरिफ का जवाब भी मोदी ने चीन की धरती से दे दिया है, पर जो लोग ये पूछ रहे थे कि मोदी सबकुछ भूलकर चीन क्यों चले गए, उन्हें इन 5 तस्वीरों से शायद जवाब मिल गया होगा कि मोदी ने चीन की धरती से दुश्मनों को बड़ा संदेश दिया है, चीन को ये भी बता दिया कि हमारे पड़ोसी मुल्कों में चालबाजी ठीक नहीं होगी, हम पड़ोसियों से न सिर्फ रिश्ते निभाते हैं, बल्कि जरूरत पड़ने पर उनके काम भी आते हैं, भारत कभी चीन की तरह किसी को कर्ज के जाल में नहीं उलझाता, ना ही अपने फायदे के लिए किसी को गड्ढे में ढकेलता है, बल्कि मानवहित के नजरिए से काम करता है. और यही बात भारत को चीन-अमेरिका से अलग बनाती है, ये 5 तस्वीरें इसी बात की गवाही हैं कि भारत पर उन सभी देशों का भरोसा है, जो चीन के कर्ज के जाल में कभी उलझ चुके हैं या फिर चीन ने जिन्हें अपना बनाने की कोशिश कर दगा दिया.