नई दिल्ली: चीन दौरे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के किस दिग्गज से मुलाकात की, जिनके बारे में ज्यादातर हिंदुस्तानी नहीं जानते, यहां तक कि मोदी जब विदेश दौरे पर जा रहे थे, तब भी इनसे मुलाकात की चर्चा नहीं थी, दुनियाभर की निगाहें सिर्फ मोदी की जिनपिंग औऱ पुतिन से मुलाकात पर टिकी थी, फिर इतने व्यस्त शेड्यूल में मोदी ने किनसे मुलाकात की, जिसकी तस्वीर सामने आई तो कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थक तालियां बजाने लगे, इसे समझना होगा. इनका नाम है काई ची, उम्र में जिनपिंग से करीब 3 साल छोटे हैं, पर जिनपिंग इनकी कई सलाह मानते हैं.
कौन हैं काई ची जिनसे मिले मोदी?
यहां तक कि भारत से संबंध बिगाड़कर जिनपिंग ने जो गलती की है, उसे सुधारने और मोदी को चीन बुलाने में काई ची की भूमिका भी अहम मानी जा रही है. क्योंकि काई ची जिस पार्टी को देख रहे हैं, ये वही पार्टी है जो चीन की विदेश नीति तय करती है, किससे क्या रिश्ते होंगे इसका ड्राफ्ट जिनपिंग तक पहुंचाती है. इसमें काई ची की भूमिका सबसे बड़ी हो जाती है, इसीलिए पीएम मोदी का इनसे मुलाकात करना ये साफ बता रहा है भारत इस बार धोखा नहीं खाना चाहता, बल्कि फूंक-फूंककर कदम रख रहा है.
जिनपिंग के साथ-साथ उनकी पार्टी नेतृत्व से बातचीत कर ये संदेश दे रहा है कि हम अपनी शर्तों पर बातचीत करेंगे. बकायदा भारतीय विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि मोदी ने रिश्तों के लिए अपना दृष्टिकोण साझा किया, जबकि इन्होंने शी जिनपिंग के साथ नेता-स्तरीय सहमति के अनुरूप आदान-प्रदान बढ़ाने का वादा किया.
खुद जिनपिंग भी इस बात को समझते हैं कि ट्रंप के टैरिफ वाले दौर में भारत से रिश्ते बिगाड़कर चलने में भलाई नहीं है, इसीलिए जिनपिंग न सिर्फ खुद आगे आकर पीएम मोदी का स्वागत कर रहे हैं, दुनियाभर के देशों को SCO मीटिंग के जरिए बड़ा संदेश दे रहे हैं बल्कि ड्रैगन औऱ हाथी को साथ आने की जरूरत पर जोर भी दे रहे हैं. पर ये सबकुछ तभी संभव हो पाएगा जब जिनपिंग की पार्टी चाहेगी.
इस पार्टी के कर्ताधर्ता काई ची ही हैं, इसीलिए ये मुलाकात सबसे अहम मानी जा रही है. यहां तक कि पूरी दुनिया जब मोदी की जिनपिंग और पुतिन से मुलाकात पर बात कर रही थी, तब ये तस्वीर देखकर कईयों को समझ नहीं आया कि आखिर कहानी क्या है, पर काई ची के बारे में जब हमने जानकारी जुटाई तो इस मुलाकात की पूरी इनसाइड स्टोरी खुलकर सामने आ गई. चूंकि वैश्विक नीतियां और विदेश नीति कभी स्थिर नहीं रहती और सवाल उठाने वाले भी इस बात को जानते हैं इसलिए देशहित में जो फैसले हों वो सरकार को लेने चाहिए, क्योंकि सबसे ऊपर राष्ट्र होता है, उसके बाद ही किसी चीज का अस्तित्व होता है.