जियाउर्रहमान के बाद इकरा हसन का नंबर! मुजफ्फरनगर में होने लगी तैयारी, महाकुंभ की बारी!
अधिकारियों को ऐसी मिली रिपोर्ट, मुजफ्फरनगर में योगी की बड़ी तैयारी! DM-SP भी हुए अलर्ट!
4 महीने पहले उतारे थे ATS कमांडो, खुफिया रिपोर्ट, UP के पश्चिम में कुछ बड़ी तैयारी हो रही!
इकरा हसन पहली बार सांसद बनी हैं, उन्हें पता है कि उनका भी हाल आज़म ख़ान और जियाउर्रहमान जैसा हो सकता है. जो ख़बर बाहर आ रही है वो हैरान कर देने वाली है. बरेली में योगी त्रिशूल लगवा रहे हैं लेकिन असली खेल इकरा हसन के इलाके में होना तय माना जा रहा है. तीन मिनट की रिपोर्ट में आपको दिखाते हैं. ऐसी कौन सी जानकारी DM और SP के हाथ लगी है कि उन्होंने तत्काल सीएम योगी को रिपोर्ट दी है. इस पटकथा की शुरूआत होती जून 2024 से जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए. संभल हो या बरेली, मुजफ्फरनगर हो या फिर मुरादाबाद सबकी बारी आने वाली है.
मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट योगी ने जीती है, वहां RLD के साथ गठबंधन कर बीजेपी को जीत मिली.
लोकसभा चुनाव में इकरा हसन से बीजेपी को हार मिली, इस बात का टीस योगी के मन में आज भी है.
इकरा हसन की लोकप्रियता बढ़ रही है, वो किसी भी हाल में CM योगी से पंगा लेने की स्थिति में नहीं हैं!
जब योगी ने देश के मुसलमानों को बाबर की औलाद कह दिया तो इकरा हसन भी उसका जवाब देती है. लेकिन उनके जवाब में साफ डर झलक रहा है. योगी के बयान पर इकरा ने कहा था. बाबर का प्रेम भी झलका और योगी का डर भी दिखा.

इकरा हसन ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का जिक्र करते हुए कहा कि सीएम योगी ने हाल ही में कहा कि, ये बाबर की औलादें हैं. मैं इसका जवाब यही दूंगी कि उस टाइम लोकतंत्र नहीं था, सब राज करते थे और उसी हिसाब से व्यवस्था चलती थी, लेकिन अब लोकतंत्र है और हम कानून के जरिये चल रहे हैं. ऐसे में अब हिस्टॉरिकल सवाल उठाएंगे तो इसका कोई जवाब नहीं है. उस खुदाई का भी कोई अंत नहीं है. क्योंकि आप कहां से क्या-क्या खोद कर निकाल देंगे.
मुझफ्फरनगर में महाकुंभ के बाद खुदाई क्यों हो सकता है ज़रा समझिए. पूरी कहानी. दरअसल ये UP का ऐसा ज़िला है, जहां पर कई दंगे होते रहे हैं, संभल से भी कड़वा सच मुजफ्फरनगर का है. साल 2013 में जब दंगा हुआ तब वहां से हिन्दुओं का भारी पलायन हुआ.
जैसे साल 1978 में संभल से हज़ारों हिन्दू परिवारों को जाना पड़ा था.लोकसभा में जैसे आज संभल का जिक्र हो रहा है, वैसे ही कभी बीजेपी ने मुजफ्फरनगर का जिक्र किया था. उस वक्त घरों के बाहर ये घर बिकाऊं के पोस्टर लगे. तब इकरा हसन लंदन में पढ़ाई कर रहीं थीं और योगी सांसद थे. लेकिन बिना बदला लिए इतिहास से दर्द नहीं मिटाया जा सकता है. 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने अखिलेश यादव को फटकारा था, और 50 हज़ार से ज्यादा लोगों को राहत कैंप में रखा गया. बीजेपी के सांसद ने लोकसभा में पलायन का मुद्दा उठाया.
हज़ारों हिन्दू परिवार अपनी ज़मीन बेचकर या छोड़कर वहां से चले गए. समाजवादी पार्टी की सरकार में एक धर्म विशेष के लोगों के ज़ख्म पर मरहम लगाया गया. उसके बाद सपा के प्रमुख अखिलेश यादव ने सीएम रहते दंगे के तत्काल बाद ही सैफई में रंगारंग कार्यक्रम करवाया, उस तस्वीर के बाद भारी संख्या में सपा के वोटर भी नाराज़ हो गए. इतिहासकारों का कहना है कि मुजफ्फरनगर में कई सच छिपे हैं. वहां कुछ बड़ा करने की तैयारी हो रही है. डीएम और एसपी के पास इस बात की पुख्ता जानकारी हैं कि वहां अवैध हथियारों का कारोबार बढ़ा है. इसकी जानकारी सीएम योगी को भी दी गई है. वहां तीन महीने पहले ही दंगा भड़ाकाने की कोशिश की गई थी. लेकिन योगी ने वक्त रहते रोक लिया था. सीधे शब्दों में आप एक बात समझिए.जब भी किसी ज़िले में कोई सिंघम टाइप अफसर तैनात होता है तो वहां हालात बेकाबू हो सकते है इस बात का डर सरकार को होता है, इसलिए सरकार अपने सबसे भरोसमंद अफसर को भेजती है. मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक सिंह खुद ATS में रह चुके हैं, उन्हें भारी अनुभव है.
LIU बार बार रिपोर्ट भेज रही है कि मुजफ्फरनगर में कई हलचल चल रही है.
हथियारों की खरीददारी बढ़ी है? बाहरी आने-जाने वालों पर नज़र रखी जा रही.
इकरा हसन को अंदाजा है उनके शहर पर भी योगी की नज़र पड़ सकती है. कुछ नहीं बल्कि वहां बहुत कुछ छिपाया जा रहा है. ये बात अखिलेश यादव भी जानते हैं, ये बात योगी भी जानते हैं, ये बात वहां की जनता भी जानती हैं. मुजफ्फरनगर वालों के कमेंट ध्यान से पढ़िए, उन्होंने कैसे पूरा सच लिखा है.